प्रयागराज ब्यूरो । स्कूली वाहनों से बच्चों का सुरक्षित स्कूल जाना और वहां से लौट कर आना ये बहुत बड़ा चैलेंज हैं। क्योंकि स्कूलों की अस्सी फीसदी बसें बगैर मानक के संचालित हो रही हैं और इस बात की तस्दीक एआरटीओ के अभियान से भी होती है जिसके तहत अब तक अस्सी से ज्यादा स्कूली बसों का चालान किया जा चुका है। वहीं, ई रिक्शा, मारुति वैन और टेंपो में स्कूली बच्चे भूसे की तरह भरकर लाए ले जाए जा रहे हैं। पाठकों ने जो सवाल एआरटीओ अल्का शुक्ला से पूछे और उनके जो जवाब आए, उसका निचोड़ यही है कि स्कूलों पर सख्ती की जरुरत है और गार्जियन को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। तभी बच्चे सुरक्षित स्कूल आ जा पाएंगे।

'सेफ्टी फस्र्ट अभियानÓ को मिली सराहना
मैक्सिम बच्चों को उनके गार्जियन समय की कमी के कारण खुद स्कूल नहीं छोड़ पाते हैं। जिसकी वजह से गार्जियन अपनी मेहनत की कमाई खर्च करके अपने बच्चों के लिए स्कूली वाहन की व्यवस्था करते हैं ताकि उनके बच्चे समय से और सुरक्षित स्कूल पहुंच सकें। मगर ऐसा होता नहीं है। स्कूली वाहनों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर सवाल रहता है। कहीं स्कूली बस बगैर मानक के चल रही है तो कहीं वैन, टेंपो और ई रिक्शा से बच्चे बेतरतीब ढंग से बैठाकर स्कूल लाए ले जा रहे हैं। इस बाबत
दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने सेफ्टी फस्र्ट अभियान शुरू किया। जिसमें हर पहलू पर खबरें प्रकाशित की गईं। आई नेक्स्ट के इस अभियान को पाठकों की सराहना मिली। जिसका नतीजा रहा कि दैनिक जागरण आई नेक्स्ट आफिस में आईं एआरटीओ अल्का शुक्ला से पाठकों ने जमकर सवाल पूछे। पाठकों का इस कार्यक्रम से जुडऩा इस बात की तस्दीक करता है कि पाठकों को अभियान पसंद आया।
सवाल:
स्कूल की बसें मानक के बगैर चलाई जा रही हैं। अभी हाल ही में एक स्कूल बस से गोविंदपुर में एक महिला की कुचलकर मौत हो गई। ये घटना स्कूल बस से हुई। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या किया जा रहा है.
- पार्षद कमलेश तिवारी, शिवकुटी
जवाब: स्कूल बसों के लिए सरकारी स्तर से मानक तय किए गए हैं। जिनके बगैर संचालित स्कूली बसों का चालान किया जा रहा है। आठ से 22 जुलाई के बीच कैंप लगाकर स्कूली बसों को फिटनेस कराने के लिए कहा गया है। इसके बाद सख्त कार्रवाई की जाएगी.
स्कूली वाहनों में बच्चों को ठूस कर बैठाया जाता है। जिससे बच्चों को दिक्कत होती है। इस पर कार्रवाई क्यों नहीं की जाती है.
- सुनील सिंह, अल्लापुर
जवाब: मानक से ज्यादा बच्चे बैठाने पर कार्रवाई की जाती है। चालान किया जाता है। इस मामले में गार्जियन को भी देखना चाहिए कि उनका बच्चा आराम से वाहन से बैठकर स्कूल जा पा रहा है कि नहीं। अक्सर गली मोहल्लों तक पहुंच पाना मुश्किल होता है।
ई रिक्शा पर क्षमता से अधिक बच्चे बैठा लिए जाते हैं। इन पर कभी कार्रवाई नहीं होती है.
विवेक कुमार, राजरूपपुर
जवाब
अक्सर ऐसे वाहनों को ज्यादा देर रोका नहीं जाता है क्योंकि उनमें बच्चे होते हैं। ऐसे वाहनों का चालान किया जाता है।
सवाल: स्कूली बसों पर पीछे साइड में मोबाइल नंबर लिखा रहता है। ताकि बस तेज चलाने पर नंबर पर सम्पर्क करके शिकायत दर्ज कराई जा सके। मगर अक्सर बस के पीछे लिखे मोबाइल नंबर गलत होते हैं.
एलके द्विवेदी, प्रीतम नगर
जवाब
ऐसा होना नहीं चाहिए। क्योंकि स्कूली वाहन जब हर वर्ष फिटनेस के लिए आते हैं तो उनके पीछे साइड लिखे नंबर को चेक किया जाता है। अगर ऐसी समस्या है तो इसको चेक कराकर दुरस्त कराया जाएगा.