Scanning of sketch

-5000 से ज्यादा face part का use करके पुलिस तैयार करती है sketch


 Allahabad: मीरगंज की मुस्कान की तलाश करके थक चुकी पुलिस को अब उसके स्केच का सहारा है। इससे कामयाबी कितनी मिल पाएगी? यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन पिछले मामलों में स्केच जारी करने का एक्सपेरीमेंट ज्यादा सफल नहीं रहा है। इसमें स्केच का खराब रिजल्ट बड़ा कारण होता है। खुद पुलिस के सीनियर ऑफिसर्स बताते हैं कि स्केच क्रिमिनल की शक्ल से बहुत दूर होते हैं। इससे उन पर साइकोलॉजिकल प्रेशर भी नहीं बन पाता. 

आसान नहीं हैं स्केच तैयार कराना? 


किसी भी क्रिमिनल का स्केच तैयार कराना आसान नहीं होता। दरअसल, स्केच के साफ्टवेयर में हजारों की संख्या में चेहरे के पार्ट मसलन आंख, नाक, कान व बाल होते हैं। इसमें इतना महीन अंतर होता है कि स्केच तैयार करवाने वाला प्रत्यक्षदर्शी भी कन्फ्यूज हो जाता है। मुस्कान का स्केच तैयार करने में भी एक्सपर्ट को काफी मेहनत करनी पड़ी है। साफ्टवेयर से सक्सेस न मिलने के बाद हाथ से मुस्कान का स्केच तैयार कराया गया। यह उसके चेहरे के कितना नजदीक है? यह गिरफ्तारी के बाद ही पता चलेगा। आज बताते हैं कि कैसे तैयार होते हैं क्रिमिनल्स के स्केच. 


चेहरे पर सबसे पहला फोकस? 


स्केच साफ्टवेयर में सबसे पहले क्रिमिनल के फेस को चूज किया जाता है। इसमें एक दर्जन से ज्यादा कैटेगरी में 500 से अधिक चेहरे हैं। यह चेहरे बिना आंख, नाक और कान के होते हैं। यह प्रत्यक्षदर्शी को बताना होता है कि अपराधी का फेस किस तरह का था। लंबा, गोल, छोटा या फिर बड़ा। चेहरा सेट होने के बाद दूसरे स्टेप का काम शुरू होता है. 

कैसा सिर व बाल था क्रिमिनल का?


फेस फाइनल होने के बाद दूसरा स्टेप में हेड व हेयर आते हैं। इसमें आधा दर्जन से ज्यादा कैटेगरी में चार से पांच सौ सिर हैं। पहली दोनों चीजें फाइनल होने के बाद नंबर आता है बालों का। एक्सपर्ट बताते हैं कि बाल सेट करना टिपिकल है। साफ्टवेयर में 500 से ज्यादा बालों के स्टाइल की डिजाइन है। इससे यह मैच कराया जाता है बाल लंबे, छोटे, घुंघराले थे या अपराधी गंजा था. 

फिर आंख व आइब्रो 

इसके बाद क्रिमिनल की आई ब्रो की जानकारी लेकर स्केच में उसकी भौंह बनाई जाती है। साफ्टवेयर में 300 से ज्यादा तरह की आईब्रो है। इसके बाद 400 तरह की आंखों में से एक को सेलेक्ट करके चेहरे पर फिट किया जाता है। इसके बाद नाक का नंबर आता है। इसकी भी 600 से ज्यादा डिजाइन साफ्टवेयर में मौजूद है। साफ्टवेयर में उपलब्ध आंख, आइब्रो व नाक में बहुत थोड़ा अंतर होता है ऐसे में एक्सपर्ट बेहद तसल्ली के साथ इस काम को करते हैं।  

दाढ़ी और मूंछ  

आंख, नाक व कान के बाद फिर दाढ़ी व मूंछ पर फोकस किया जाता है। एक्सपर्ट बताते हैं कि इस स्केच के लिए तैयार किए गए स्पेशल साफ्टवेयर में 200 तरह की दाढिय़ों में से एक तरह की दाढ़ी और करीब इतनी ही मूंछों में से एक तरह की मूछ स्केच में फिट की जाती है। पुलिस के पास 800 तरह के होंठ भी हैं। इनमें से एक लिप्स को सेलेक्ट कर स्केच पर लगाया जाता है। 100 से अधिक तरह के कान भी हैं. 

अपराधी के उम्र की पहचान 

यहां तक पहुंचने के बाद स्केच करीब 90 फीसदी तक कंप्लीट हो जाता है। उसके बाद एक्सपर्ट चेहरे पर उसकी एज को शो करता है। क्रिमिनल को हंसते हुए देखा गया था, उसके गालों में गड्ढे थे, माथे पर सिलवट या उम्र को दिखाती अन्य कोई पहचान फिक्स करने का ऑप्शन भी इसमें है. 


