प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण-पत्र बनाने का लाइसेंस लेने वाले खेल रहे हैं रेट से
जनवरी से मनमाने तरीके से बढ़ा दिया गया है रेट, दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के स्टिंग में सामने आया सच
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गवर्नमेंट ने रेट फिक्स कर रखा है। टेंडर प्राइवेट एजेंसियों को इसलिए दे दिया ताकि पब्लिक को लम्बी लाइनों में न लगना पड़े। पब्लिक को सुविधा के लिए सरकार ने यह कदम उठाया तो लाइसेंस लेने वालों ने पब्लिक से ही खेलना शुरू कर दिया है। मनमाने तौर पर रेट की वसूली हो रही है। इसे लेकर टकराहट भी हो रही है और विरोध भी। पब्लिक से आयी इस शिकायत पर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने स्टिंग किया तो शिकायत में दम मिला।
सबका रेट अलग-अलग
पब्लिक की शिकायत पर दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट रिपोर्टर ने स्टिंग की शुरुआत ट्रांसपोर्ट नगर एरिया में प्रदूषण की जांच करके वाहन को सर्टिफिकेट निर्गत करने के लिए अधिकृत एजेंसीज से बात की। पता चला कि हर कोई अलग-अलग रेट पर प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र बना रहा है। बाइक के लिए 30 रुपये के स्थान पर 50 रुपये और चार पहिया वाहन के लिए 50 रुपये के स्थान पर 70 रुपये की डिमांड की जा रही थी। इसका कारण पूछने पर बताया गया कि जनवरी से रेट बढ़ा दिया गया है। इसके बाद रिपोर्टर ने सवाल किया गया कि गवर्नमेंट की तरफ से तो ऐसा कोई नोटिफिकेशन नहीं किया गया है। फिर कैसे? इसका जवाब मिला, हमने लाइसेंस लिया है। जांच करने और सर्टिफिकेट बनाने के लिए अधिकृत हैं। हमारी मर्जी, चाहे जो रेट वसूलें। किसी से ज्यादा लेते हैं तो कुछ से कम भी लेते हैं। क्या बात हुई रिपोर्टर से आप भी जान लें।
रिपोर्टर : कार का प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र बनवाना है
जांच-केंद्र : बन जाएगा। वाहन डीजल है या पेट्रोल
रिपोर्टर : डीजल है
जांच-केंद्र : 100 रुपये लगेगा
रिपोर्टर : क्यों, पहले तो 70 रुपये ही लगते थे।
जांच केंद्र : एक जनवरी से रेट बढ़ गया है इसलिए
रिपोर्टर : सरकार ने तो ऐसा कोई आदेश नहीं दिया है
जांच केंद्र : सरकार का काम लाइसेंस जारी करना और रेट तय करना है। आपरेटिंग रेट तो हम ही तय करेंगे न। आप दस रुपये कम दे दीजियेगा
रिपोर्टर : प्रमाण पर कितना प्रिंट होगा
जांच केंद्र : रसीद तो हम आपको पूरे सौ रुपये की ही देंगे
रिपोर्टर : इतनी मेहरबानी क्यों भाई। ज्यादा की रसीद देकर पैसा कम लेंगे
जांच केन्द्र: भाई देखो, सीधा सा फंडा है। जितना पैसा लगाकर लाइसेंस लिया था। उससे अपेक्षा से ज्यादा कमा चुके हैं। अब कम लें या ज्यादा लें, सब अपने पास ही आना है।
रिपोर्टर: मतलब
जांच केन्द्र: ज्यादा मतलब समझने की कोशिश न करें। काम करवाना है तो गाड़ी लगाइये नहीं तो जाइये। अपना और मेरा दोनों का वक्त बर्बाद मत कीजिए।
इसके बाद रिपोर्टर चंद कदम की दूरी पर स्थित एक दूसरे प्रदूषण नियंत्रण जांच केन्द्र पहुंचा। वहां भी गाड़ी के लिए सर्टिफिकेट बनवाने की बात की। यहां 50 रुपये में ही लाइसेंस जारी करने का ऑफर दिया गया। यह सुनकर रिपोर्टर चौंक गया। इसके बाद इस जो बात हुई वह भी चौंकाने वाली थी।
जांच-केंद्र : टारगेट पूरा हो गया है। अभी तीन महीने बचे हैं। इसलिए ज्यादा ज्यादा बनाने का टारगेट लेकर चल रहा हूं। इसलिए पुराने रेट से मना दूंगा
रिपोर्टर : टारगेट बोले तो डुप्लीकेट तो नहीं बनाएंगे।
जांच-केंद्र : डेली दो हजार से ऊपर का इनकम टारगेट होता है। लाखों रुपये लगाकर मशीन लगाया है मालिक को एक फिक्स इनकम चाहिये होता है वह पूरा हो गया है।
रिपोर्टर - एक जानने वाला डिस्काउंट दे रहा है इसका मतलब अभी उसका टारगेट नहीं पूरा हुआ होगा
जांच-केंद्र : बिल्कुल सही पकड़े हैं। कुछ लोग तो आपको नए रेट से एक रुपये कम तक नहीं करेंगे। उनके पास डेली दस भी नहीं बन पाता होगा।
इसके बाद रिपोर्टर ने एक अन्य जांच केंद्र के बोर्ड पर लिखे नंबर पर कॉल करके बात की।
रिपोर्टर : प्रदूषण प्रमाण पत्र बनवाना है
जांच-केंद्र : बन जायेगा
रिपोर्टर : बहुत खास आदमी से आपका नंबर मिला है
जांच-केंद्र : अरे भाई साहब कौन सी गाड़ी है आपकी
रिपोर्टर : डीजल कार है, कितना लगेगा
जांच-केंद्र : जो मन में आएगा दे दीजियेगा
रिपोर्टर : रेट तो कुछ फिक्स होगा न
जांच-केंद्र ड रेट तो बढ़ा है उसका कोई मतलब नहीं है। आप जो चाहे देंगे सब अपने ही जेब में आना है। कहीं जाना नहीं है:
रिपोर्टर : यह कैसे, यह आप नई चीज बता रहे हैं
जांच-केंद्र : लखनऊ से लाइसेंस लेने में एक बार जो लगता है। उसको देना पड़ता है। बाकि मशीन खरीदने में लगते हैं।
रिपोर्टर : इनकम तो ठीक-ठाक तब तो हो जाती होगी
जांच-केंद्र : दो हजार से ऊपर का डेली इनकम हो जाता है
रिपोर्टर ड लखनऊ में लाइसेंस का कितना लग जाता होगा
जांच-केंद्र : फीस तो कम पर सर्वे करने वाले से लेकर सेटिंग तक साठ हजार के करीब लग जाता है। डेली अगर दो प्लस इनकम हो गया है समझो काम हो गया
पहले का रेट - नया रेट
पेट्रोल चलित दुपहिया - 30 - 50
तिपहिया पेट्रोल, सीएनजी, एलपीजी 30 - 70
कार पेट्रोल, सीएनजी एलपीजी - 40 - 70
डीजल कोई भी 50 - 100
फिक्स रेट पर ही तय केंद्रों पर वाहनों का प्रदूषण प्रमाण-पत्र बनाए जा रहे हैं। तय रेट से अधिक शुल्क लेने की शिकायत पर जांच कराकर केंद्रों का लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा।
राजकुमार सिंह
आरटीओ, प्रयागराज