प्रयागराज ब्यूरो । मोबाइल सिम कार्ड दूसरे का और यूज कर रहे हैं तो सावधान हो जाइए। क्योंकि इस तरह के सिम कार्ड को कंपनी किसी भी समय बंद कर देगी। सिम कार्ड बंद होने के बाद वह तब तक काम नहीं करेगा, जब तक कि आप कंपनी के सेंटर पर जाकर वेरीफिकेशन नहीं करा लेंगे। सिम कार्ड की सिक्योरिटी को लेकर यह कंपनियों के द्वारा बरती जा रही इस सख्ती के पीछे का कारण ह्लह्म्ड्डद्ब/ट्राई यानी (टेलीकॉल रेगुरेटरी ऑफ इंडिया) का आदेश है। यह कदम दिनों-दिन बढ़े साइबर क्राइम पर ब्रेक लगाने और ऐसे अपराधों में फंस रहे निर्दोष व्यक्तियों को बचाने के उद्देश्य से उठाया गया है। यदि आप भी दूसरे के नाम पर लिए गए सिम कार्ड का यूज कर रहे हैं तो आप के लिए 'दैनिक जागरण आईनेक्स्टÓ की गई पड़ताल पर आधारित यह खबर काफी अहम है। इस पूरी खबर को पढि़ए और सिम चालू रखने के लिए बताए गए तरीकों पर अमल करिए।

फिर सिम चालू कराने में झेल जाएंगे आप
साइबर फ्राड यानी क्राइम करने वाले शातिरों के जरिए दूसरों के नाम पर लिए गए सिम का प्रयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है। यही वजह है कि साइबर एक्सपर्ट को उन तक पहुंचने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। अपराध के बाद मोबाइल नंबरों की जांच में पता चलता है कि सिम कार्ड जिसके नाम है, वह व्यक्ति उस नंबर का यूज कर ही नहीं रहा है। छानबीन में पता चलता है कि जिस नंबर से अपराध किया गया है उसका मालिका काफी गरीब या मिडिल क्लास का साधारण व्यक्ति है। चूंकि सिम उस व्यक्ति के नाम होता है लिहाजा उसे साइबर क्राइम के बाद पूछताछ और तमाम कानूनी प्रक्रियाओं का सामना करना पड़ता है। साइबर क्राइम थाना के एक्सपर्ट द्वारा पिछले महीनों में किए गए गई खुलासों से भी यह बात साबित हुई है। एक्सपर्ट बताते हैं कि साइबर फ्राड दूसरे के नाम पर का सिम यूज कर रहे थे। सिमकार्ड में दिए गए आधार कार्ड के आधार पर पुलिस पहुंची तो पता चला कि उस व्यक्ति को इस नंबर के बारे में कुछ जानकारी ही नहीं थी। चूंकि लाखों रुपये के ठगी के मामले थे लिहाजा, पुलिस को उन व्यक्तियों से पूछताछ और बयान लेने जैसी प्रक्रियाओं का पालन करना ही पड़ा। इस तरह की स्थितियों पर रोक लगाने के लिए ही (टेलीकॉल रेगुरेटरी ऑफ इंडिया) ने सिम कार्ड कंपनियों को कार्ड वेरिफिकेशन का आदेश दिया है।

कंपनियां मैसेज कर रहीं अलर्ट
बताते चलेंकि (टेलीकॉल रेगुरेटरी ऑफ इंडिया) ही वह सरकारी विभाग है जो सारी सिम कार्ड बनाने वाली कंपनियों को गवर्न करता है। शिकंजा कसने के बाद अब कंपनियां अपने ग्राहकों को फोन और मैसेज करके वेरीफिकेशन कराने के लिए प्रेरित कर रही हैं। बावजूद इसके लिए लोग अपने सिम कार्ड का वेरीफिकेशन कराने में लापरवाही बरत रहे हैं। ऐसे लोगों को एक टाइम देकर कंपनियां उनके सिम की आउट गोइंग ही नहीं, हर तरह की सुविधाएं बंद कर दे रही हैं। एक बार सिम कार्ड बंद होने के बाद दोबारा उसे चालू कराने में कई तरह की कानूनी प्रक्रियाओं का सामना तो करना ही पड़ेगा। हफ्ता से पंद्रह दिन का समय भी लग सकता है।