बहुत खास होता है यह साफ्टवेयर
 
-साफ्टवेयर में क्रिमिनल के चेहरे पर कटे या जले का निशान है तो उसे भी इन्क्लूड करने के भी दो सौ ऑप्शन मौजूद हैं. 
-क्रिमिनल टोपी पहनता है तो इसके लिए भी 50 तरह की टोपियां साफ्टवेयर में मौजूद हैं. 
-साफ्टवेयर से स्केच बनने के बाद जरूरत के अनुसार एक्सपर्ट द्वारा प्रत्यक्षदर्शी को दिखाकर स्केच में चेंजेज किए जाते हैं. 


स्केच साफ्टवेयर और एक्सपर्ट दोनों ही तरह से बनाया जाता है. 
मुस्कान का स्केच हैंड एक्सपर्ट से बनवाया गया है। पूरी कोशिश रहती है कि स्केच और चेहरा काफी मिलता जुलता हो। कुंडा में हुई लूट में पुलिस ने जो स्केच तैयार किया था, वह अपराधी के गिरफ्तार होने के बाद काफी सेम था। स्केच का पूरा खेल प्रत्यक्षदर्शी पर डिपेंड करता है।  
-समर बहादुर, सीओ, कोतवाली 


दर्जनों स्केच, सफलता सीमित
इलाहाबाद पुलिस का रिकार्ड खंगाला जाए तो पिछले तीन-चार साल में दर्जन भर से ज्यादा स्केच जारी किए जा चुके हैं। इसके फायदे के बारे में पूछने पर पुलिस अफसर एक  ही दो मामले बता पाते हैं। खुल्दाबाद में एक ठग का स्केच हूबहू बना था, जिस पर पुलिस ने उसे अरेस्ट किया था। मम्फोर्डगंज एटीएम लूट कांड, डीडमास लूट कांड सहित दर्जनों मामले में जारी किए गए स्केच का कोई फायदा नहीं हुआ. 


ज्यादातर hand expert  ही बनाते हैं स्केच 

स्केच तैयार करने का साफ्टवेयर है लेकिन इस पर वर्क के लिए बहुत ही एक्सपर्ट आदमी चाहिए। यही कारण है कि इलाहाबाद में ज्यादातर स्केच हैंड एक्सपर्ट द्वारा ही तैयार किया जाता है। सीनियर पुलिस आफिसर्स बताते हैं कि दिल्ली पुलिस, आईबी, एटीएस व सीबीआई द्वारा सॉफ्टवेयर के थू्र ही स्केच तैयार दिया जाता है। बिहार में बोधगया में हमले में जो स्केच आईबी द्वारा भेजा गया था उसी पर बाद में प्रत्यक्षदर्शियों ने भी मुहर लगाई थी. 

आसान नहीं हैं स्केच तैयार कराना? 

किसी भी क्रिमिनल का स्केच तैयार कराना आसान नहीं होता। दरअसल, स्केच के साफ्टवेयर में हजारों की संख्या में चेहरे के पार्ट मसलन आंख, नाक, कान व बाल होते हैं। इसमें इतना महीन अंतर होता है कि स्केच तैयार करवाने वाला प्रत्यक्षदर्शी भी कन्फ्यूज हो जाता है। मुस्कान का स्केच तैयार करने में भी एक्सपर्ट को काफी मेहनत करनी पड़ी है। साफ्टवेयर से सक्सेस न मिलने के बाद हाथ से मुस्कान का स्केच तैयार कराया गया। यह उसके चेहरे के कितना नजदीक है? यह गिरफ्तारी के बाद ही पता चलेगा। आज बताते हैं कि कैसे तैयार होते हैं क्रिमिनल्स के स्केच. 

चेहरे पर सबसे पहला फोकस? 

स्केच साफ्टवेयर में सबसे पहले क्रिमिनल के फेस को चूज किया जाता है। इसमें एक दर्जन से ज्यादा कैटेगरी में 500 से अधिक चेहरे हैं। यह चेहरे बिना आंख, नाक और कान के होते हैं। यह प्रत्यक्षदर्शी को बताना होता है कि अपराधी का फेस किस तरह का था। लंबा, गोल, छोटा या फिर बड़ा। चेहरा सेट होने के बाद दूसरे स्टेप का काम शुरू होता है. 

कैसा सिर व बाल था क्रिमिनल का?

फेस फाइनल होने के बाद दूसरा स्टेप में हेड व हेयर आते हैं। इसमें आधा दर्जन से ज्यादा कैटेगरी में चार से पांच सौ सिर हैं। पहली दोनों चीजें फाइनल होने के बाद नंबर आता है बालों का। एक्सपर्ट बताते हैं कि बाल सेट करना टिपिकल है। साफ्टवेयर में 500 से ज्यादा बालों के स्टाइल की डिजाइन है। इससे यह मैच कराया जाता है बाल लंबे, छोटे, घुंघराले थे या अपराधी गंजा था. 

