प्रयागराज (ब्यूरो)। सोमवार की सुबह आठ बजे फाफामऊ का 85.93 मीटर, छतनाग का 85.08 मीटर एवं नैनी का 85.86 मीटर पर पानी स्थिर हो गया था। यह स्थिति दोपहर दो बजे तक रही। उसके बाद चार बजे से जलस्तर में वृद्धि शुरू हो गयी।

चार बजे की रिपोर्ट के अनुसार फाफामऊ 85.91 मीटर, छतनाग 85.10 मीटर एवं नैनी 85.89 मीटर पर पहुंच गया। लाखों लोगों को अपना घर-बार छोड़कर शरणार्थी शिविरों में शरण लेनी पड़ी थी।

शहर के अशोक नगर, मेंहदौरी, छोटा बघाड़ा, चांदपुर सलोरी, दारागंज, कसारी-मसारी, नुरुल्ला रोड, तेलियरगंज, ऊंचवागढ़ी, नेवादा, राजापुर, रसूलाबाद, ककरहा घाट से मां ललित देवी मंदिर तक पानी भरा हुआ है

यह आ रही समस्या
प्रशासन ने बाढ़ से प्रभावित होने वाले लोगों के लिए शहर में 17 राहत शिविर बनाए हैं। इन शिविरों में अब तक करीब छह हजार लोग शरण लिए हुए हैं। बाढ़ से घिरे घरों में रह रहे लोगों की मदद के लिए प्रशासन ने 128 नावों को लगाया है। करीब 1200 परिवार ऐसे है। जिनके घर पानी से पूरी तरह से घिर गए हैं। बाढ़ से घिरने वाले घरों में बच्चों को दूध और बड़ों को फल-सब्जी नहीं मिल पा रही है। प्रशासन द्वारा किये जा रहे मदद की ठंडी पड़ गई है। इन राहत शिविरों में लोगों को पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। गंदगी और पर्याप्त साफ-सफाई न होने से बीमारी फैलने का खतरा है। मच्छर अलग परेशान कर रहा है।

1978 और 2013 में आई बाढ़ दिला रही याद
साल 2013 की बाढ़ में फाफामऊ जलस्तर 86.82 मीटर, छतनाग 86.04 मी। एवं नैनी 86.60 मीटर पर था। जबकि सबसे भयंकर बाढ़ 1978 में थी। जिसका जलस्तर फाफामऊ में 87.98 मी, छतनाग का 88.03 मी एवं नैनी का 87.99 मीटर था। लोगों को वह सब बाढ़ का दृश्य याद आने पर भय सताने लगा है कि कहीं वही हाल फिर से न हो। इन जगहों पर रहने वाले लोगों को 1978 और 2013 में आई बाढ़ की याद दिला रही है। नदियों के आसपास रहने वाले गांव और शहर के कछारी इलाकों में जाकर सस्ती जमीनों पर घर बनाने वाले सबसे ज्यादा प्रभावित है। अपने ही शहर में लोग रिफ्यूजी की तरह रहने को मजबूर है। हजारों की संख्या में प्रभावित लोग अपने रिश्तेदारों, परिचितों और शरणार्थी शिविरों में डेरा जमाए हुए है।