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PRAYAGRAJ: कौन कहता है आसमान में सुराग नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो ये लाइने प्रयागराज के करछना एरिया के छोटे से गांव के रहने वाले डॉ। ललित मिश्रा पर ठीक बैठती है। लगातार सलेक्शन के बाद भी अपने गोल पर फोकस करके आखिरकार डॉ। ललित मिश्रा ने यूपी पीसीएस की मेरिट लिस्ट में छठवें स्थान पर तीसरे प्रयास में जगह बनाने में कामयाब रहे। डॉ। ललित ने बताया कि जॉब के साथ ही पीसीएस की तैयारी में जुटे रहे। इस बार उन्हें पूरी उम्मीद थी कि वह मेरिट लिस्ट में जरूर स्थान बनाएंगे और आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई।

सलेक्शन दर सलेक्शन के बाद भी जारी रही तैयारी

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट से बातचीत के दौरान डॉ। ललित कुमार मिश्रा ने बताया कि उनके पिता निर्भय नाथ मिश्रा पेशे से किसान है और मां कुसुम मिश्रा गृहणी है। उनकी शुरुआत पढ़ाई गांव के स्कूल से हुई। इसके बाद उन्होंने 2006 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में बीए में दाखिला लिया। इसके बाद 2008 में एमए किया और तैयारी में जुट गए। इसी दौरान उन्होंने 2007 में अपना बीएड पूरा किया। तैयारी के दौरान वर्ष 2009 की प्राथमिक स्कूल में सहायक अध्यापक के पद पर चयन हुआ। 2009 से 2014 तक ये प्राइमरी स्कूल में टीचर के रूप में नौकरी की। इसी बीच उनका सलेक्शन आरओ 2016 के पद पर हो गया। इसके बाद 2015 तक पीएचडी पूरी हो गई। इसके बाद भी वह लगातार प्रयास करते रहे। इसी बीच 2016 में उनका चयन नायब तहसीलदार के पद पर हुआ, लेकिन उन्हेांने ज्वाइन नहीं किया। क्योकि उनका सपना था कि वह एसडीएम बने। 2016 में उनका चयन उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की ओर से असिस्टेंट प्रोफेसर गवर्नमेंट डिग्री कालेज बलराम पुर में हुआ। जहां वह सेवा दे रहे है। पिछले दिनों बीईओ 2019 में भी उनका सलेक्शन हुआ था। लेकिन उनको पीसीएस 2020 का इंतजार था। अपनी सफलता का श्रेय वह अपने पैरेंट्स और अपने मित्रों को देते है।