प्रयागराज ब्यूरो । नगर निगम चुनाव में हुई 31 फीसदी वोटिंग से एक बार फिर शहरी मतदाताओं पर सवाल उठने लगे हैं। यह वोट किसी एक बूथ पर नहीं बल्कि सभी बूथों पर कम डाले गए हैं। लेकिन डेढ़ दर्जन ऐसे बूथ भी हैं जहां दस फीसदी वोट भी नहीं पड़े। इन्होंने वोटिंग प्रतिशत को सबसे ज्यादा धक्का पहुंचाया है। जिन पोलिंग बूथों पर मतदान बेहतर रहा, उनका परफार्मेंस भी लो वोटिंग वाले मतदान स्थलों से खराब हो गया। हालांकि शहर में एक बूथ ऐसा भी है जहां पूरे सौ फीसदी वोट डाले गए हैं।

सबसे कम और सर्वाधिक वोटिंग वाले बूथ

शहर में सबसे कम वोट बूथ संख्या 524 पर पड़े। वार्ड 46 पूरा पड़ाईन के इस बूथ पर महज 2.7 फीसदी वोटिंग हुई है। इस बूथ का जिले में सबसे खराब प्रदर्शन रहा है। महर्षि अरविंद शिक्षा निकेतन में बने इस बूथ में सुबह से शाम तक गिनती के वोटर ही पहुंचे। वहीं विस्तारित वार्ड नैनी ददरी 40 नंबर के बूथ 450 में पूरे सौ फीसदी वोट पड़े हैं। यहां वोटरों की संख्या

1483 थी और सभी ने अपने मत का प्रयोग किया। हालांकि आयोग की नजर में 80 फीसदी से अधिक वोटिंग किसी बूथ पर संदिग्ध मानी जाती है।

खराब वोटिंग प्रतिशत के जिम्मेदार बूथ

वार्ड संख्या वार्ड का नाम भाग संख्या वोट प्रतिशत

1 सुलेम सराय 14 10.46

2 नीबी तालिका खुर्द 46 3.38

7 राजापुर 85 9.82

15 जयंतीपुर 163 9.78

17 चाका 180 8.10

38 बाघंबरी हाउसिंग स्कीम 413 8.62

43 आजाद स्क्वायर 482 6.10

46 पूरा पड़ाइन 524 2.7

46 पूरा पड़ाइन 533 10.95

55 तेलियरगंज 620 9.81

60 मिन्हाजपुर गढ़ीकला 693 6.17

68 न्याय मार्ग क्षेत्र 795 8.79

77 तुलसीपुर 896 6.07

86 मालवीय नगर 987 7.77

87 मीरापुर 997 5.97

यहां पड़ा सौ फीसदी वोट

40 नैनी ददरी 450 100

प्रशासन और पार्टियों की लगी नजर

जिन बूथों पर 25 फीसदी भी वोट नही पड़े, उन पर राजनीतिक पार्टियों और प्रशासनिक अधिकारियों की नजर लगी। यह पता किया जा रहा है कि किन परिस्थितियों मे ंवोटर घर से नही निकले। या फिर ऐसे कौन से कारण रहे जिनसे वोटिंग फेल हो गई। इन बूथों का पुराना इतिहास भी खंगाला जा रहा है। देखा जा रहा है वोटिंग का लो ट्रेंड पहले से ऐसा है या इस बार ही ऐसा हुआ है। अगर प्रत्याशी हारता है तो इन बूथों पर उसमें बड़ा योगदान रहेगा।

विस्तारित वार्डों में रहा बेहतर प्रदर्शन

यह भी बता दें कि वोटिंग के दौरान नगर निगम के पुराने 80 वार्डों का वोटिंग प्रतिशत बेहतर नही था। जबकि नए बने विस्तारित वार्डों में इनसे अधिक वोटिंग हुई है। फिर वह नैनी, झूंसी या फाफामऊ साइड के विस्तारित वार्ड रहे हों। लेकिन शहरों के परंपरागत वार्डों का पुराना ट्रेंड बना हुआ है। राजनीतिक पार्टियां अपने बूथ कार्यकर्ताओं से भी पूछ रही हैं कि अगर सुबह से वोटर नही निकले थे तो उनसे संपर्क करने का प्रयास क्यों नही किया गया। दस फीसदी से कम वोट पडऩा वाकई शर्मिंदगी की बात है। बहुत बड़ी संख्या ऐसे वार्डों की भी है जहां 25 फीसदी वोट नही पड़ सके।