प्रयागराज (ब्यूरो)।बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा सैम और मैस बच्चों की पहचान की जाएगी। फिर इनका उपचार और कुपोषण की रोकथाम संबंधी कार्य किए जाएंगे। यह प्रक्रिया संभव 3.0 अभियान के तहत चलाई जाएगी। दरअसल, सैम यानी सीवियर एक्यूट मालन्यूट्रीशन व मैम यानी माडरेट एक्यूट मालन्यूट्रीशन बच्चों में कुपोषण की रोकथाम के उपाय सरकार की मंशा के तहत किए जा रहे हैं। जून से सितंबर के बीच चलाया जाने वाला संभव 3.0 अभियान पहले दो वर्ष संचालित किया जा चुका है।

मातृत्व पोषण के साथ बच्चों पर ध्यान
बता दें कि अभियान एक नवाचार के रूप में प्रारंभ किया गया था, जिसमें विशेष रूप से सैम और मैम बच्चों का सही चिन्हांकन, उपचार, व सामुदायिक स्तर पर उनके प्रबंधन के साथ कुपोषण की रोकथाम के लिए व्यवहार परिवर्तन पर जोर दिया गया था। इस बार बच्चों में कुपोषण की रोकथाम के लिए मातृत्व पोषण के साथ ही छह माह से छोटे बच्चों के पोषण पर विशेष ध्यान रखने के उद्देश्य से पोषण 500 की थीम के साथ यह अभियान चलाया जा रहा है।

ऐसे होगी महिला की पहचान
अभियान के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पहली तिमाही की गर्भवती का वजन व ऊंचाई मापेंगी।
अगर वजन 45 किलोग्राम से कम है और ऊंचाई 145 सेमी से कम है, उस स्थिति में गर्भवती महिला कुपोषित मानी जाएगी।
यदि उस महिला के एमसीपी कार्ड में हिमोग्लोबिन 11 ग्राम से कम है तो एनीमिक में चिन्हित किया जाएगा और फिर चिकित्सकीय प्रबंधन की व्यवस्था की जाएगी।

ट्रैकर पर फीड होंगे आंकड़े
अभियान में विभिन्न स्तर से सामुदायिक गतिविधियों का आयोजन किया जायेगा जिसमे आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों द्वारा आंगनवाड़ी केन्द्र पर पंजीकृत सभी बच्चों का लम्बाई/ ऊंचाई ली जायेगी और पोषण ट्रैकर पर फीड किया जायेगा। इस महीने में चलाये जा रहे एक कदम सुपोषण के ओर अभियान के तहत वजन किये गए बच्चों में से जो बच्चे सैम, मैम तथा गंभीर अल्प वजन के होगें, उन्हें उपचार, प्रबन्धन हेतु वीएचएनडी सत्र पर सन्दर्भित किया जायेगा। उनका ई। - कवच पर पंजीकृत कराया जाएगा।

बच्चों की सेहत सुधारने की पहल
सभी चिन्हित कुपोषित (सैम मैम तथा गंभीर अल्प वजन बाले) बच्चों को संभव अभियान में सम्मिलित किया जायेगा। इस दौरान एक कदम सुपोषण के ओर अभियान एवं संभव अभियान के तहत गुणवत्तापरक प्रसवपूर्व देखभाल, मातृ पोषण एवं छह माह से कम उम्र के शिशु के पोषण पर विशेष ध्यान दिया जायेगा। यह अभियान अति गंभीर कुपोषित और अत्यधिक कम वजन के बच्चों की पहचान और प्रबन्धन पर केन्द्रित है।

आंगनबाड़ी केंद्रों पर कुपोषित बच्चों की पहचान कर उन्हें उपचारित व पोषित किया जाना है। इसकी तैयारियां हो गई हैं। सितंबर तक चलने वाले अभियान में गर्भवती महिलाओं का भी वजन लिया जाएगा।
दिनेश कुमार सिंह
जिला कार्यक्रम अधिकारी