प्रयागराज (ब्यूरो)।नगर निगम क्षेत्र के विस्तारित क्षेत्र के 20 वार्डों में विकास का मैप तैयार किया जा रहा है। अति पिछड़े इन वार्डों को शहरी लिबास पहनाने की प्रशासनिक कवायद तेज है। गांवों से कटकर शहर में शामिल हुई इन वार्डों की काया जल्द ही बदल जाएगी। यहां रहने वाले लोगों को शहरी सुविधाओं से लैस किया जाएगा। फिर वह बात पानी की हो या बिजली अथवा सफाई और सड़क की, सब कुछ इन वार्डों में शहर जैसा हो जाएगा। नए वार्डों में कराए जाने वाले विकास कार्यों को नगर सृजन योजना का नाम दिया है। इसी योजना के तहत यहां विकास पर करीब 40 करोड़ रुपयों को खर्च किए जाने की बात कही जा रही है। बजट के रूप में इतने रुपयों का प्रबंध कहां से होगा? इस सवाल का जवाब भी अफसरों ने करीब-करीब खोज निकाला है।
बीस नए वार्डों की बदल जाएगी काया
प्रयागराज शहर अब 80 की जगह 100 वार्डों का हो गया है। बढ़ती शहर की आबादी को देखते हुए सिटी के दायरे का विस्तार किया गया। इस विस्तारीकरण में शहर के आसपास बसे करीब 97 ग्रामसभाओं को नगर निगम क्षेत्र में शामिल किया गया। सर्वे और तमाम गुणा भाग के बाद इन गांवों को 20 वार्डों में बांटा गया। शहर 80 वर्डों का पहले से था और 20 वार्ड बढऩे के बाद शहर में कुल वार्डें की संख्या 100 पहुंच गई। इन्हीं सौ वार्डों में निकाय चुनाव जीत कर बीस नए पार्षद मंगलवार को सदन की पहली बैठक में शामिल होंगे। विभागीय लोग बताते हैं कि नगर क्षेत्र के विस्तारित वार्डों में विकास को लेकर जिम्मेदार दिमागी कसरत शुरू कर दिए हैं।
मूलभूत सुविधाओं में होगा इजाफा
प्लान है कि इन इलाकों में नगर सृजन योजना के तहत विकास के कार्य कराए जाएंगे। इस योजना के तहत अनुमानित बजट का प्रबंधक 15-वें वित्त के मद से करने का प्लान है। कहते हैं करोड़ों रुपये के इस बजट से विस्तारित क्ष्ेत्र में पार्किंग, सड़क, सीवरेज, पेयजल, पार्क, नाली, सामुदायिक भवन, नाला, आंगनबाड़ी केंद्र, स्ट्रीट लाइट, परिषदीय विद्यालय, बाजार डेवलपमेंट, चौराहों का सौंदर्यीकरण जैसी तमाम मूलभूत सुविधाएं की जाएंगी। इन सुविधाओं का लाभ विस्तारित क्षेत्र यानी बीस वार्डों में रहने वाली करीब छह लाख आबादी को मिलेगा।
विस्तारित यानी नए वार्डों में नगर सृजन योजना के तहत विकास कार्यों को गति दी जाएगी। बजट का प्रबंधन करने के लिए शासन को फाइलें मूव कराई गईं। चूंकि इन वार्डों में सब कुछ नए सिरे से किया जाना है। इसलिए बजट भी अधिक खर्च होगा।
सतीश कुमार, चीफ इंजीनियर