- कोरोना संक्रमण में सैकड़ों बुकिंग कैंसिल होने से चौपट हो गया व्यापार
- आर्थिक संकट की मार झेल रहे हैं शादियों में झूले और बैलून डेकोरेटर्स
- एडवांस देकर बुलाए लेबर को भी करना पड़ा वापस
प्रयागराज- शादियों में बच्चों के लिए भी खास व्यवस्था का पिछले सालों से तेजी से चलन बढ़ा है। जिसमें मिक्की माउस वाले झूले, बैलून डेकोरेशन, शुगर कैंडी, पापकार्न जैसी चीजों की खास व्यवस्था रहती है। इन चीजों ने बड़े स्तर पर रोजगार भी सृजित किए है। यहीं कारण है कि बड़ी संख्या में लोग इस व्यापार से भी जुड़े हैं। लेकिन कोरोना महामारी के कारण जहां शादियों को लेकर लिमिटेशन जारी हुआ। उसके बाद से लोगो ने शादियों की डेट कैंसिल करना शुरू किया। इस व्यापार से जुड़े लोगों को भी लाखों की चपत लग गई। स्थिति ये हो गई है कि इन व्यवसाय से जुड़े लोगों में कई लोग ऐसे है, जो सब्जी बेचकर अपने घर का खर्च चला रहे है ंऔर अपने वर्कर्स का भी खर्च चला रहे हैं
कैंसिल हो गई सारी बुकिंग
शादियों में बैलून डेकोरेशन से लेकर दूसरे काम से जुड़े लोगों ने बताया कि लास्ट इयर से ही पूरी मार्केट ठंडी चल रही थी। ऐसे में इस बार अप्रैल से शुरू हो रही लगन से काफी उम्मीद थी। यहीं कारण था कि पहले से ही लेबर और वर्कर्स को भी हजारों रुपए एडवांस देकर बुला लिया गया था। कच्चा मटेरियल भी खरीद कर रख लिए गया था। जिससे लगन के समय किसी भी प्रकार की दिक्कत ना हो, लेकिन कोरोना महामारी के कारण सरकार की ओर से गाइड लाइन जारी होने के बाद सारी की सारी बुकिंग कैंसिल हो गई। क्योंकि सरकार ने शादियों में शामिल होने वालों की संख्या को लेकर लिमिट बना दी। ऐसे में लोगों ने गेस्ट हाउस की बुकिंग कैंसिल कर दी। जिसके कारण इन चीजों की बुकिंग भी कैंसिल हो गई। स्थिति ये हो गई के लेबर को भी किराया का पैसा देकर वापस भेजना पड़ा। जो पैसा कच्चे माल को खरीदने के लिए लगाया था, वो भी डूबने की स्थिति में है। घर की रखी पूंजी डूबने से बिलकुल गंगाली की स्थिति बन गई है। समझ नहीं आ रहा है कि आखिर आगे का खर्च कैसे चलेगा।
सब्जी बेचकर चल रहा गुजारा
बैलून, पापकार्न, शुगर कैंडी आदि का काम करने वाले गोलू बैलून बताते हैं कि वह चार भाई हैं, लेकिन लॉकडाउन और सरकार की गाइड लाइन के कारण सभी काम बंद चल रहा है। स्थिति ये है कि पिता ने सब्जी की दुकान शुरू कर दी। जिससे घर का खर्च चल सके। गोलू बताते है ंकि पिछले एक साल से इसी तरह घर बैठकर काम चल रहा है। ठंड में भी कोई खास लगन नहीं थी। ऐसे में अप्रैल से लेकर जून तक की लगन से काफी उम्मीदें थी। सब की सब खत्म हो गई। वही शादियों में झांकी व बैलून डेकोरेशन का काम करते हुए रमन कुमार ने बताया कि किराए पर रूम लेकर फैमली के साथ रहते हैं। लेकिन कोरोना के कारण इस बार सारी बुकिंग कैंसिल हो गई। स्थिति ये हो गई कि घर का किराया देने के लिए भी पैसे नहीं बचे है। ऐसे में समझ नहीं आ रहा है कि आगे का खर्च कैसे चलेगा।
- शादियों के सीजन को देखकर काफी उम्मीद थी। पिछले करीब एक साल से बैठकर ही समय बीता था। ऐसे में लगा कि इस बार अच्छी लगन है, तो कुछ पैसे जोड़ लेंगे। लेकिन कोरोना के कारण सारी बुकिंग कैंसिल हो गई।
गोलू बैलून
- शादियों की बुकिंग को देखते हुए करीब डेढ़ लाख रुपए का कच्चा माल खरीद लिए थे। एडवांस देकर लेबर व वर्कर को भी बुला लिए थे। सारी पूंजी डूब गई, क्योंकि सारी बुकिंग कैंसिल हो गई। समझ नहीं आ रहा है कि इस नुकसान की भरपाई कैसे होगी।
रोहित
- इस समय घर का किराया देने के पैसे नहीं बचे हैं। सारी बुकिंग कैंसिल होने के कारण जो पैसे लगाए थे, वह भी डूब गए। यहीं हाल रहा तो खाने के लिए भी पैसे नहीं बचेंगे। दूसरा कोई काम भी नहीं है।
रमन कुमार