छह साल घर से भाग निकली थी किशोरी, समाजसेवी के प्रयास से संभव हुआ बेटी का परिवार से मिलन

बेटी से मिलकर फूट फूट कर रोए माता-पिता

रीयल लाइफ की यह स्टोरी कुछ साल पहले रिलीज हुई मूवी बजरंगी भाईजान की स्टोरी से काफी मिलती जुलती है। मूवी में कैरेक्टर को वायरल वीडियो से सिम्पैथी मिलती है जो परिवारवालों से बिछड़ी किशोरी को सरहद पार उसके देश नियम तोड़कर पहुंचाने पहुंचा था। इस केस में भी वायरल वीडियो ने इंपार्टेट रोल प्ले किया है। लीड रोल प्ले किया है एक सोशल एक्टिविस्ट ने। छह साल पहले परिवारवालों से बिछड़ी बालिका बुधवार को परिवार के बीच पहुंची तो परिजनों की आखों से आंसू छलक पड़े।

वायरल वीडियो देखकर लगाया पता

इस रीयल लाइफ स्टोरी में बजरंगी भाई जान की भूमिका में हैं करेली के समाजसेवी अरशद नवाज। शाहिदा की भूमिका में है शाहीन। पत्रकार चांद नवाब की भूमिका में है जर्नलिस्ट अनवार खान। कहानी शुरू होती है 28 मई की रात से। अरशद नवाज के फोन पर एक वायरल वीडियो मैसेज आता है जिसमें 17 साल की एक किशोरी अपने परिवार से मिलाने की अपील कर रही है। गाजियाबाद के शेल्टर ग्रेस केयर होम से जारी इस वीडियो को देखकर अरशद की इंसानियत जाग गई। अरशद बताते हैं कि वीडियो में लड़की शाहीन अपना पता इलाहाबाद के ममफोर्डगंज मस्जिद के पास बताती है। मैंने तत्काल यह वीडियो कई मीडिया ग्रुप में शेयर किया। इसमें से ममफोर्डगंज के पत्रकार अनवार खान का रिप्लाई आया। उन्होंने 29 मई की सुबह बताया कि इस लड़की का परिवार पहले यहां रहता था। परिवार अब म्योराबाद में रहता है। परिवार में पिता सलीम और मां तबस्सुम हैं। दो छोटे भाई मेराज और शेराज भी हैं। इसी दिन अरशद म्योराबाद स्थित सलीम के घर पहुंच गए और उन्हें वीडियो दिखाया। सलीम ने बताया कि यह उनकी बेटी शाहीन है। 2015 में वह घर से निकली तब से लौटना नहीं हुआ है।

मदद को आगे आए मजिस्ट्रेट

29 मई की दोपहर में अरशद ने जूविनाइल कोर्ट मजिस्ट्रेट मो। हसन जैदी से मुलाकात की। उन्होंने लड़की की घर वापसी के लिए गाजियाबाद की मजिस्ट्रेट मधु मैम वा सीएडब्ल्यूसी मेंबर वंदना मित्तल से फोन पर बात की। इसके बाद ग्रेस केयर होम के एडमिनिस्ट्रेटर सुमित से भी मजिस्ट्रेट ने बात की। सब कुछ फाइनल होने के बाद अरशद ने देर शाम शाहीन के परिवार की बेटी से वीडियो कॉल पर बात भी कराई। मोबाइल पर बेटी को देखकर पूरा परिवार की खुशी का ठिकाना न रहा। इसी दिन रात में शाहीन के पिता सलीम और उनके बड़े भाई प्रयागराज एक्सप्रेस से गाजियाबाद के लिए रवाना हो गए। उनके टिकट का इंतजाम अरशद व उनके साथ अब्दुल सलाम ने किया।

तीन दिन में पूरी हुई कानूनी प्रक्रिया

अरशद बताते हैं कि तीन दिन तक शाहीन के पिता और दादा गाजियाबाद में रहे। इस दौरान सभी कानूनी प्रक्रिया पूरी की गई। इस बीच अरशद ने इलाहाबाद में रहकर उनकी पूरी मदद की। एक जून की शाम को ट्रेन में बैठकर शाहीन अपने पिता के साथ इलाहाबाद पहुंची। यहां पर खुद अरशद ने उनका स्वागत किया। बुधवार मार्निग जैसे ही शाहीन अपने घर पहुंची उसकी मां देखकर फफक पड़ी।

छह साल तक पछताई शाहीन

17 साल की शाहीन ने जब घर छोड़ा था तब वह महज 11 साल की थी। वह बताती है कि वह घर से निकलने के बाद भटकते हुए स्टेशन पहुंच गयी। ट्रेन में बैठी और मुंबई पहुंच गई। वहां पर उसकी मुलाकात दो महिलाओं से हुई। भली महिलाओं ने उसे डोंगरी के अनाथालय में पहुंचा दिया। वहां शाहीन की काउंसिलिंग हुई लेकिन वह घर सही पता नहीं बता सकी। अनाथालय वालों ने उससे कहा कि वह आगे पढ़ना चाहती है तो उसे दिल्ली भेजा जाएगा। शाहीन कुछ दिन आशादीप दिल्ली में रही लेकिन यह शेल्टर बंद हो गया तो शाहीन को 2019 में गाजियाबाद के ग्रेस केयर होम में शिफ्ट कर दिया गया।

नर्स बनना चाहती है

शाहीन के पिता सलीम ई-रिक्शा चला रहे हैं। उनका और बड़े भाई का परिवार संगठित रूप से रहता है। सलीम कहते हैं कि उनकी बेटी नर्स बनना चाहती है। परिवार की माली हालत बहुत अच्छी नहीं है लेकिन वह किसी तरह से बेटी का दाखिला किसी नर्सिग स्कूल में कराने की कोशिश करेंगे। छह साल बाद मिली बेटी की वह हर खुशी पूरी करेंगे और अब उसे अपने से दूर नहीं होने देंगे।

यह वीडियो कई ग्रुप में वायरल हो रहा था। मैंने देखा तो लगा कि शाहीन को उसके परिवार से मिलाना चाहिए।

अरशद नवाज, समाजसेवी

लड़की को उसके घर भिजवा दिया गया है। सभी की मदद से वह सही सलामत अपने घर पहुंच गई।

पंकज मिश्रा, डीपीओ प्रयागराज