प्रयागराज (ब्यूरो)। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए संस्थान ने गंगा के बहने वाले मार्ग जैसे उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड और पश्चिम बंगाल में 'नमामि गंगे परियोजना के तहत बीते 14 मई से कई विभिन्न कार्यक्रम जैसे मत्स्य बीज को गंगा में छोडऩा, डॉल्फिन व जल संरक्षण और जन जागरूकता का आयोजन किया जा रहा है। रैचिंग कार्यक्रम का शुभारम्भ 14 मई को बैरकपुर से 'राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशनÓ के महानिदेशक अशोक कुमार ने किया और मंगलवार यह कार्यक्रम सरयू नदी के तट पर स्थित अयोध्या में किया गया।
मछलियों का आनुवंशिक शुद्धता बना रहेगा
नमामि गंगे, प्रयागराज के राजेश शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि इसके तहत दो लाख भारतीय प्रमुख कार्प मछलियों के अंगुलिकाओं को सरयू नदी में छोड़ा गया। इनका प्रजनन गंगा नदी से पकड़ी गई ब्रूडर से किया गया है। इस कारण नदी में छोडऩे के बाद मछलियों का आनुवंशिक शुद्धता बना रहेगा। कार्यक्रम में संस्थान के निदेशक तथा परियोजना के मुख्य अन्वेषक डा। बीके दास ने परियोजना के प्रमुख उद्देश्यों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि रोहू, कलबासु और मृगाल-नैनी जैसी मछलियां न केवल नदी के स्टॉक में वृद्धि करेंगी बल्कि नदी की स्वच्छता को बनाए रखने में भी मदद करेंगी।