झूंसी थाने से चंद कदम दूर हाईवे किनारे चल रही 'पुडि़या' बनाने की अवैध मिनी फैक्ट्री
दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर द्वारा किए गए स्टिंग ऑपरेशन में सामने आई हकीकत
PRAYAGRAJ: गांजा यानी सूखा नशा। इसकी बिक्री पर प्रतिबंध है। फिर भी झूंसी थाने से चंद कदम दूरी पर में खुले आम बेचा जा रहा है। वह भी दिन के उजाले में। अवैध कारोबार के सौदागर यहां बेखौफ हैं। इन्हें न तो पुलिस का डर है और न ही जेल जाने का। यहां बाकायदे गांजे की पुडि़या तैयार की जाती है। हर पुडि़या के रेट फिक्स हैं। रिटेल से लेकर थोक तक इनकी सप्लाई है। गांजा सप्लाई का इनका दायरा झूंसी तक ही नहीं है। शहर में भी इनके जाल फैले हुए हैं। यह हकीकत दैनिक जागरण आई नेक्स्ट द्वारा किए गए स्टिंग में सामने आई।
ऐसे रिपोर्टर पहुंचा अड्डे तक
- रिपोर्टर को रविवार दोपहर खबर मिली कि झूंसी थाने के पास गांजे की मिनी फैक्ट्री संचालित है
रिपोर्टर हकीकत की पड़ताल में शहर से झूंसी पुल क्रास कर सूत्र को कॉल किया जिसने जानकारी दी थी
जानकारी देने वाला शख्स पहुंचा तो उनके साथ रिपोर्टर थाने की तरफ हाईवे पर आगे बढ़ा
झूंसी थाने से थोड़ा पहले बाएं हाथ एक भूसे की दुकान के पास स्थित मकान के अंदर सारा खेल चल रहा था
रिपोर्टर द्वारा मोबाइल का कैमरा ऑन कर उस शख्स को वहां भेजा, जिस जगह गांजे की पुडि़या बन रही थी
वह अंदर गया तो पीछे-पीछे रिपोर्टर भी अंदर पहुंचा और थोड़ी दूरी पर खड़ा हो गया
मोबाइल से स्टिंग करने वाला शख्स पुडि़या बना रहे लोगों से चार किलो गांजा खरीदने की बात की
पुडि़या बनाने वाले लोगों ने उसे पास में गांजे की बिक्री से मिले रुपयों को गिन रहे शख्स के पास भेजा गया
वह शख्स उस तक पहुंचा और मोल भाव शुरू करने लगा एक पुडि़या की कीमत उसके द्वारा 40 रुपए बताई गई।
उसे शक होता इसके पहले रिपोर्टर उस लड़के के साथ बाहर निकल आया, और पड़ताल में जुट गया
लोगों द्वारा बताया गया कि झूंसी पुलिस को सब कुछ मालूम होने के बावजूद इन पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है।
नारकोटिक्स टीम भी खामोश
अवैध कारोबार और अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए एसएसपी द्वारा कई टीमें गठित की गई हैं। इनमें एक नारकोटिक्स टीम भी शामिल है। इस टीम का काम ही यही है कि वह गांजा, अफीम जैसे मादक पदार्थो की बिक्री करने वाले लोगों व गैंग एवं इन पदार्थो के खिलाफ कार्रवाई करे। मगर यह टीम तो दूर, झूंसी थाने की पुलिस भी इस ओर ध्यान देना मुनासिब नहीं समझ रही है।
गांजा क्या है
- अक्सर लोग भांग और गांजा को अलग-अलग समझते हैं, ऐसा नहीं है। ये एक ही पौधे की प्रजाति के अलग-अलग रूप हैं।
- पौधे की नर प्रजाति को भांग और मादा प्रजाति को गांजा कहते हैं।
- गांजा में भांग के मुक़ाबले टेट्राहाइड्रोकार्बनबिनोल यानी टीएचसी ज्यादा होता है।
- गांजा पौधे के फूल, पत्ती और जड़ को सुखा कर तैयार किया जाता है। वहीं भांग पत्तियों को पीसकर तैयार किया जाता है।
- दुनिया का सबसे बेहतरीन गांजा मलाना हिल्स हिमाचल में ऊगता है। इसी पौधे से चरस भी बनाया जाता है। - इसके पौधे से रालदार द्रव निकलता है, उसी के जरिए चरस तैयार होता है। इसे सुल्फा भी कहता हैं। ताजा चरस गहरे रंग का और रखने पर भूरे रंग का हो जाता है।
- देश में गांजा रखना, इसका व्यापार, लाना ले जाना और उपभोग नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंसेज एक्ट 1985 के तहत प्रतिबंधित है। ये रखने पर सजा का भी प्रावधान है।