प्रयागराज ब्यूरो । अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस पर इलाहाबाद म्यूजियम प्रांगण में जबरदस्त भीड़ उमड़ी रही। संग्रहालय की 18 वीथिकाओं को दर्शकों ने कई घंटे एकटक निहारा। साथ ही जमकर प्रशंसा भी की। उनका कहना था कि यहां आने के बाद देशभक्ति की भावना का संचार हुआ और आजादी के संघर्षों की जानकारी भी हुई। इसके साथ ही रूसी चित्रकार निकोलस रोरिक और बौद्ध थंका के चित्र आकर्षण का केंद्र बने रहे।

सुबह से पहुुंचने लगे थे लोग

अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस पर शनिवार को सुबह से ही म्यूजियम में भीड लग गई थी। इस विशेष मौके पर संग्रहालय की ओर से प्रवेश शुल्क माफ कर दिया गया था। इस कारण भीड़ में भी काफी इजाफा हो गया। लोगों को प्रवेश गेट नंबर दो से दिया गया था। देखते ही देखते दोपहर बारह बजे तक सैकड़ों की संख्या में लोग म्यूजियम के भीतर थे। इनमें स्कूल व कॉलेजों के बच्चे भी शामिल थे। जिनको स्कूल प्रबंधन ने संग्रहालय देखने भेजा था।

इन्हें देखने के लिए रहे व्याकुल

दर्शकों के लिए सभी 18 वीथिकाएं आकर्षण का केंद्र बनी रहीं। इनमें सेंट्रल एसेंबली में बम फेकने की धटना, चटगांव शस्त्रगार छापा, राइटर्स बिल्डिंग की घटना से जुड़ी जानकारी प्राप्त करने के लिए युवा वहां मौजूद थे। इसके अलावा रूसी चित्रकार निकोलस रोरिक और बौद्ध थंका के चित्र देखने वालों की भी भीड़ लगी रही। निकोलस रोरिक के चित्रों में तन्मयता, प्रकाश वेदन, पवित्र मेषपाल, चेतना का निवास खासे पसंद आए। युवाओं में काकोरी की घटना देखने के लिए भी खासी भीड़ लगी रही। अमरशहीद चंद्र शेखर आजाद की कोल्ट पिस्टल को देखने और उसके बारे में जानने के लिए भी लोग उत्सुक रहे। सबसे ज्यादा भीड़ युवाओं की स्वतंत्रता के संघर्ष के बारे में जानने को लेकर थी।

संग्रहालय दिवस पर हुई कई प्रतियोगिताएं

इस दौरान पीपीटी, कंटेंट राइटिंग और चित्रकला प्रतियोगिताओं में स्कूली बच्चे शामिल रहे। उन्होंने इन प्रतियोगिता में अपने टैलेंट के साथ ज्ञान का भी परिचय दिया। इस दौरान जितनी भी प्रतियोगिताएं हुई वह सभी संग्रहालय के महत्व और इतिहास पर ही केंद्रित रहीं।

वर्जन- फोटो

संग्रहालय दिवस पर आकर बहुत अच्छा लगा। हिस्ट्री के बारे में काफी कुछ जानने को मिला। हमें भी इतना पता नही था, लेकिन सबकुछ विस्तार से जानने को मिला।

शिल्पी

स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में दिल में इज्जत और अधिक बढ़ गई। यहंा की वीथिकाओं मेंं बताया गया कि आजादी के सघर्ष में उनका क्या योगदान रहा है। युवाओं को इनसे प्रेरित होकर सीखना चाहिए।

वंदना

रूसी चित्रकार निकोलस रोरिक की चित्रकारी देखने लायक है। इनके चित्रों के कई आयाम हैं। इनको हम लोगों ने काफी गौर से देखा। साथ ही बौद्ध थंका चित्रो ंकी वीथिका के चित्र भी अनूठे हैं।

अंजली

अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद ने आजादी की लड़ाई में अहम योगदान दिया है। आज उनकी कोल्ट गन देखी। इसके बारे में जानकारी भी मिली। साथ ही भगत सिंह और उनके साथियों के बलिदान को भी करीब से जाना

आयुषी