प्रयागराज ब्यूरो । खुले हाथ माफिया अतीक अहमद और अशरफ की हत्या करने वाले शूटरों से एसआईटी को डर लग रहा है। शायद यही वजह है कि तीनों शूटरों को हथकड़ी लगाने की इजाजत सीजेएम कोर्ट से मांगी गई है। कोर्ट ने एसआईटी की तरफ से दी गई अर्जी को एक्सेप्ट करते हुए कोर्ट ने शूटरों को हथकड़ी लगाने के लिए सशर्त इजाजत दे दी है। कोर्ट ने कहा है कि हथकड़ी हमेशा नहीं जरूरत के अनुरूप समय-समय पर लगाएंगे। हथकड़ी लगाते वक्त उच्चतम न्यायालय व मानवाधिकार के नियमों का भी पालन करना होगा। इन्हीं शर्तों के साथ सीजेएम कोर्ट के न्यायाधीश दिनेश गौतम ने शूटरों को हथकड़ी लगाने का आदेश एसआईटी को दिया है।
तब हथकड़ी ही बन गयी थी खतरा
अधिवक्ता व गवाह रहे उमेश पाल मर्डर केस में नामजद रहे अतीक अहमद और अशरफ को धूमनगंज पुलिस ने पूछताछ के लिए कस्टडी रिमांड पर लिया था। धूमनगंज पुलिस ने दोनों से करीब 48 घंटे तक पूछताछ की थी। अतीक सजायाफ्ता हो चुका था तो उसे हथकड़ी लगाने के लिए किसी से परमिशन की जरूरत नहीं थी। लेकिन, अशरफ पर किसी भी मामले में दोष सिद्ध नहीं हुआ था। इसके बाद भी पुलिस ने दोनों को रिमांड पर लिया तो दोनों को हथकड़ी को अलग अलग पहनायी लेकिन डोर एक ही रखी थी। उमेश पाल की हत्या के समय अतीक अशरफ दोनो जेल में थे। यह अलग बात है कि उनका अपराध जगत में नाम ज्यादा बड़ा था। इसलिए पुलिस ने पूरा एहतियात बरता था। हालांकि यह भी एक बड़ा कारण बन गया दोनों को एक साथ मौत के घाट उतार दिये जाने का। दोनों की हथकड़ी की रस्सी एक ही न होती तो शायद दोनों न मारे जाते। फिर सीन कुछ और भी निकलकर सामने आ सकता था।
कहा कि खूंखार हैं तीनों शूटर
अतीक और अशरफ की हत्या पुलिस कस्टडी में और लाइव कैमरे के सामने हुई थी। स्पॉट काल्विन हॉस्पिटल गेट के अंदर था। इतने बड़े अपराधी भाईयों की इस तरह से हत्या करके सनसनी फैलाने वाले तीनों हत्यारों ने घटना के तत्काल बाद सरेंडर कर दिया था। इस केस की जांच के लिए अधिकारियों के द्वारा एसआईटी टीम गठित की गई है। पूछताछ के लिए तीनों शूटर लवलेश तिवारी, मोहित उर्फ शनि पुराने व अरुण कुमार मौर्य को एसआईटी के द्वारा 19 अप्रैल को दो बजे कस्टडी रिमांड लिया गया। रिमांड के वक्त एसआईटी को खुले हाथ शूटरों से खौफ लगने लगा। सीजेएम कोर्ट से एसआईटी के जरिए तीनों शूटरों को हथकड़ी लगाने की इजाजत मांगी। कहा गया कि तीनों खूंखार किस्म के शूटर हैं। इसलिए उन्हें हथकड़ी लगाने की इजाजत दी जाय। इस अर्जी पर सीजेएम कोर्ट के द्वारा एसआईटी को इस शर्त पर कि वह शीर्ष अदालतों एवं मानवाधिकारों के आदेशों को ध्यान में रखते हुए हथकड़ी लगा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट अथवा मानवाधिकार के नियमों की अवहेलना होने पर खुद एसआईटी जिम्मेदार होगी।
एसआईटी के द्वारा शूटरों को हथकड़ी लगाने की याचना कोर्ट से की गई थी। इस पर सीजेएम कोर्ट ने सशर्त तीनों शूटरों को समय-समय पर हथकड़ी लगाने की इजाजत दे दिया है।
गुलाबचंद्र अग्रहरि
जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी