प्रयागराज (ब्यूरो)। बीमार शिवांग त्रिपाठी का मामला अगर मीडिया के संपर्क में नही आया होता तो शायद उसे मौके पर इलाज भी नसीब नहीं होता। क्योंकि कोरोना काल में अनाथ हुए इस बच्चे को स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की ओर से आयुष्मान कार्ड देकर खानापूर्ति तो कर ली गई, लेकिन इसे एक्टिव नही किया गया। असलियत तब सामने आई जब शिवांग बीमार हुआ और अस्पताल ने कार्ड इनएक्टिव देखकर इलाज करने से मना कर दिया। मामले की जानकारी होने पर मीडिया की दखलअंदाजी के बाद प्रशासन ने बच्चे का अपनी ओर से इलाज कराया। हालांकि शिवांग के रविवार को अस्पताल से डिस्चार्ज होने तक आयुष्मान कार्ड एक्टिव नही हो सका था।
बाद में कराया जाएगा भुगतान
कोरोना काल में जिले के 13 बच्चे माता-पिता की डेथ होने से अनाथ हो गए थे। इनमें से शिवांग भी शामिल है। गुरुवार को तबियत खराब होने पर उसे अल्लापुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। परिजनों का आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से सभी बच्चों को जो आयुष्मान कार्ड दिए गए वह एक्टिव ही नही थी। इससे अस्पताल ने उसका इलाज नही किया। मीडिया में खबर प्रकाशित होने के बाद प्रशासन के दखल पर अस्पताल ने इलाज मुहैया कराया। कार्ड एक्टिव होने के बाद अस्पताल का उसी से भुगतान कराया जाएगा।
दिल्ली भेजे गए हैं कार्ड
इस मामले के बाद प्रशासन ने सभी बच्चों का आयुष्मान कार्ड लेकर उसे स्वास्थ्य विभाग को मुहैया करा दिया है। उनका कहना है कि अब यह कार्ड दिल्ली से एक्टिव कराए जाएंगे। इसके बाद बच्चे सालाना पांच लाख रुपए तक का फ्री इलाज करा सकेंगे। शिवांग अकबरपुर के रहने वाले हैं और उनके पिता शैलेंद्र तिवारी जवाहर नवोयद विद्यालय में लेक्चरर थे। माता अंजू तिवारी गृहणी थीं। दोनों कोरोना की चपेट में आ गए थे और 17 और 19 अप्रैल को दोनों की एक-एक कर डेथ हो गई।
वर्जन
आयुष्मान कार्ड स्वास्थ्य विभाग को दिए गए हैं। इनको एक्टिव कराने की प्रक्रिया चल रही है। अस्पताल को कहा गया है कि आप इलाज करिए और परिजनों का पैसा वापस कर दीजिए। कार्ड एक्टिव होने के बाद इलाज का पैसा मुहैया करा दिया जाएगा।
पंकज मिश्रा, जिला प्रोबेशन अधिकारी प्रयागराज