- महिलाओं के पोषण को लेकर जागरूक नहीं है सरकार और परिजन

- हाई रिस्क प्रेगनेंसी के चलते खतरे में रहता है महिला का जीवन

प्रयागराज- महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर हमारा समाज और सरकार अभी भी जागरुक नहीं है। ऐसा नहीं होने का ही कारण है कि सौ गर्भवती महिलाओं में से 16 का जीवन खतरे में है। देखने में यह संख्या खासी नहीं लगती लेकिन एक भी गर्भवती महिला की मौत होने पर सिस्टम का खोखलापन सामने आ जाता है। फिलहाल इस आंकड़े को लेकर खुद स्वास्थ्य विभाग भी चिंतित है।

एएनसी जांच में सामने आई हकीकत

महिलाओं के एनीमिक होने और हाई रिस्क प्रेगनेंसी में होने की हकीकत एएनसी जांच में सामने आई है। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत पिछले साल अप्रैल से 2021 फरवरी के बीच 17260 महिलाओं की स्वास्थ्य जांच की गई। इनमें से 1229 महिलाओं के शरीर में खून की कमी मिली है। जबकि 2851 महिलाएं हाई प्रेगनेंसी रिस्क में पहुंच गई हैं। ऐसी महिलाओं का समय रहते पोषण और इलाज नहीं किया गया तो जच्चा-बच्चा दोनों की जान खतरे में जा सकती है।

कहां जा रहा है खून

सबसे बड़ी बात महिलाओं के शरीर में खून की कमी होना है। इनकी संख्या 8 फीसदी पाई गई है। गर्भवती महिलाओं के शरीर को पोषण की जरूरत होती है। अगर शरीर में खून नहीं है तो प्री मेच्योर डिलीवरी के चांसेज बढ़ जाते हैं। इसमें उसकी जान को भी खतरा रहता है। डॉक्टर्स का कहना है कि ऐसी सिचुएशन तब होती है जब महिला को भरपूर पौष्टिक भोजन न मिलता हो। इससे उनके शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर निर्धारित मानक से काफी कम हो जाता है। जबकि पेट में पल रहे बच्चे को भी पर्याप्त खूुन की आवश्यकता होती है।

सिस्टम के लिए चैलेंज हैं ये महिलाएं

जांच में 16 फीसदी महिलाएं हाई रिस्क प्रेगनेंसी में पाई गई हैं। इनके शरीर में खून की कमी तो है साथ ही अन्य घातक बीमारियों से भी ग्रसित हैं। इन महिलाओं की एचआईवी, सिफलिस आदि बीमारियों की भी जांच की गई है। स्वास्थ्य विभाग ने इन महिलाओं की तत्काल ट्रैकिंग शुरू कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि जरा सी लापरवाही होने पर इन महिलाओं को प्रेगनेंसी के बाद सुरक्षित रख पान मुश्किल होगा।

आंकड़ों पर नजर

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत कुल महिलाओं की जांच- 17260

हाई रिस्क प्रेगनेंसी के दायरे में मिली महिलाएं- 2851

हीमोग्लोबिन की कुल जांच- 15437

सीवियर एनीमिक महिलाएं- 1229

कहीं जंक फूड तो कहीं नहीं भरपेट भोजन

परिणाम सामने आने के बाद संबंधित एरिया का निरीक्षण किया गया तो पाया गया कि शहरी एरिया की अधिकतर महिलाएं जंक फूड प्रेमी है। इसकी वजह से वह एनीमिक और हाई रिस्क प्रेगनेंसी के दायरे में आ गई हैं। इसके अलावा एक बड़ी संख्या में ऐसी महिलाएं भी मिली हैं जिनको दोनों टाइम भरपेट पौष्टिक भोजन नहीं मिल रहा है। ऐसे में उनका गर्भवती होना उनकी सेहत के खिलाफ काफी खतरनाक साबित हो सकता है।

अभियान के अंतर्गत जो महिलाएं सामने आ रही हैं उनके पोषण पर ध्यान दिया जा रहा है। गर्भवती महिलाओं को सरकार की ओर से पांच हजार रुपए भी तीन किश्त में दिए जाते हैं। यह समाज की जिम्मेदारी भी है कि महिलाओं की सेहत पर ध्यान दें और उन्हें रूखा सूखा खिलाने के बजाय भरपूर पौष्टिक भोजन प्रदान करें।

सतेंद्र राय, एसीएमओ, स्वास्थ्य विभाग प्रयागराज