प्रयागराज (ब्यूरो)। जिले में सैकड़ों की संख्या में ज्वैलरी व्यापारी है ंऔर इसके मुकाबले में महज एक हालमार्किंग सेंटर खोला गया है। वर्तमान में यह सेंटर काम के ओवरलोड का शिकार है। रोजाना यहां पर दो से तीन सौ गहने जांच के लिए आते हैं। इनकी कैरेट शुद्धता की जांच कर इनकी हालमार्किंग की जाती है। व्यापारियों का कहना है कि प्रयागराज में नए सेंटर खोले जाने चाहिए। जिससे गहनों की हालमार्किंग समय रहते की जा सके। अब तक जिले के 300 ज्वैलरी शॉप का बीआईएस यानी ब्यूरो आफ इंिडयन स्टैंडर्ड में रजिस्ट्रेशन किया जा चुका है।
क्या हैं नियम
- जिन ज्वेलर्स का टर्नओवर 40 लाख से ज्यादा है या फिर वो बीआईएस रजिस्टर्ड है, उनकी हर ज्वैलरी पर हालमार्क होना जरूरी है।
- दुकान के बाहर एक डिस्प्ले बोर्ड भी लगा हो, जिसमें यह लिखा जाए कि इस दुकान पर हॉलमार्क की ज्वेलरी मिलती है,
- इसके अलावा ग्राहकों को हॉलमार्क दिखाने के लिए ग्लास और हॉलमार्किंग चार्जेस के बारे में लिखित रूप से दुकान के अंदर ही जानकारी देने के लिए एक चार्ट बनाना अनिवार्य है।
- हर दुकान के अंदर बीआईएस का नंबर और एड्रेस का एक डिस्प्ले होना जरूरी है।
मौके पर जांच करेंगे अधिकारी
इसके साथ ही, बीआईएस की तरफ से नियुक्त किए गए कुछ एजेंट्स दुकान में जाकर भी हॉलमार्किंग की जांच करेंगे, कि ज्वेलरी में हॉलमार्किंग ठीक से किया गया है कि नहीं। इसके लिए दुकानों से सैंपल उठाए जाते हैं। इसके साथ ही गहनों पर एचयूआईडी कोड भी अंकित किया जाएगा। इस कोड के जरिए ज्वैलरी की पहचान की जा सकेगी। चोरी हो जाने के बाद गहना बरामद होता है तो उसके असली मालिक की जानकारी भी इस यूनिक कोड से प्राप्त हो सकेगी।
क्या है हॉलमार्किंग?
हॉलमार्क गोल्ड की प्योरिटी का पैमाना होता है। इसके तहत हर सोने की ज्वेलरी पर भारतीय मानक ब्यूरो अपने मार्क से प्योरिटी की गारंटी देता है। लेकिन केंद्र ने साफतौर पर कहा है कि हॉलमार्क अनिवार्य होने के बाद देश में सिर्फ 14, 18 और 22 कैरेट सोने की ज्वेलरी ही बिकेगी।
एक दिसंबर से नियम अनिवार्य होने से काम का लोड बढ़ गया है। रोजाना दो से तीन सौ गहने हालमार्किंग के लिए आ रहे हैं। इससे काम भी पेंडिंग हो रहा है। ज्वैलरी व्यापारी भी इससे परेशान हो रहे हैं।
पवन तिवारी, संचालक, हालमार्क सेंटर