- इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के केन्द्रीय सांस्कृतिक समिति की ओर से आजादी का संघर्ष और शहादत के मायने पर हुआ व्याख्यान

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PRAYAGRAJ: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के केन्द्रीय सांस्कृतिक समिति की ओर से आजादी का संघर्ष और शहादत के मायने विषय पर मंगलवार को व्याख्यान का आयोजन हुआ। मध्यकालीन व आधुनिक इतिहास डिपार्टमेंट की ओर से हुए आयोजन की अध्यक्षता प्रो। हेरम्ब चतुर्वेदी ने की। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में प्रो.ललित जोशी रहे। इस मौके पर यूनिवर्सिटी के भूगोल डिपार्टमेंट के प्रो। एआर सिद्दीकी ने सभी गेस्ट का स्वागत किया। इसके बाद प्रो। संजय श्रीवास्तव ने शहादत के मूल अर्थ को स्पष्ट किया। उन्होंने भगत सिंह की विचारधारा पर प्रकाश डाला। प्रो। श्रीवास्तव ने गांधी जी के अहिंसात्मक आंदोलन और भगत सिंह की विचारधारा का तुलनात्मक विश्लेषण भी किया और उस के माध्यम से स्पष्ट किया की आजादी के लिए दोनों ही विचारधाराओं की अपनी अलग-अलग अहमियत थी

इतिहासकार को गौरवगाथा से खुद बचाना चाहिए

व्याख्यान के दौरन मुख्य वक्ता प्रोफेसर ललित जोशी ने इतिहास के उन सूक्ष्म उन बिंदुओं पर प्रकाश डाला जो अक्सर छूट जाते हैं। उन्होंने कहा इतिहासकार को गौरव गाथा से खुद को बचाना चाहिए और ऐतिहासिक नायकों को भी इतिहासकार को एक समीक्षक की दृष्टि से ही देखना चाहिए। यथार्थ रूप में जो इतिहास दिखाई देता है उसके भीतर एक स्माल वॉइस ऑफ हिस्ट्री होती है। जिसके सहारे ही वास्तविक इतिहास की पड़ताल की जा सकती है। हमें इतिहास को बायनरी के रूप में नहीं देखना चाहिए वह कई परतों में होता है और परत दर परत ही सामने आता है। प्रोफेसर जोशी जी ने स्वाधीनता आंदोलन में बिरसा मुंडा से लेकर भगत सिंह से होते हुए असहयोग आंदोलन व भारत छोड़ो आंदोलन जैसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक तथ्यों की पड़ताल इन्हीं सूत्रों के हवाले से की। प्रोफेसर जोशी जी ने भगत सिंह व वाचीनाथन के शहादत संबंधी मेनिफेस्टो की तुलनात्मक विवेचना भी की।

बगैर विचारधारा के क्रांति असंभव

व्याख्यान के दौरान अध्यक्षता करते हुए प्रोफेसर हेरम्ब चतुर्वेदी ने कहा क्रांति की उर्वर जमीन विचार ही तय करते हैं। किसी भी क्रांति के पीछे एक विचारधारा जरूर होती है, क्योकि विचारधारा के बगैर क्रांति असंभव है। प्रो। चतुर्वेदी ने इसको स्पष्ट करते हुए फ्रेंच रिवॉल्यूशन व भारत के 1857 के स्वतंत्रता संग्राम का तुलनात्मक विश्लेषण किया। कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन डॉ.ज्योति मिश्रा ने किया.कार्यक्रम में प्रो.अजय जैतली, प्रो.अर्चना चहल,डॉ। राहुल पटेल, डॉ। विक्रम हरिजन,डॉ। दीनानाथ मौर्य, डॉ। वीरेंद्र मीणा व इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के अन्य टीचर्स व स्टूडेंट्स मौजूद रहे।