- दूसरे अशरे मगफिरत में अल्ला के बंदों को गुनाहों से तौबा करने का मिलता है मौका

माह ए रमजान में तीन अशरे होते है। रहमत का पहला अशरा गुजर गया है। दूसरा मगफिरत का अशरा चल रहा है। रमजान शरीफ को दूसरा असरा नेमतों का मुतहम्मिल है। जिस अशरे में बंदे को इबादत के जरिए अल्लाताला से अपने गुनाहों की माफी का इंतजार रहता है। इस बारे में खतिब हटिया मस्जिद के मौलाना नादिर हुसैन ने बताया कि रमजान में बंदा शौक से इस दूसरे अशरे का इस्तकबाल करता है। रमजान मुबारक अल्लाहताला की रहमतों, बक्शीश का बेहतरीन महीना है। दूसरा अशरा मगफिरत का है। जो जिंदगी के लिए कारआमद है। जिसकी वहज से बंदे को कब्र में राहत मिलेगी। माह ए रमजान का ये अशरा इतना पाकीजा और बाबरकत है, जिसमें तौबा अस्तबाफार है। इसके जरिए इस महीने के अहम तरीन मकसद को हासिल कर सकता है।

तौबा करने वालों से खुश होता है अल्लाह

मौलाना नादिर हुसैन ने बताया कि अल्लाह तौबा करने वाले अपने बंदों से बहुत खुश होता है। ऐसे बंदों पर अल्लाह की रहमत नाजिल होती है। लिहाजा रोजेदार को चाहिए कि इस अशरे में हर वो काम करें। जिसके जरिए अल्लाह उसके रसूल की रजाजोई हासिल हो सके। ऐसे में रमजान शरीफ के इस महीने में रोजेदार को इबादत के साथ ही अपने गुनाहो से भी तौबा करनी चाहिए।