प्रयागराज (ब्यूरो)। कामर्शियल सिलेंडर के दाम बढऩे से रेस्टोरेंट और होटल व्यवसाय वालों को लगातार झटके लग रहे हैं। पिछले कुछ समय के भीतर कामर्शियल सिलेंडर की कीमतों में अच्छा-खासा बदलाव देखने को मिला है। बता दें अक्टूबर 2021 से एक मार्च 2022 के बीच कामर्शियल सिलेंडर के दाम 275 रुपये बढ़े हैं। मंगलवार को दामों में बढ़ोतरी करते हुए सरकार ने 105 रुपए कामर्शियल सिलेंडर की कीमत में वृद्धि कर दी है। जानकारी के मुताबिक इस समय 19 किलो के कामर्शियल सिलेंडर की कीमत 2130 रुपए है
बढ़ती जा रही लागत
रेस्टेारेंट संचालकों का कहना है कि एलपीजी के दाम बढऩे से उनकी लागत में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। एक डिश तैयार करने में 10 फीसदी तक लागत बढ़ जाएगी। इसके पहले नवंबर और दिसंबर में एलपीजी के दाम बढ़े थे तब रेस्टोरेंट संचालकों के बीच डिशेज के मेन्यू में बदलाव को लेकर चर्चा हुई थी लेकिन इसे टाल दिया गया। लेकिन इस बार फिर से दाम बढऩे से डिशेज के दाम बढऩे की संभावना बन सकती है। जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ सकता है।
कोरोना में हो चुका है नुकसान
शहर के तमाम रेस्टोरेंट कोरोना काल में आर्थिक तंगी का शिकार हो चुके हैं। इनमें ताला भी लग चुका है। ब्रयू मास्टर रेस्टोरेंट के संचालक ने बताया कि कोरोना काल के दौरान उन्होंने रेस्टोरेंट को बंद कर दिया। इसे चलाना हमारे बस में नही था। क्योंकि रेस्टोरेँट का रखारखाव और कर्मचारियों की सैलरी देने का पैसा भी नही आ रहा था। इसी तरह अन्य रेस्टोरेंट भी तंगी का शिकार हो चुके हैं। कोरोना काल में सबसे ज्यादा फूड इंडस्ट्री को ही नुकसान पहुंचा है।
बार-बार कामर्शियल सिलेंडर का दाम बढऩे से रेस्टोरेंट संचालकों को परेशानी हो रही है। हमने लंबे समय से डिशेज के दाम नही बढ़ाए हैं। लेकिन ऐसे दाम बढ़े तो सोचना पड़ेगा।
राकेश राय, ओनर, एलचिको रेस्टोरेंट
अभी तो यह ट्रेलर है। दस मार्च के बाद फिर से दाम बढ़ सकते हैँ। इससे हमलोग काफी दिक्कत में हैं। अगर डिशेज के दाम मजबूरी में बढ़ाने पड़े तो इससे पब्लिक की जेब हल्की होगी।
विक्की हरजिंदर सिंह, ओनर होटल मिलन व प्रेसीडेंट रेस्टोरेंट एंड होटल एसोसिएशन
यह तो जग जाहिर है। अगर बार बार कामर्शियल रेस्टोरेंट रेट बढ़ेंगे तो डिशेज के दाम अपने आप हाइक पर आ जाएंगे। वैसे भी कोरोना काल में इस व्यवसाय का अधिक नुकसान हुआ है।
इंदर मध्यान, ओनर, कामधेनू स्वीट्स
जो मिडिल क्लास रेस्टोरेंट हैं उनको अधिक नुकसान है। क्योंकि इनको लागत बढऩे से अधिक फर्क पड़ता है। बड़े रेस्टोरेंट तो इसे किसी भी तरह मैनेज कर लेंगे।
अजय तिवारी, ओनर, हंगर बाइट