- लक्षणों वाले मरीज भी होम आइसोलेशन के लिए कर रहे जिद

- पांच दिन के भीतर ही मरीजों को एसआरएन किया गया रेफर

- डॉक्टर्स की राय, सभी के लिए नहीं है होम आइसोलेशन

होम आइसोलेशन की सुविधा कोरोना के लक्षण वाले या गंभीर मरीजों के लिए नहीं है। यह केवल बिना लक्षण वाले पाजिटिव व्यक्तियों के लिए है। लेकिन इतनी सी बात लोग समझने की कोशिश नहीं कर रहे हैं। संक्रमित पाए जाने के बाद वह जबरन घर पर रहने की जिद कर रहे हैं जिसके परिणाम अच्छे नहीं आ रहे हैं। ऐसे कुछ मरीजों को शुरुआती पांच दिनों के भीतर ही आनन-फानन में एसआरएन हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ा है।

घातक भी साबित हो सकती है सुविधा

पिछले साल राज्य सरकार ने कोविड के बिना लक्षण वाले मरीजों को होम आइसोलेशन में रहने की इजाजत दी थी। इसकी आड़ में हल्के लक्षण वाले मरीज भी इस सुविधा का लाभ उठाने लगे। हालांकि कंट्रोल रूम के जरिए ऐसे मरीजों की मानीटरिंग की जा रही थी। लेकिन इस साल कोरोना की सेकंड वेव शुरू होते ही अधिक लक्षण वाले संक्रमितों ने भी होम आइसोलेशन में रहने की जिद शुरू कर दी है। वह किसी भी हाल में हॉस्पिटल में भर्ती होने को तैयार नहीं हो रहे हैं।

होम आइसोलेशन के लिए लगवाते हैं सोर्स

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इस परिस्थिति से परेशान हो चुके हैं। उनका कहना है कि नियमानुसार ही होम आइसोलेशन की इजाजत दी जाएगी। यह भी बता दें कि पिछले 10 दिनों में आधा दर्जन ऐसे मरीज भी रहे जिन्होंने अपने लक्षण छिपाकर होम आइसोलेशन में रहने की जिद की। लेकिन पांच दिन के भीतर ही दिक्कत होने पर उन्हें एसआरएन हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ा। अधिकारियों का कहना है कि लोग इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए सोर्स तक लगवाने से पीछे नहीं हट रहे हैं।

लक्षण वाले मरीजों के लिए क्यों जरूरी है हॉस्पिटल

- संक्रमण से दूसरे भी कोरोना की चपेट में आ सकते हैं।

- हॉस्पिटल डॉक्टर्स व पैरामेडिकल स्टाफ के साथ बेहतर इलाज उपलब्ध रहता है।

- जरूरत पड़ने पर ऑक्सीजन सपोर्ट के साथ वेंटीलेटर की सुविधा मिल जाती है।

- जरूरी टेस्ट के साथ इमरजेंसी ट्रीटमेंट भी हॉस्पिटल में मिल जाता है।

- जरूरत पड़ने पर मरीज को हायर सेंटर पर रिफर किया जा सकता है।

होम आइसोलेशन के नियम

- इस सुविधा में बिना लक्षण या माइनर लक्षण वाले मरीज ही रखे जाते हैं।

- घर पर इनके लिए अलग से टायलेट और रूम की व्यवस्था करनी होती है।

- मरीज को मास्क, सेनेटाइजर का उपयोग करना होता है। वह घर के सामान्य लोगों से सोशल डिसटेंसिंग बनाकर रहता है।

- ऐसे संक्रमितों के लिए होम आइसोलेशन किट रखना अनिवार्य रहता है।

- कंट्रोल रूम से आने वाली कॉल पर अपना हालचाल देना होता है।

17 दिन में हो जाते हैं डिस्चार्ज

बता दें कि होम आइसोलेशन में मरीजो को 17 दिन तक रखने का नियम बनाया गया है। 10 दिन होम आइसोलेशन में रहते हैं और फिर सात दिन उन्हे घर पर ही क्वारंटीन रहना पड़ता है। इस दौरान उन्हे सामान्य लोगों के बीच जाने की इजाजत नही होती है। लेकिन घर पर रहने से उनको मोरल सपोर्ट मिलता है। जिसकी वजह से हर संक्रमित व्यक्ति चाहता है उसे घर रह कर ठीक होने की इजाजत दी जाए।

जो लोग अधिक लक्षण वाले हैं या गंभीर है उनको होम आइसोलेशन में रहने की मनाही है। उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती होना चाहिए। ऐसे लोगों की जिद देखकर निराशा होती है। अपने लक्षणों को छिपाकर वह खुद की जान को दांव पर लगा रहे हैं। उनकी वजह से दूसरे भी संक्रमित हो सकते हैं।

डॉ। प्रभाकर राय, सीएमओ प्रयागराज