प्रयागराज (ब्‍यूरो)। Prayagraj Crime News: सफलता पाने के लिए मेहनत के सिवा कोई शार्टकट रास्ता नहीं होता। रातों-रात बेशुमार दौलत हासिल करने की चाहत में एक दंपत्ति ने शार्टकट रास्ता अख्तियार कर लिया था। इनका नाम अमित श्रीवास्तव और उसकी पत्नी शिखा श्रीवास्तव है। दोनों यहां इंफोकांस कंसलटेंटस प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी बनाकर लोगों से ठगी का काम शुरू कर दिए। आज से सत्रह साल पूर्व इनके द्वारा की गई इस ठगी का केस शहर के जार्जटाउन थाने में दर्ज हुआ था। नौकरी सहित तमाम तरह का झांसा देकर लाखों रुपये बटोर कर दोनों वर्ष 2007 में बंटी बबली की तरह फरार हो गए थे। इन दोनों पर पुलिस ने 50-50 हजार रुपये का नाम घोषित किया था। वर्षों बाद स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने गुजरात के अहमदाबाद से दोनों को गिरफ्तार कर लिया।

दस लाख पुलिस ने कराया था फ्रिज
साल 2005 में दंपत्ति बगैर मेहनत रातों-रात बेशुमार दौलत बटोरने का ख्वाब संजो बैठे। मेहनत व ईमानदारी के रास्ते पर चल कर इस सपने को पूरा कर पाना उनके लिए आसान नहीं था। लिहाजा वह जार्जटाउन में इंफोकांस कंसलटेंटस प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी खोल लिए। इस कंपनी में अमित खुद को मैनेङ्क्षजग डायरेक्टर जबकि पत्नी को सह डायरेक्टर बताया करता था। दोनों साफ्टवेयर डेवलपर व इंजीनियर की नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों से ठगी का कारोबार शुरू कर दिए। इनके द्वारा बुने गए जाल में फंसने वालों से सिक्योरिटी के रूप में प्रति व्यक्ति व पद के लिए 80 हजार से एक लाख रुपये तक लिया करते थे। बताते हैं कि सर्विस एग्रीमेंट में तीन वर्ष तक कंपनी में कार्य करने का एग्रीमेंट लेटर भी साइन कराते थे। एग्रीमेंट टाइम समाप्त होने यानी तीन वर्ष बाद ली गई सिक्योरिटी मनी वापस करने और साथ ही छह महीने तक काम करने बाद वेतन वृद्धि का भी झुनझुना पकड़ाया करते थे।

देते थे सैलरी
सैलरी के रूप में वे 8500 रुपये प्रति व्यक्ति दिया करते थे। इस तरह बेरोजगारों के भरोसे को लूटकर लाखों रुपये बटोरने के बाद दोनों 2007 में फरार जिला छोड़कर अंडरग्राउंड हो गए थे। ठगी के शिकार लोगों द्वारा ही जार्जटाउन थाने में केस दर्ज कराया था। केस दर्ज करके पुलिस दोनों की तलाश में शिद्दत से जुटी थी। पकड़ में नहीं आने पर इनके ऊपर पुलिस के द्वारा इनाम घोषित किया गया। इनाम घोषित होने के बाद गिरफ्तारी की गेंद एसटीएफ के पाले में डाल दी गई। तीन दिन पहले एसटीएफ के पुलिस उपाधीक्षक शैलेश प्रताप ङ्क्षसह को जानकारी मिली कि दोनों गुजरात में छिपे हुए हैं। इंस्पेक्टर जेपी राय के नेतृत्व में टीम गुजरात जा पहुंची। वहां शिवांता अपार्टमेंट बेकरी सिटी, वेजलपुर, अहमदाबाद से टीम ने आरोपित अमित श्रीवास्तव व उसकी पत्नी शिखा को गिरफ्तार कर लिया।

दिल्ली में भी खेला 'खेल
पूछताछ में दोनों ने टीम को बताया कि प्रयागराज से भागने के बाद वे दिल्ली पहुंचे थे। यहां भी यही खेल किए और दिल्ली से भागकर सात वर्ष से शिवांता अपार्टमेंट में फ्लैट खरीदकर रह रहे थे। केस की तफ्तीश कर रही पुलिस को मालूम चलता था कि शातिर अमित का खाता महाराष्ट्रा बैंक में भी है। इसमें दस लाख रुपये जमा हैं। इसके बाद पुलिस ने उसके इस खाते को फ्रिज करवा दिया था।

देश ही विदेश तक फैलाया नेटवर्क
एसटीएफ टीम से जुड़े सूत्रों की मानें तो गुजरात में रहते हुए अमित व शिखा ने जिमनी साफ्टवेयर के नाम से कंपनी खोली। मेडिकल व शिक्षा कार्य से संबंधित साफ्वेयर का काम करने लगे। यही नहीं कंपनी का दुबई में वर्चुअल आफिस भी है, जहां 12-15 लोग काम करते हैं। विदेश में मेडिकल कार्य से संबंधित साफ्टवेयर की सप्लाई का काम करता है। भारत में बैंग्लुरु, कोलकाता, जयपुर, उप्र के प्रयागराज स्थित यूनाइटेड मेडिकल कालेज में साफ्टवेयर की सप्लाई की गई है। प्रति साफ्टवेयर की कीमत 20-25 हजार रुपये है।

दोनों को यहां लाने के लिए अहमदाबाद गुजरात की कोर्ट के समक्ष पेश करके ट्रांजिट रिमांड की कार्रवाई की जा रही है। उन दोनों की कई साल से तलाश चल रही थी। उम्मीद है कि पूछताछ में अभी उनके और भी फ्राड का मामला सामने आ सकता है।
शैलेश प्रताप ङ्क्षसह, एसटीएफ सीओ