प्रयागराज ब्यूरो । मीडियाकर्मी के रूप में पहुंचे तीनों शूटरों के पास से मिली आईडी, कैपरा और पहचान पत्र की सच्चाई स्पष्ट नहीं हो पा रही है। जिस एनसीआर न्यूज चैनल के नाम की उनके पास माइक आईडी और आई कार्ड थी अब उसकी जांच शुरू हो गई है। एसआईटी यह पता लगाने में जुट गई है कि वह उस न्यूज चैनल में काम करते थे या फिर सारी आईडी फर्जी बनवा रखे थे। यदि वह न्यूज चैनल है तो उसकी ऑफिस कहां और रजिस्टेशन क्या है? उस चैनल के जिम्मेदार कौन लोग हैं? इस बात का पता लगाने के लिए टीम के जरिए सूचना एवं जनसंपर्क विभाग से सूचना मांगी गई है। जानकारी मिलने के बाद चैनल के लोगों से भी टीम के द्वारा पूछताछ की जाएगी। स्थितियां क्लियर होने के बाद टीम कार्रवाई के लिए आगे कदम बढ़ाएगी।

अपनी ही बात पर खरा नहीं शनी
चकिया निवासी अतीक अहमद और अशरफ की हत्या में नामजद शूटर मोहित उर्फ शनि पुराने अपनी ही बात को साबित नहीं कर पा रहा है। एसआईटी से जुड़े सूत्रों की मानें तो शूटर शनि इस घटना के पीछे गोगी नामक गैंग का हाथ बताया था। मगर, उसके पास इस बात का कोई साक्ष्य नहीं कि अतीक और अशरफ की हत्या के पीछे किसी गोगी गैंग का कनेक्शन है। बताया यह भी जा रहा है कि पुलिस के जरिए कलेक्ट की गई सीडीआर रिपोर्ट से भी गैंग के जुड़ाव की बात पुष्ट होती नजर नहीं आ रही है। सूत्र बता रहे हैं हैं कि कस्टडी रिमांड में शनि के जरिए बताए तथ्यों पर ही एसआईटी गैंग की ओर कदम बढ़ाई थी। उसने टीम से कहा था कि बात करीब एक डेढ़ साल पहले की है। जब वह जितेंद्र उर्फ गोगी के टच में आया था। गोली दिल्ली का रहने वाला था। सम्पर्क में आने के कुछ साल बाद गोगी गैंग ने ही जितेंद्र के खाटी दुश्मन टिल्लू ताजपुरिया को शूटर करने के लिए विदेशी पिस्टल का प्रबंध किया था। वही गैंग से मीडियाकर्मी बनकर टिल्लू को लुढ़काने की आइडिया जेनरेट हुआ था। इस प्लान को अंजाम देने से पहले रोहिणी रोहिणी जेल में गैंगवार के दौरान गोगी की ही हत्या हो गई थी। इस घटना के बाद शनी मिली हुई विदेशी पिस्टल लेकर वहां से निकल भागा था। खैर, मोबाइल की जांच से टीम को मालूम चला है कि शातिर शनि मोबाइल का प्रयोग काफी समय से से नहीं करता था। दोस्त लवलेश व अरुण आदि बात करने के लिए वे फोन बूथ का प्रयोग किया करता था। उसकी इन बातों में कितनी सच्चाई है? इस बात से पर्दा उठना अभी शेष है।