- सरकार के चार साल बीतने के बाद भी नहीं हो सकी शिक्षक पदों पर भर्ती
- संस्कृत बोर्ड के स्कूलों को सरकार बदलने के साथ बढ़ीं थी उम्मीदें
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PRAYAGRAJ: सूबे के संस्कृत बोर्ड के स्कूलों को सरकार बदलने के बाद किस्मत बदलने का इंतजार था, लेकिन चार साल बीतने के बाद भी इन स्कूलों के 'अच्छे दिन' नहीं आए। जबकि सीएम योगी आदित्यनाथ ने सत्ता में आने के बाद संस्कृत बोर्ड के स्कूलों में टीचर्स की नियुक्ति करने का भरोसा दिया था। इन स्कूलों में टीचर्स के रिक्त पदों पर भर्ती की जिम्मेदारी भी माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को दी भी गई थी, लेकिन आज तक एक भी भर्ती का विज्ञापन जारी नहीं हो सका। ऐसे में संस्कृत बोर्ड के स्कूलों का दिन कब बदलेगा ये कोई नहीं जानता।
1282 पदों पर होनी थी भर्ती
सूबे में कक्षा 6 से 12 तक के 958 संस्कृत स्कूलों में शिक्षकों की कमी लंबे समय है। माध्यमिक शिक्षा विभाग के बड़े अफसर संस्कृत विद्यालयों में रिक्त 1282 पदों पर भर्ती के लिए उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की नियमावली में संशोधन का प्रस्ताव मंगवाकर उसे कैबिनेट से मंजूर करवाना भूल गए हैं। 28 मार्च 2018 को शासन ने उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद (संस्थानों के प्रधानों, अध्यापकों एवं संस्थानों के अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति एवं सेवा शर्ते) विनियमावली-2009 में संशोधन के बाद सहायता प्राप्त संस्कृत विद्यालयों में शिक्षकों के चयन का अधिकार चयन बोर्ड को दे दिया था। इसी क्रम में माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने संस्कृत स्कूलों में भर्ती प्रक्रिया शुरू करने से पूर्व 3 अप्रैल 2018 को चयन बोर्ड की नियामवली में संशोधन का प्रस्ताव मांगा था। जिसके जवाब में तत्कालीन सचिव नीना श्रीवास्तव ने 9 अप्रैल 2018 को नियमावली में आवश्यक संशोधन का प्रस्ताव संयुक्त सचिव शासन को भेज दिया था। लेकिन आज तक संशोधन को मंजूरी नहीं मिल सकी। जिसके कारण बड़ी संख्या में संस्कृत बोर्ड के स्कूलों में ताला लगने की स्थिति बनती जा रही है।
117 स्कूलों में नहीं है एक भी शिक्षक
करीब 30 सालों से भर्ती नहीं होने के कारण संस्कृत स्कूलों की हालत लगातार खराब होती गई। वर्तमान में सूबे में 117 ऐसे स्कूल हैं, जहां एक भी शिक्षक नहीं हैं। इनमें 58 एडेड संस्कृत बोर्ड के स्कूलों में शिक्षक नहीं होने से बंद हो चुके हैं। प्रयागराज में ही 42 संस्कृत स्कूलों में 14 ऐसे हैं,जहां एक भी टीचर नहीं है।
जबकि तीन स्कूल चपरासी और एक स्कूल क्लर्क के भरोसे चल रहा है। यानी कुल 18 स्कूल टीचर्स के बिना ही संचालित हो रहे हैं।