सोशल मीडिया के साइड इफेक्ट्स
मीरापुर की रहने वाली युवती हीना फेसबुक पर काफी एक्टिव थी। अपनी फोटोज शेयर करती थी। बिंदास रहने की इसी आदत ने उसकी जान ले ली। साथ में उठने-बैठने वालों ने ही हीना को गोली मार कर मौत के घाट उतार दिया। जाहिर सी बात है सोशल मीडिया पर हीना की अति सक्रियता कुछ लोगों को रास नहीं आई।
ALLAHABAD: कहने के लिए आज की जिंदगी का सबसे बड़ी जरूरत है सोशल मीडिया। वॉट्सएप, ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और न जाने क्या-क्या? सिर्फ एक टच पर दुनिया के इस हिस्से से उस हिस्से में। लेकिन वर्चुअल स्पेस की यह नजदीकियां हकीकत में कितने करीब हैं? लोग अपनों के साथ आई मुश्किलें वर्चुअल स्पेस के उन लोगों के साथ ढूंढ रहे हैं, जिनसे वो शायद ही कभी मिले हों। वहीं साथी के मोबाइल में तांकझांक से लेकर उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स तक में दखलअंदाजी की कोशिश कई बार जिंदगी पर भारी पड़ जा रही है। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने इस मामले पर विशेषज्ञों से बातचीत की।
अति से बचिए
सोशल मीडिया की ताकत से आज इंकार नहीं किया जा सकता है। लेकिन इसके बावजूद कहीं न कहीं एक ब्रेक तो लेना होगा। एक्सपर्ट्स की मानें तो वर्चुअल स्पेस और रियल स्पेस में बैलेंस बनाकर रखना बहुत जरूरी है। हो सकता है कि फेसबुक पर आपके 5000 दोस्त हों या ट्विटर पर सैकड़ों फॉलोवर्स हों। लेकिन हकीकत की दुनिया से तालमेल बनाकर चलना होगा।
आपस में भरोसा बनाए रखें
-सोशल मीडिया और टेक्नोलॉजी का अगर व्यक्ति के जीवन पर गुड इम्पैक्ट पड़ता है तो इसकी अति से बैड इम्पैक्ट भी है।
- इस वजह से लोग अपनों से दूर होते जा रहे हैं। एक-दूसरे पर भरोसा खोते जा रहे हैं।
- पास में मौजूद लोगों से दूरी बनाकर सोशल मीडिया में मौजूद लोगों के करीब पहुंच जा रहे हैं, जो काफी खतरनाक हो सकता है।
- यह एक तरह की बीमारी है। इस बीमारी से बचने के लिए सोशल मीडिया पर आश्रित होना छोड़ें।
- लोगों से मिलें, उन पर विश्वास करें, न कि अंधविश्वास।
- अपनों के बीच कम्युनिकेशन गैप न होने दें।
- अपनी पत्नी, बच्चों के साथ ही परिवार के लोगों को समय दें।
- कम्प्यूटर और मोबाइल पर समय बिताने के बजाय घूमने जाएं, अच्छे लोगों से मिलें।
कमलेश तिवारी
मनोवैज्ञानिक
शक हो तो बात करें
-सोशल मीडिया के साथ ही टेक्नोलॉजी तो लोगों ने अपना ली है। लेकिन लाइफ के साथ अंडरस्टैंडिंग बनाना भूल गए। इसके चलते लोगों का माइंडसेट बदल रहा है।
-अगर किसी को ये लगता है कि उसका लाईफ पार्टनर या फिर फैमिली मेम्बर किसी थर्ड पर्सन से बात करता है तो उससे बात करके क्लीयर करना चाहिए। यूं ही शक नहीं करना चाहिए।
-लोगों को खुद पर सेल्फ कंट्रोल करना होगा।
- लाइफ को डिसबैलेंस होने से बचाना होगा।
- खुद को मोबाइल में बिजी रखने की आदत को बदलना होगा।
- अपनों के बीच कम्युनिकेशन गैप को खत्म करके सामंजस्य बनाना होगा।
- जरूरी है कि संतुलित और संयमित जीवन जिएं
- किसी भी चीज को खुद पर हावी न होने दें।
प्रो। दीपा पुनेठा
साइकॉलिजी डिपार्टमेंट
हमने फेसबुक पर पूछा था कि क्या सोशल मीडिया हमारी जिंदगी में हद से ज्यादा कब्जा कर चुका है। इसके जवाब में आए ढेरों कमेंट्स में से कुछ चुनिंदा को हम यहां पब्लिश कर रहे हैं
हां ये सच है कि सोशल मीडिया ने हमारी जिंदगी में हद से ज्यादा कब्जा कर रखा है। सुबह से लेकर रात में सोने तक हम अपने आस-पास की जानकारी से अनजान रहते हैं। अलग ही माहौल कायम हो गया है। लोगों के बीच की दूरियां बढ़ गई हैं। बस दिखावा ही रह गया है।
-अंकुर सिंह
सोशल मीडिया ने हमारी जिंदगी आसान बनाई है, लेकिन इसके साथ ही इसकी लत के कई नुकसान भी हैं। यह कई परेशानियों का सबब भी बन रहा है। क्योंकि लोगों का सामाजिक दायरा सिमट रहा है।
-मीतू
ये बात सच है कि आज का युग इलेक्ट्रानिक युग बन चुका है। आज हम सोते-जागते सोशल मीडिया में खोए रहते हैं। जहां तक इसके उपयोग की बात की जाए तो काफी हद तक ये ठीक भी है। लेकिन आज कल के युवाओं के दिल-ओ-दिमाग में सोशल मीडिया ने कब्जा कर रखा है।
-महेंद्र कनौजिया
किसी भी चीज की अति हानिकारक होती है। अति न हो तो सोशल मीडिया के कई लाभ भी हैं।
-विवेक गोंड
जी हां, बिल्कुल सोशल मीडिया इस कदर जिंदगी में प्रवेश कर चुका है कि हम लोगों की जिंदगी में रिश्ते का कोई मतलब ही नहीं है।
-रिपुसूदन
सोशल मीडिया अपनी बात लोगों तक पहुंचाने का अच्छा माध्यम है। लेकिन इसका ज्यादा उपयोग स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालता है। ज्यादा इस्तेमाल करने से बचना चाहिए।
-भानु प्रताप मिश्रा
व्यक्तियों के बीच संवाद बनाने के मंच के रूप में सोशल मीडिया ने हमारे जिंदगी में हस्तक्षेप कर लिया है। इसके ज्यादा इस्तेमाल से खतरे भी हैं, जो आज का युवा वर्ग नहीं समझ रहा है।
-नीरा त्रिपाठी