बेड के बाद हॉस्पिटल्स में ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी

डिमांड के अनुरूप नही हो पा रही सप्लाई, दूसरे शहरों से संपर्क कर रहे हॉस्पिटल्स

लापरवाही से लगातार बढ़ रहे हैं कोरोना के सीरियस मरीज

कोरोना के मरीजों की संख्या इस कदर बढ़ रही है कि हॉस्पिटल्स में अब बेड के बाद कृत्रिम ऑक्सीजन की कमी भी होने लगी है। चार-पांच दिनों से पटरी से उतरी ऑक्सीजन सप्लाई से डरे हॉस्पिटल्स ने नए मरीजों को भर्ती करने में मजबूरी जतानी शुरू कर दी है। इससे सीरियस मरीजों के लिए नई मुसीबतें खड़ी हो गई हैं। खासकर प्राइवेट हॉस्पिटल्स ने दूसरे शहरों से इस कमी को पूरा करने के लिए संपर्क करना शुरू कर दिया है।

अचानक बढ़ गई है डिमांड

पिछले साल कोरोना सीजन में भी सीरियस मरीज थे लेकिन ऑक्सीजन की इतनी अधिक डिमांड नही थी। इस बार स्थिति एकदम उलट है। कोरोना इंफेक्शन से ग्रसित फेफड़े के इनवाल्व मरीजों की अधिक है जिससे इन सभी को कृत्रिम ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ रही है। जानकारी के मुताबिक कुल डिमांड का दो तिहाई सप्लाई ही इस समय हो पा रही है।

इन हॉस्पिटल्स में है ज्यादा डिमांड

शहर में इस समय एसआरएन और बेली हॉस्पिटल के अलावा प्राइवेट हॉस्पिटल्समें भी मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। जिनमें यूनाइटेड मेडिसिटी, यश हॉस्पिटल, वात्सल्य हॉस्पिटल, नारायण स्वरूप हॉस्पिटल, विनीता हॉस्पिटल और आशा हॉस्पिटल शामिल हैं। इनमें भर्ती सीरियस मरीजों को कृत्रिम ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ रही है। हॉस्पिटल संचालकों का कहना है कि डिमांड के अनुरूप ऑक्सीजन सिलेंडर नही मिलने से क्षमता से कम मरीजों को भर्ती करना पड़ रहा है। 17 अप्रैल से नए प्राइवेट हॉस्पिटल्स भी कोरोना मरीजों को भर्ती करने जा रहे हैं और इनके यहां अभी से ऑक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई को लेकर जद्दोजहद शुरू हो गई है।

तेजी से खाली हो रहे सिलेंडर

कोरोना के सीरियस मरीजों को हॉस्पिटल्स में हाई फ्लो ऑक्सीजन दी जा रही है।

यह ऑक्सीजन इतनी स्पीड से प्रेशर के साथ दी जाती है जिससे इसकी खपत अधिक होती है।

इसके अलावा बहुत से ऐसे मरीज हैं जिनको हॉस्पिटलस में बेड नही होने पर घर पर आइसोलेट किया गया है।

इनको भी ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही है।

650

जंबो ऑक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई हो रही है पर डे

120

छोटे आक्सीजन सिलेंडर का हो रहा है इस्तेमाल

70

से अधिक ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की रोजाना सप्लाई की जा रही है

सरकारी हॉस्पिटल्स में सप्लाई पर जोर

प्रशासन का कहना है कि कृत्रिम ऑक्सीजन बनाने वाली कंपनियां सरकारी हॉस्पिटल्स में सप्लाई को अधिक प्राथमिकता दें। इसके बाद प्राइवेट हॉस्पिटल्स को तरजीह दी जाए। बता दें कि प्रयागराज में सबसे ज्यादा कोरोना मरीज एसआरएन हॉस्पिटल में भर्ती हैं। वहां सबसे ज्यादा ऑक्सीजन की खपत है। इसके बाद बेली हॉस्पिटल और प्राइवेट में यूनाइटेड मेडिसिटी हॉस्पिटल का नंबर है।

दूसरे शहरों ने खड़े किए हाथ

कृत्रिम ऑक्सीजन की सप्लाई पूरी करने में आसपास के दूसरे शहर भी काम नही आ रहे हैं। इस समय लखनऊ, कानपुर, वाराणसी आदि शहरों में भी कोरोना संक्रमण लगातार पैर पसार रहा है। ऐसे में यहां की कपंनियों ने दूसरे शहरों में सप्लाई देने में असमर्थता जताई है। छोटे शहरों में एक दो छोटे प्लांट जरूर लगे हैं लेकिन उनकी कैपिसिटी काफी कम है।

हम लगातार कोशिश कर रहे हैं कि हॉस्पिटल्स में पर्याप्त मात्रा में बेड और ऑक्सीजन मौजूद हो। इसके लिए डिमांड और सप्लाई के बीच अंतर को कम किया जा रहा है। मरीजों की संख्या अधिक होने से थोड़ी दिक्कत हुई लेकिन उसे जल्द ही दूर कर दिया जाएगा।

डॉ। वीके मिश्रा

एसीएमओ स्वास्थ्य विभाग प्रयागराज