प्रयागराज (ब्यूरो)। इंटरव्यू से बाहर हुए अभ्यर्थियों का कहना है कि प्राविधिक कला विषय भवन निर्माण से जुड़ा है। साथ ही यूपी बोर्ड के अलावा सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड में ये विषय है हीं नही। जबकि बैचलर ऑफ फाइन आर्ट और मास्टर आफ फाइन आर्ट विषय में कई क्षेत्र में शामिल है। ऐसे में उन डिग्री धारकों को ये कहकर इंटरव्यू से बाहर कर देना कि उनके पास इंटरमीडिएट में प्राविधिक कला या आर्ट विषय नहीं है। इसलिए वह प्रवक्ता कला पद पर चयन के लिए अर्ह नहीं है। ये पूरी तरह से गलत है। बीएचयू के शोध के छात्र राममनोज का कहना है कि देश के सर्वश्रेष्ठ संस्थान बीएचयू में कला क्षेत्र की सबसे बड़ी उपाधि को नजरअंदाज कर ,उसके स्थान पर जिन्ना जैसे लोगों के देश पाकिस्तान का सबसे छोटे प्रमाण पत्र को वरीयता दिया जा रहा है। ये दुर्भाग्यपूर्ण है। बालिका वर्ग मे लखनऊ कला एवं शिल्प विश्वविद्यालय की छात्रा खुशबू भदौरिया को बीएफए टेक्सटाइल विषय होने के कारण इंटरव्यू से वंचित कर दिया गया।
2016 तक पीजीटी में नहीं थी अनिवार्यता
प्रवक्ता कला 2021 के इंटरव्यू से बाहर किए गए अखिलेश वाजपेयी ने कहा कि 2013 में पीजीटी और टीजीटी आर्ट टीचर के लिए अर्हता में प्राविधिक कला की अनिवार्यता नहीं थी। इसके बाद बोर्ड की ओर से 2016 मे विज्ञापन जारी किया गया। इसमें टीजीटी में प्राविधिक कला को लागू किया गया। हालांकि उस समय पीजीटी में इसे अनिवार्य नहीं किया गया था। 2021 के विज्ञापन में इसे पीजीटी कला के लिए भी लागू कर दिया गया है। जिसके कारण आर्ट की बड़ी डिग्री होने के बाद अभ्यर्थी बाहर हो गए है।
100 साल बाद भी चयन बोर्ड में नहीं बदली नियमावली
यूपी में माध्यमिक शिक्षा अधिनियम 1921 आज भी लागू है। जबकि इस अधिनियम के बनने के बाद शिक्षा के क्षेत्र में कई स्तर पर विस्तार हो चुका है। शिक्षा व्यवस्था और बेहतर हो गई है। उसके बाद भी माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड आज भी लकीर का फकीर बना हुआ है। पीजीटी आर्ट 2021 की लिखित परीक्षा में सफल होने के बाद इंटरव्यू से डिग्री नहीं होने के कारण निकाले गए अभ्यर्थियों का कहना है इंटरमीडिएट में भले ही उनके पास आर्ट या प्राविधिक शिक्षा का सर्टिफिकेट नहीं है। लेकिन उन्होंने उससे बेहतर डिग्री बीएफए और एमएफए को देश के बड़ी यूनिवर्सिटी से हासिल किया है। ऐसे में छोटी डिग्री के चक्कर में हायर एजूकेशन वाले अभ्यर्थियों को बाहर करना कितना उचित है।
पाकिस्तान कर डिप्लोमा सर्टिफिकेट मान्य
पीजीटी कला 2021 के इंटरव्यू से बाहर किए गए अभ्यर्थी अखिलेश वाजपेयी ने बताया कि बोर्ड की ओर से जारी अर्हता में पाकिस्तान की डिग्री मान्य है। बंटवारे और कई बार के युद्ध के बाद भी बोर्ड की ओर से ये डिप्लोमा सर्टिफिकेट को मान्य किया गया है। इसमें मेव स्कूल आफ आर्ट लाहौर, पाकिस्तान के डिप्लोमा को मान्य किया गया है। जबकि बनारस हिंदी विश्व विद्यालय जैसे संस्थान से कला मे शोध कर रहे अभ्यर्थियों को डिग्री नहीं होने के कारण इंटरव्यू से बाहर कर दिया गया।
इस प्रकार की चीजें गलत है। ये प्रकरण पहली बार सामने आया है। लास्ट इयर आर्ट के अभ्यर्थियो की समस्या सीएम के सामने रखी गई थी। अगर इस प्रकार रहा तो बीएफए, एमएफए जैसी डिग्री बेकार हो गई। वहीं पाकिस्तान का सर्टिफिकेट मान्य है। ये विडंबना है।
सीता राम कश्यप, अध्यक्ष ललित कला अकादमी
पढ़ाई के क्षेत्र में तेजी से बदलाव हो रहा है। हर जगह अच्छे डिग्री होल्डर लोगों को वरीयता दी जा रही है। जबकि चयन बोर्ड लकीर का फकीर बना है। अगर यही हाल रहा तो बीएफए, एमएफए और अवार्ड जीतने वाले अभ्यर्थी की मेहनत और प्रयास बेकार हो जाएगा।
अखिलेश वाजपेयी, अभ्यर्थी
देश के सर्वश्रेष्ठ संस्थान बीएचयू में कला क्षेत्र की सबसे बड़ी उपाधि को नजरअंदाज कर ,उसके स्थान पर जिन्ना जैसे लोगों के देश पाकिस्तान का सबसे छोटे प्रमाण पत्र को वरीयता दिया जा रहा है। ये दुर्भाग्यपूर्ण है।
राममनोज, शोधार्थी, बीएचयू
अच्छी डिग्री हासिल करके जॉब करने की चाहत चयन बोर्ड के लिए बेमानी है। उनको पुराने ढर्रे पर चलना है। जबकि दुनियां कहां से कहां पहुंच गई। इस नियम के हिसाब से सीबीएसई और आईसीएसई के स्टूडेंट्स कभी आर्ट टीचर बन ही नहीं सकते है।
रजनी बंसल, दृश्य कला