-नेशनल बुक फेयर के सांस्कृतिक मंच पर सम्मान समारोह
-प्रख्यात कथाकार नीलकांत को साहित्य शिरोमणि से किया गया सम्मानित
ALLAHABAD: नीलकांत जी जितने समृद्ध कथाकार हैं उतने ही समृद्ध आलोचक भी हैं। उनकी कहानियों में समाज की गरीबी व बेरोजगारी के साथ हाशिए पर खड़े इंसान के संघर्ष का तानाबाना बुना गया है। इसीलिए उनको सामाजिक चेतना का धनी रचनाकार कहा जाता है। यह बातें नेशनल बुक फेयर के सांस्कृतिक मंच पर रविवार को आयोजित सम्मान समारोह में पिछले वर्ष साहित्य शिरोमणि से सम्मानित व हिन्दुस्तानी एकेडेमी के कोषाध्यक्ष रविनंदन सिंह ने कहीं। अवसर था इस वर्ष साहित्य शिरोमणि से सम्मानित करने का। जिसमें मुख्य अतिथि रविनंदन सिंह व प्रो। राजेन्द्र कुमार ने ग्यारह हजार रुपए की राशि, स्मृति चिन्ह, प्रशस्ति पत्र व अंगवस्त्रम् प्रदान कर प्रख्यात कथाकार नील कांत को साहित्य शिरोमणि से सम्मानित किया।
चार पुस्तकों का हुआ लोकार्पण
प्रकाशन संस्थान की ओर से सांस्कृतिक मंच के दूसरे सत्र में लोकार्पण समारोह का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि धनंजय चोपड़ा, डॉ। सूर्य नारायण सिंह व डॉ। अशरफ अली बेग ने संयुक्त रूप से 'लाल पोस्ते के फूल', 'खोखला पहाड़', ' एक क्लर्क की मौत' व 'फिक्स ओनेस-दस कहानियां' का लोकार्पण किया। दिल्ली से आए हरीश चंद्र शर्मा ने साहित्य के क्षेत्र में प्रकाश संस्थान के योगदान पर प्रकाश डाला। नालेज हब के कर्ताधर्ता देवराज अरोरा ने अतिथियों का स्वागत किया।
पुस्तक पर हुई परिचर्चा
सांस्कृतिक मंच के एक अन्य सत्र में लेखक सुनील विक्रम सिंह की पुस्तक 'तेरी कुडमाई हो गई' पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। विशिष्ट अतिथि डॉ। सरोज सिंह ने कहा कि पुस्तक के शीर्षक से हास्य भाषा समझ में आती है लेकिन यह पूरी तरह से सामाजिक सरोकार पर केन्द्रित है। परिचर्चा में हिन्दुस्तानी एकेडेमी के कोषाध्यक्ष रविनंदन सिंह, प्रो। योगेन्द्र प्रताप सिंह व अंजनी कुमार ने अपनी बातें रखी। इस मौके पर महेश भारद्वाज, अवधेश राय, नाजिया नफीस, संजय पुरुषार्थी आदि मौजूद रहे।