प्रयागराज (ब्यूरो)। डॉ। चौहान ने बताया कि गर्भ में ही कुछ बच्चों के पैर टेढ़े मेढ़े हो जाते हैं। इस बीमारी को क्लब फुट कहते हैं। यह एक सामान्य विकृति है। अगर बच्चे के इलाज में लापरवाही न की जाए तो उनका बच्चा सामान्य हो सकता है। ऐसे बच्चे दिव्यांगता का दंश न झेलें इसे लेकर नेशनल हेल्थ मिशन के अंतर्गत राष्ट्र्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) में सहयोगी संस्था मिराकल क्लब फुट क्लीनिक का संचालन कर रही है। आरबीएसके की टीम आंगनबाड़ी केंद्र और स्कूल में बच्चों को चिन्हित करती है।

दूर हो गई निराशा

शिविर में कौशांबी जनपद के मूरतगंज क्षेत्र की निवासी पूनम देवी अपने बेटे यश गौतम (25 दिन) को लेकर काल्विन पहुंची तो वह काफी निराश थीं। यश के दोनो पैर के पंजे मुड़े हुए हैं। उनका गुरुवार को रजिस्ट्रेशन और डॉक्टर्स ने उसकी पहली कास्टिंग (प्लास्टर) की है। इन्हें सात से आठ प्लास्टर अभी और लगेगा उसके बाद इनकी भी टेनोटोमी की जाएगी। पूनम ने बताया कि 'मैं बहुत परेशान थी पर आज यहां आने के बाद आशा कि किरण जागी है। इसी तरह घूरपुर के रहने वाले मो। हुसनैन के पिता मोहम्मद हसनैन ने बताया कि मेरे बच्चे के दोनों पैर जन्मजात टेढ़े हैं। मेरे बच्चे का इलाज चल रहा है। अबकी बार चौथा प्लास्टर बंधा है। अब मैं निश्चिंत हूँ कि अब मेरे बच्चा आम बच्चों कि तरह सामान्य हो सकता है।

शून्य से दो वर्ष तक के बच्चों की कास्टिंग की जाती है। संस्था पांच साल तक के बच्चों को निशुल्क विशेष जूता (ब्रेस) मुहैया कराता है। परिवार को अस्पताल आवागमन के लिए किराया भी दिया जाता है।

विक्रांत विश्वास, जिला कार्यक्रम अधिकारी, मिराकल फीट फाउंडेशन