सेंट जोसेफ के प्रिंसिपल की कोरोना जांच रिपोर्ट आई निगेटिव, स्वास्थ्य विभाग ने उठाये सवाल
बिशप जानसन कॉलेज ने अपने स्टाफ को दिए आरटीपीसीआर जांच कराने के निर्देश
स्वास्थ्य विभाग की कोरोना जांच पर सवाल उठ गए हैं। सेंट जोसेफ कॉलेज के प्रिंसिपल ने विभाग की एंटीजन जांच को गलत करार दिया है। उनका कहना है कि उनकी प्राइवेट जांच रिपोर्ट निगेटिव आई है। इसके अलावा कॉलेज के एक अन्य सीनियर टीचर की जांच रिपोर्ट भी निगेटिव आ गई है। स्वास्थ विभाग के अधिकारियों ने इन आरोपों को नकार दिया है। उनके मुताबिक सेम सैंपल की जांच कराई जानी चाहिये।
कमला नेहरू में कराई जांच
बता दें कि दो दिन पहले सेंट जोसेफ कॉलेज के प्रिंसिपल सहित दो स्टाफ की कोरोना जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। इसके बाद कॉलेज में हड़कंप मच गया था क्योंकि एक दिन पहले यहां पैरेंट्स मीटिंग भी हुई थी। मामला बढ़ने पर प्रिंसिपल और एक अन्य सीनियर टीचर ने अपनी जांच कमला नेहरू हॉस्पिटल में ट्रूनाट मशीन से कराई। दोनों की रिपोर्ट निगेटिव आई है। इसके बाद प्रिंसिपल ने स्वास्थ्य विभाग की कोरोना जांच पर सवालिया निशान लगा दिया है।
पहले बताया निगेटिव, फिर कर दिया पाजिटिव
कॉलेज के प्रिंसिपल फादर थामस कुमार का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग की टीम उनके कॉलेज में कोरोना जांच करने आई थी। उस समय हमारे यहां जितना भी स्टाफ था उसकी जांच कराने के लिए हमने अनुमति दे दी। सबसे पहले मेरी जांच की गई। सैंपल लेने के डेढ़ घंटे बाद मुझे निगेटिव बता दिया गया। इसके बाद पूरे स्टाफ ने अपना सैंपल दे दिया। शाम को मुझे दोबारा बताया कि मैं माइल्ड पॉजिटिव हूं और फ्रूट खाने से ठीक हो जाऊंगा। तो मैंने खुद को आइसोलेट कर लिया। अगले दिन न्यूज पेपर्स में देखा कि मेरे और कॉलेज के बारे में काफी कुछ पब्लिश हुआ है। तब मैंने और मेरे स्टाफ ने टू्रनाट मशीन से जांच कराई और दोनों की रिपोर्ट निगेटिव आ गई है।
पूरा स्टाफ कराएगा आरटीपीसीआर जांच
दूसरी ओर बिशप जानसन कॉलेज के 9 स्टाफ को कोरोना पॉजिटिव बताया गया है। यहां के प्रिंसिपल डॉ। विशाल सिंह ने अपने पूरे स्टाफ को आरटीपीसीआर जांच कराने के आदेश दिए हैं। उनका कहना है कि एंटीजन जांच पर सवाल उठने लगे हैं ऐसे में प्राइवेट सेंटर में कोरोना की जांच कराई जाएगी। अगर स्टाफ पॉजिटिव आता है तो उसे आइसोलेट करा दिया जाएगा। यहां नौ स्टाफ के पॉजिटिव आने के बाद हड़कंप मच गया था।
स्वास्थ्य विभाग ने दिया दो टूक जवाब
उधर स्वास्थ्य विभाग ने कॉलेजेस के आरोपों का दो टूक जवाब दिया है। अधिकारियों का कहना है कि जिस सैंपल की जांच रिपोर्ट पाजिटिव आई है उससे ही जांच कराई जाए। पता नहीं दूसरा सैंपल सही लिया गया है या नहीं। उनका कहना है कि पहले भी ऐसे आरोप लगे हैं। शुरुआत से बड़े पैमाने पर एंटीजन जांच होती आ रही है और यह प्रदेश और केंद्र सरकार से अधिकृत है। हमे यह किट सरकार से उपलब्ध कराई जाती है। बता दें कि सैंपल कभी स्टोर नहीं किए जाते हैं। जांच के बाद सैंपल को डिस्ट्राय कर दिया जाता है।
चार लाख से अधिक हुए हैं एंटीजन टेस्ट
जिस एंटीजन टेस्ट का लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं इससे अब तक जिले में 4 लाख से अधिक जांच हो चुकी है। इसमें 16 हजार से अधिक लोग पॉजिटिव भी पाए गए हैं। यह जांच एक किट के जरिए होती है। जिसमें संदिग्ध की नोजल और थ्रोट स्वैब की जांच की जाती है। एंटीबॉडी डेवलप होने पर यह किट कोरोना वायरस की पहचान कर लेती है। लेकिन अधिक परिपक्वता के लिए लोग आरटीपीसीआर जांच कराने की सलाह देते हैं।
जिस सैंपल से जांच हुई थी उसी को माना जाएगा। जहां से जांच कराई गई है पता नहीं वहां कैसे सैंपल लिया गया हो। यह पहली बार नहीं है कि दो जांच की रिपोर्ट अलग-अलग आई हैं। ऐसा पहले भी हो चुका है। सेम सैंपल के आधार पर ही चैलेंज किया जा सकता है।
डॉ। ऋषि सहाय, नोडल, कोविड 19 प्रयागराज