फिर आंख व आइब्रो 

इसके बाद क्रिमिनल की आई ब्रो की जानकारी लेकर स्केच में उसकी भौंह बनाई जाती है। साफ्टवेयर में 300 से ज्यादा तरह की आईब्रो है। इसके बाद 400 तरह की आंखों में से एक को सेलेक्ट करके चेहरे पर फिट किया जाता है। इसके बाद नाक का नंबर आता है। इसकी भी 600 से ज्यादा डिजाइन साफ्टवेयर में मौजूद है। साफ्टवेयर में उपलब्ध आंख, आइब्रो व नाक में बहुत थोड़ा अंतर होता है ऐसे में एक्सपर्ट बेहद तसल्ली के साथ इस काम को करते हैं।  

दाढ़ी और मूंछ  

आंख, नाक व कान के बाद फिर दाढ़ी व मूंछ पर फोकस किया जाता है। एक्सपर्ट बताते हैं कि इस स्केच के लिए तैयार किए गए स्पेशल साफ्टवेयर में 200 तरह की दाढिय़ों में से एक तरह की दाढ़ी और करीब इतनी ही मूंछों में से एक तरह की मूछ स्केच में फिट की जाती है। पुलिस के पास 800 तरह के होंठ भी हैं। इनमें से एक लिप्स को सेलेक्ट कर स्केच पर लगाया जाता है। 100 से अधिक तरह के कान भी हैं. 

अपराधी के उम्र की पहचान 

यहां तक पहुंचने के बाद स्केच करीब 90 फीसदी तक कंप्लीट हो जाता है। उसके बाद एक्सपर्ट चेहरे पर उसकी एज को शो करता है। क्रिमिनल को हंसते हुए देखा गया था, उसके गालों में गड्ढे थे, माथे पर सिलवट या उम्र को दिखाती अन्य कोई पहचान फिक्स करने का ऑप्शन भी इसमें है. 

बहुत खास होता है यह साफ्टवेयर

-साफ्टवेयर में क्रिमिनल के चेहरे पर कटे या जले का निशान है तो उसे भी इन्क्लूड करने के भी दो सौ ऑप्शन मौजूद हैं. 

-क्रिमिनल टोपी पहनता है तो इसके लिए भी 50 तरह की टोपियां साफ्टवेयर में मौजूद हैं. 

-साफ्टवेयर से स्केच बनने के बाद जरूरत के अनुसार एक्सपर्ट द्वारा प्रत्यक्षदर्शी को दिखाकर स्केच में चेंजेज किए जाते हैं. 

स्केच साफ्टवेयर और एक्सपर्ट दोनों ही तरह से बनाया जाता है. 

मुस्कान का स्केच हैंड एक्सपर्ट से बनवाया गया है। पूरी कोशिश रहती है कि स्केच और चेहरा काफी मिलता जुलता हो। कुंडा में हुई लूट में पुलिस ने जो स्केच तैयार किया था, वह अपराधी के गिरफ्तार होने के बाद काफी सेम था। स्केच का पूरा खेल प्रत्यक्षदर्शी पर डिपेंड करता है।  

-समर बहादुर, सीओ, कोतवाली 

दर्जनों स्केच, सफलता सीमित

इलाहाबाद पुलिस का रिकार्ड खंगाला जाए तो पिछले तीन-चार साल में दर्जन भर से ज्यादा स्केच जारी किए जा चुके हैं। इसके फायदे के बारे में पूछने पर पुलिस अफसर एक  ही दो मामले बता पाते हैं। खुल्दाबाद में एक ठग का स्केच हूबहू बना था, जिस पर पुलिस ने उसे अरेस्ट किया था। मम्फोर्डगंज एटीएम लूट कांड, डीडमास लूट कांड सहित दर्जनों मामले में जारी किए गए स्केच का कोई फायदा नहीं हुआ. 

ज्यादातर hand expert  ही बनाते हैं स्केच 

स्केच तैयार करने का साफ्टवेयर है लेकिन इस पर वर्क के लिए बहुत ही एक्सपर्ट आदमी चाहिए। यही कारण है कि इलाहाबाद में ज्यादातर स्केच हैंड एक्सपर्ट द्वारा ही तैयार किया जाता है। सीनियर पुलिस आफिसर्स बताते हैं कि दिल्ली पुलिस, आईबी, एटीएस व सीबीआई द्वारा सॉफ्टवेयर के थू्र ही स्केच तैयार दिया जाता है। बिहार में बोधगया में हमले में जो स्केच आईबी द्वारा भेजा गया था उसी पर बाद में प्रत्यक्षदर्शियों ने भी मुहर लगाई थी।