प्रयागराज (ब्यूरो)। एडवोकेट जनरल के ऑफिस में आग की घटना के बाद शासकीय अधिवक्ता व मुख्य स्थायी अधिवक्ता कार्यालय में नोटिस लेने की व्यवस्था नहीं है। इसके चलते मुकदमों का दाखिला लगभग ठप हो गया है है। जमानत अर्जियों, विशेष अपीलों और आपराधिक अपीलों की सुनवाई नहीं हो पा रही है। सिविल याचिकाओं में सरकारी अधिवक्ताओं की फाइल नहीं होने से सुनवाई में तारीखें लग रही हैं। मौजूदा स्थिति पर विचार विमर्श के लिए जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की बेंच ने बुधवार को हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष, महासचिव, प्रदेश के अपर महाधिवक्ता, शासकीय अधिवक्ता व मुख्य स्थायी अधिवक्ता के साथ कोर्ट में वैकल्पिक व्यवस्था पर विमर्श किया।
मरम्मत के आसार नहीं
अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने बताया कि चार मंजिलों को भारी नुकसान पहुंचा है, मरम्मत के आसार नहीं हैं। वैकल्पिक व्यवस्था के तहत याची अधिवक्ताओं को याचिका की छायाप्रति उपलब्ध कराने पर सुनवाई की जा सकती है। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राधाकांत ओझा ने इसका यह कहते हुए विरोध किया कि याचिकाओं की प्रति दी भी गई तो सरकार के पास उन्हें रखने की जगह नहीं है। बार पूरे सहयोग के लिए तैयार है। हाई कोर्ट ने भी जगह दी है। जिस तरीके से सरकार काम कर रही है, उसमें व्यवस्था दुरुस्त होने में महीनों लग सकते हैं। अपर महाधिवक्ता ने कहा 20 फोटोस्टेट मशीनों की जरूरत है। इस पर बेंच ने कहा कि सरकार मशीनें खरीद सकती है अथवा किराये पर इसकी व्यवस्था की जा सकती है।
बार की बैठक में हुई चर्चा
बार एसोसिएशन कार्यकारिणी की बैठक में भी महाधिवक्ता कार्यालय में आग लगने की घटना से उत्पन्न स्थिति पर चर्चा की गई। अध्यक्ष राधाकांत ओझा ने कहा कि यदि वर्तमान परिस्थिति में सुधार न किया गया तो न्यायालय को पूरी तरह से बंद करना पड़ सकता है। वादकारियों का हित प्रभावित हो रहा है। महासचिव एस डी सिंह जादौन ने कहा कि अधिवक्ताओं को अत्यधिक क्षति उठानी पड़ रही है। अदालतें याची अधिवक्ता को याचिका की छायाप्रति सरकारी वकील को देने का आदेश दे रही है। इससे उन पर खर्च का बोझ पड़ रहा है। आशुतोष त्रिपाठी ने कहा कि जीप इंडस्ट्री की खाली जमीन पर कुछ समय के लिए माघ मेला कैंप की तरह टिन शेड में कार्यालय तैयार किया जा सकता है। निर्माणाधीन हाई कोर्ट कार्यालय भवन का भी उपयोग किया जा सकता है।