प्रयागराज (ब्यूरो)। तेज गर्मी और उमस भरे मौसम में अगर सड़क पर निकल रहे हैं तो कुछ तैयारी कर लीजिए। मन को शांत रखिए और जल्दीबाजी मत करिए। क्योंकि जरा सी लापरवाही आपको सड़क हादसे का शिकार बना सकती है। इस सीजन में ऐसी घटनाएं बढ़ रही है। जरा सी लापरवाही से लोगों की सड़क पर जान जा रही है या चोटिल हो रहे हैं। खुद आंकड़े भी इसके गवाह हैं। एक्सपट््र्स भी लोगों को सड़कों पर सावधानी से चलने की सलाह दे रहे हैं।

अधिक शिकार हो रहे बाइक सवार

करीब एक महीने से सुबह सूरज के निकलते ही पारा चढ़ जा रहा है। आठ बजते बजते लोग गर्मी से हांफ जा रहे हैं। सुबह लोगों के घर से काम पर निकलने का समय होता है। ऑफिस वर्क करने वालों के लिए तो कुछ राहत है, मगर सबसे ज्यादा दिक्कत उन लोगों को है जिन्हें फील्ड में काम करना होता है या किसी जरुरी काम से दोपहर में भी सड़क पर निकलना होता है। ऐसे में तपती दोपहर में शरीर से निकलता पसीना दिमाग का संतुलन खराब कर दे रहा है। खासकर बाइक सवारों को इन हादसों में अधिक नुकसान हो रहा है।

पचास फीसदी तक इजाफा

गर्मी में सड़क हादसे में पचास फीसदी का इजाफा हुआ है। सामान्य मौसम में जहां सड़क हादसे का औसत एक दिन में एक या दो रहता है वहीं, अप्रैल से जून के मध्य तक के आंकड़ों पर गौर करें तो रोजाना औसत में चार या पांच हादसे हो रहे हैं। जानकारों की माने तो गर्मी में अधिक पसीना निकलने की वजह से बीपी या शुगर से बीमार लोगों को बेचैनी की समस्या हो जा रही है। सामान्य तौर पर स्वस्थ्य लोग भी गर्मी में पसीना निकलने पर बेचैनी से परेशान हो जा रहे हैं। आंखों के सामने अंधेरा छाने लगता है।

दिल दहलाने वाले हादसे

12 जून-हंडिया फ्लाईओवर पर कार और ट्रैक्टर में टक्कर हुई। जिसमें ट्रैक्टर चालक डोमन घुइयां सड़क पर गिर गया। उसके ऊपर कार चढ़ गई। मौके पर ही उसकी मौत हो गई।

11 जून- नैनी में कमलेश निषाद को बस ने कुचल दिया। वह बाइक से जा रहा था। घटना दोपहर की है। पीछे से आ रही बस ने बाइक में टक्कर मार दिया। उसने मौके पर ही दम तोड़ दिया।

10 जून- नैनी यमुना पुल पर मार्केटिंग इंस्पेक्टर भीम सिंह की बाइक में पीछे से कार ने टक्कर मार दी। घटना शाम की है। भीम सिंह सड़क पर गिरे और दम टूट गया।

ऐसे बढ़ा एक्सीडेंट का ग्राफ

मार्च- 24 हादसे

अप्रैल- 32 हादसे

मई- 43 हादसे

1 से 18 जून तक- 26 हादसे

ऐसे करें बचाव

- घर से पर्याप्त पानी पीकर निकलें।

- रास्ते में गर्मी महसूस होने पर पेड़ की छांव में रुकें।

- घर से पानी साथ लेकर निकलें।

- रास्ते में बेचैनी महसूस होने पर रुक जाएं।

- बीपी या शुगर से बीमार लोग दोपहर में यात्रा से बचें।

- हेलमेट जरुर लगा कर चलें।

- हेलमेट के साथ सिर पर गमछा भी बांधें ताकि सिर में गर्मी न लगे।

- पसीना ज्यादा निकलने पर पानी जरुर पिएं।

इस समय बहुत अधिक गर्मी पड़ रही है। ऐसे में ब्रेन में डोपामीन और नारएड्रेनेलीन हार्मोंस का अधिक स्त्राव होता है। इनकी वजह से झुंझलाहट, ब्रेन में सुन्नपन, जल्दीबाजी और चीजों के रिजेक्शन की भावना बढ़ जाती है। इसका असर रोड एक्सीडेंट के रूप में देखने को मिलता है। यही कारण है कि इस सीजन में लोग सड़कों पर अधिक चोटिल हो रहे हैं।

डॉ। राकेश पासवान, मनोचिकित्सक

अगर आप बात करें तो गर्मी और उमस का असर सड़कों के साथ ही जीवन के अन्य पहलुओं पर भी देखने को मिलता है। सोचने समझने की शक्ति कम होने से लोग हादसों का शिकार हो जाते हैं। सड़कों पर धूप से बचने के लिए सबको जल्दी है। कोई ब्रेक नही लगाना चाहता। यह मनोदशा हादसों को दावत देती है।

डॉ। कमलेश तिवारी, मनोवैज्ञानिक