प्रयागराज (ब्यूरो)। वर्ष 2019 के मार्च में कोरोना के चलते लॉक डाउन लगा तो मेरे चाट के ठेले का 25 साल पुराना रोजगार ठप हो गया। पांच माह बाद इतने पैसे भी नही बचे कि दोबारा दुकान शुरू की जा सके। मेरी पत्नी और एक बच्चा भुखमरी की कगार पर आ गए। तभी अचानक पता चला कि स्ट्रीट वेंडर्स को दस हजार रुपए बतौर लोन दिए जा रहे हैं। बैंक से मिला यह पैसा मेरे व्यापार के लिए संजीवनी से कम नही था। मैंने इस पैसे से आलू, मसाले, गोलगप्पे, मसाले आदि खरीदे। देखते ही देखते दोबारा रोजगार चल निकला। मेरा ठेला पीवीआर चौराहे पर गुड्डू चाट भंडार के नाम से लगता है। दस हजार किश्त वापस करने केबाद बैंक दोबारा बीस हजार देने का तैयार हो गया है।
दुर्गा प्रसाद हलवाई, स्ट्रीट वेंडर
दोबारा शुरू किया रोजगार
लॉकडाउन लगा तो उसके बाद मेरा व्यापार ठप हो गया। दोबारा इसे शुरू करने की हिम्मत नही बची थी। जब पीएम स्वनिधि योजना का दस हजार मिला तो थोड़ी हिम्मत बंध गई। फिर से लक्ष्मी टाकीज चौराहे पर मेरा कागज की थैली, कपड़े का थैला और न्यूज पेपर की बिक्री फिर से शुरू हो गई है। हाल ही में लोन भी पूरा चुका दिया है। बीस हजार लोन की दूसरी किश्त मिले तो व्यापार को बढ़ाने का काम किया जाएगा। बात यहां दस हजार की नही थी, इस रकम का मुसीबत की घड़ी में जिसने सही उपयोग किया वह निराश नही हुआ।
गणेश गुप्ता, स्ट्रीट वेंडर
लक्ष्मी टाकीज चौराहे पर मेरी छोटी सी गुमटी है। इसके सहारे परिवार का पालन पोषण चलता है। दो बेटी और एक बेटे का परिवार इस पर आश्रित है। पिछले साल कोरोना की दूसरी लहर में मेरी तबियत बहुत खराब हो गई। ठीक होने में एक माह का समय लग गया। इसके बाद रोजगार एकदम ठप हो गया था। मेरी स्ट्रीट वेंडर यूनियन की मदद से मैंने बैंक से दस हजार लोन लिया। बाद में इसी पैसे की बदौलत दोबारा रोजगार शुरू किया। कुछ सामान उधार भी लिया। अब किश्त भी पूरी चुका दी है। बैंक से अपील है कि मुझे दूसरी किश्त भी दी जाए।
लीलावती पांडेय, स्ट्रीट वेंडर
309 ने जीता विश्वास
25 हजार से अधिक लोगों को नगर निगम डूडा ने दस हजार लोन के लिए वेरिफाई किया था। इन्हें बैंक ने दस हजार की पहली किश्त दी थी। इनमें से महज 309 ऐसे लोग हैं जिनको दूसरी किश्त मिली है। बाकी लाइन में लगे हैं। यह वही लोग हैंं जिन्होंने संकट की घड़ी में सरकार से मिली छोटी सी मदद को अपने हौसला बनाकर सफलता की इबारत लिखनी शुरू की है। नेशनल हाकर फेडरेशन के महामंत्री रविशंकर द्विवेदी कहते हैं कि कोरोना महामारी के दौरान स्ट्रीट वेंडर्स को अपनी आजीविका दोबारा शुरू करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी है। लॉक डाउन ने उनकी कमर तोडऩे में कोई कसर नही छोड़ी थी।