प्रयागराज ब्यूरो ।हुसैनी कमेटी दांदूपुर की ओर से रविवार को बहत्तर ताबूत निकाले गए। मौलाना सैयद नजर अब्बास जैदी की मंजरकशी के साथ एक-एक कर निकले बहत्तर ताबूत, शबीहे जुल्जनाह, हजरत अब्बास के अलम और हजरत अली
असगर के झूले की जियारत के लिए हुसैनियों का सैलाब उमड़ पड़ा। करबला में यजीदी लश्कर की ओर से पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन और उनके 71 अन्य साथियों की शहादत की याद में अजादारों की आंखे नम हो गईं। स्याल लिबास में जुलूस में पहुंचे हुसैन के शैदाइयों के चेहरे उदास रहे। तालाब वाली मस्जिद परिसर में जोहर की नमाज के बाद सभी 72 ताबूत निकाले गए। मस्जिद परिसर में ही देर शाम तक ताबूत को जियारत के वास्ते रखा गया, जिसकी जियारत के लिए अकीदतमंदों का तांता लगा रहा। अनीस जायसी के संचालन में हुई 72 ताबूत की मंजरकशी से पहले हुई मजलिस को दिल्ली से आए मौलाना सैयद अली हैदर नकवी ने खिताब किया। उन्होंने मजलिस में इमाम हुसैन के करबला आने और उनकी कुर्बानी के मकसद को बयान किया, कहा कि इमाम हुसैन ने इंसानियत को बचाने के लिए अपने और अपने पारिवारिक सदस्यों समेत 72 लोगों की कुर्बानी दी। सोजख्वान जाकिर हुसैन और मर्सियाख्वान ताजदार अब्बास ने अपने नजराने अकीदत पेश कर मोमिनीन को भावुक कर दिया। वहीं मध्य प्रदेश से आए मौलाना नजर अब्बास ने एक एक कर सभी 72 शहीदों का पैंगबरे इस्लाम और खानदाने रिसालत से रिश्ता बयान किया। जुलूस करबला पर पहुंचकर समाप्त हुआ, जहां मौलाना हैदर अब्बास ने आखिरी तकरीर की। इसके बाद इमाम हुसैन के ताबूत को सुपुर्दे खाक किया गया।