प्रयागराज ब्यूरो । शहर को स्मार्ट बनाने की आंधी में उड़ाए जा रहे लाखों करोड़ों रुपये का लाभ यहां पब्लिक को नहीं मिल रहा। स्मार्ट के नाम पर काम करने वाली निजी कंपनियां यहां सरकार के पैसों का दुरुपयोग करने पर आमादा हैं। उदाहरण के तौर पर शहर के वार्डों में स्ट्रीट लाइटों को देखा जा सकता है। करीब एक दो नहीं पूरे पंद्रह हजार स्ट्रीट लाइन पिछले कई महीने से खराब हैं। सड़कों पर अंधेरे की वजह से वार्डों में छिनैती व छेड़खानी जैसी घटनाओं को लेकर लोग आशंकित हैं। अंधेरे के कारण आवागमन में जो दिक्कत हो रही है वह अलग। टेंडर लेने के बाद मन की बहुरी चबा रहीं यह कंपनियां पब्लिक तो दूर पार्षदों व नगर निगम के अफसरों की भी नहीं सुन रहीं। यही वजह है कि पार्षदों व पब्लिक की शिकायत के बावजूद लाइटें आज तक दुरुस्त नहीं हो सकीं। स्ट्रीट लाइट की इस कंडीशन को देखते हुए कहा जा सकता है कि प्राइवेट कंपनियां यहां सरकार की मंशा को प्लान करने पर उतारू हैं।
सदन में पार्षद कर चुके हैं हंगामा
शहर का विस्तार होने के पूर्व नगर निगम एरिया में कुल 80 वार्ड आते थे। शासन के आदेश पर वार्ड सिटी का विस्तार हुआ। इस विस्तारीकरण में 20 वार्ड और बढ़ गए। इस तरह मौजूदा समय में नगर निगम क्षेत्र में कुल 100 वार्ड हो गए हैं। इन वार्डों में चुनाव बाद जीत कर 100 पार्षद नगर के सदन में पहुंचे। बताते चलें कि 23 जुलाई को नगर निगम सदन की बैठक महापौर उमेशचंद्र गणेश केसरवानी की अध्यक्षता में हुई थी। इस सदन की बैठक में स्ट्रीट लाइट की खराब कंडीशन और कंपनियों की मनमानी को लेकर पार्षदों ने जमकर हंगामा किया था। पार्षदों ने खुद कहा था कि शिकायत व फोन करने के बावजूद कंपनी के लोग उनकी नहीं सुन रहे हैं। जबकि मोहल्ले की स्ट्रीट लाइटें काफी दिनों से खराब पड़ी हैं। यह देखते हुए सर्वसम्मति से पास हुआ था कि हर क्षेत्र में एक-एक कंपनी को काम सौंप दिया जाएगा। इससे कंपनियां एक दूसरे का काम बताकर खाली दुरुस्त करने से टालमटोल नहीं कर सकेंगे। क्षेत्र में व्यवस्था की उनकी जिम्मेदारी तय हो जाएगा। फिलहाल इस पर आज तक अमल नहीं हो सका है। खैर यह तो रही सदन और व्यवस्था की बात।


कंपनियां बता रहीं पार्षदों को धता
गौर करने वाली बात यह है कि पिछले सात महीने से करीब 40 वार्डों में 15 हजार स्ट्रीट लाइट खराब है।
इन स्ट्रीट लाइटों के खराब होने से सड़कों पर रात के वक्त अंधेरा छाया रहता है।
लोगों का कहना है कि अंधेरे में छिनैती व छेड़खानी जैसी घटनाओं की आशंका बनी हुई है। रात में लोगों को अंधेरे में आने जाने में जो दिक्कत होती है वह अलग।
नगर निगम के रेकार्ड पर गौर करें तो करीब 63 हजार स्ट्रीट लाइट पूरे शहर में लगाई गई है। खराब पड़ी 15 हजार स्ट्रीट लाइटें इसी 63 हजार में शामिल हैं।
जबकि इन स्ट्रीट लाइटों को दुरुस्त करने के नाम पर टेंडर लेने वाली कंपनियां हर महीने में लाखों रुपये का खर्च कागज पर सो करती हैं।
स्ट्रीट लाइट की कंडीशन इस बात की चुगली कर रही है कि लाखों करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद पब्लिक को लाभ नहीं मिल रहा।
बताते चलें कि शहर में स्ट्रीट लाइट लगाने का टेंडर चार कंपनियों एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल), गंगा, न्यू एनर्जी और एसआरएम को मिला है।
इनमें सबसे ज्यादा 41 हजार स्ट्रीट लाइट ईईएसएल के जरिए लगाई गई है। खराब स्ट्रीट लाइट की बाबत पब्लिक व पार्षदों द्वारा की जा रही शिकायत को सुनने वाला कोई नहीं है।
नगर निगम के अधिकारियों को भी इन कंपनियों के जिम्मेदार धता बता रहे हैं। जिससे पब्लिक परेशान हो रही है।


इन वार्डों में बदतर हैं हालात
कनर्लगंज, कटरा, मम्फोर्डगंज, सुलेमसराय, पीपलगांव, राजापुर, हरवारा, म्योराबाद, गोङ्क्षवदपुर, शिवकुटी, स्वराजनगर, लूकरगंज, टैगोर टाउन, जयंतीपुर, मोहत्सिमगंज, शाहगंज, मीरापुर, चकिया, अटाला, अरसुइया, करेली, करैलाबाग, खुल्दाबाद, मु_ीगंज, मेंहदौरी, मधवापुर, फाफामऊ, मालवीय नगर, तेलियरगंज, बघाड़ा, सलोरी, एलनगंज, अलोपीबाग, अल्लापुर, दारागंज, सोहबतिया बाग, बैरहना, सिविल लाइंस आदि वार्डों में स्ट्रीट लाइट खराब है।


खराब पड़ी स्ट्रीट लाइटों को दुरुस्त करने करने के निर्देश दिए गए हैं। इस काम की बराबर मानीटरिंग की जा रही है। काम देख रही कंपनियां यदि समस्या को दूर करने में लापरवाही बरतेंगी तो उनपर कार्रवाई की जाएगी। पार्षदों की शिकायतों को गंभीरता से निस्तारित कराने के प्रयास किए जा रहे हैं।
चंद्रमोहन गर्ग, नगर आयुक्त