प्रयागराज (ब्यूरो)।श्री महंत बाबा हाथीराम पजावा राम लीला कमेटी की ओर से ध्वनि एवं प्रकाश के माध्यम से मंचित रामलीला में भगवान श्रीराम के जन्म से लेकर ताड़का वध एवं अहिल्या उद्धार तक की मनमोहक रामलीला का मंचन किया गया। भगवान के जन्म होते ही चारों तरफ बधाई गीत बजने लगे। हर कोई हर्षोल्लास के साथ खुशियां मनाने लगा। कमेटी की ओर से ताड़का वध की कृत्रिम तरीके से दिखाया गया। साथ ही मारीच एवं सुबाहु का वध भी कृत्रिम तरीके से प्रस्तुत किया गया। कमेटी द्वारा निॢमत दो मंजिला स्टेज पर संपन्न हुआ आकाश मार्ग से आए राक्षसों का वध प्रभु श्री राम के द्वारा देखते ही बन रहा था। पूरा मैदान श्रीराम के जयकारों से गूंज गया। कमेटी की ओर से वरिष्ठ मोहन जी टंडन, कोषाध्यक्ष अमिताभ टंडन, रामलीला निर्देशक सचिन कुमार गुप्ता, संयोजक राजेश मल्होत्रा आदि लोग मौजूद रहे।
बच्चों के लिए हुई प्रतियोगिता
महंतबाबा हाथीराम पजावा रामलीला कमेटी की ओर से लीला मंचन के पूर्व प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसके पहले मंच पर भगवान श्रीराम का आगमन हुआ। जिसके बाद डॉ। सुशील कुमार सिन्हा ने उनकी आरती उतारी। इसके बाद बच्चों के लिए एक प्रतियोगिता आयोजित की गई। जिसमें एंकर शिवानी गुप्ता द्वारा बच्चों से प्रभु श्री राम के चरित्र आधारित प्रश्न पूछे गए। जो बच्चो ने सही उत्तर दिया उनको प्रोत्साहन पुरस्कार भी कमेटी की तरफ से दी गई। रामलीला निर्देशक सचिन कुमार गुप्ता ने बताया कि प्रतियोगिता के पीछे उद्देश्य था कि बच्चों में और हमारे समाज में प्रभु श्री राम के बारे में अधिक से अधिक सभी जाने एवं उन्हेंं अनुसरण करें तथा उनके अच्छे प्रताप और उनके चरित्र को अपने अंदर समाहित करें।
कटरा में राम जन्म की लीला का मंचन
श्री कटरा राम लीला कमेटी प्रयागराज के द्वारा संचालित सम्पूर्ण रामायण की राम कथा के दूसरे दिन राम लीला संयोजक मयंक अग्रवाल, अश्वनी केसरवानी, राकेश चौरसिया, राजेन्द्र प्रसाद चौरसिया ने रामायण की आरती पूजन किया। इसके बाद ध्वनि प्रकाश से राम लीला मंचन प्रारंभ हुआ। जिसमें भगवान शंकर और माता पार्वती जी को रावण ओर राम के जन्म की कथा सुनाते हैं। नारद तपस्या व इन्द्र लोक की लीला शक्ति का घमंड नारद जी में भी जन्म लेता है। इसलिए भगवान विष्णु के द्वारा शक्ति निधि की मायवी नगरी बनाने का बहुत ही रोचक प्रसंग मंचित किया गया। महाराज दशरथ के देव योग से चार पुत्रों का जन्म होता है। अयोध्या नगरी में चहुंमुखी खुशियां मनाई जा रहीं। राजा दशरथ अपने तीनों रानियों के साथ राज महल में उत्सव मनाते हैं। धीरे राम लक्ष्मण भरत शत्रु धन बड़े हो गये गुरु कुल से हर प्रकार के गुणों से शिक्षित हो कर महल आते है। राक्षसों के अत्याचार से मुनि विश्वामित्र श्री राम व लक्ष्मण को राजा दशरथ से मांग कर ले जाते हैं। इसके बाद ताड़का वध, सुबाहु व मारीच वध और अहिल्या उद्धार प्रसंग का मंचन किया गया। इसके बाद दूसरी तरफ राजा जनक अपने प्रजा के कल्याण के लिए सोने के हल चलाते हैं। जिससे वर्षा हो सके। हल चलाते समय मां सीता घड़े में निकलती कन्या पा कर राजा दशरथ व पत्नी सुनेना बहुत प्रसन्न होकर महल लेकर आते हैं। गुरुवार को मुख्य अतिथि हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अमरेन्द्र नाथ सिंह रहे।
बाघम्बर में हुआ भगवान का जन्म
बाघम्बरी क्षेत्र श्री रामलीला कमेटी अल्लापुर में भी भगवान श्री राम के जन्म की कथा का मंचन किया गया। भगवान के जन्म की लीला का मंचन होते ही हर तरफ भगवान श्रीराम के जयकारे लगने लगे। इसके बाद रावण जन्म की लीला का मंचन किया गया। साथ ही भगवान श्रीराम के गुरुकुल जाने, वहां से लौटने पर विश्वामित्र द्वारा उनको अपने साथ लेकर जाने, ताड़का वध से लेकर सीता स्वयंवर तक की लीला का मंचन किया गया।
दारागंज में भरत मिलाप का मंचन
श्री दारागंज रामलीला कमेटी में चल रही रामलीला में निषाद मिलन और भरत मिलाप का मंचन किया गया। प्राचीन रामलीला कमेटी श्री दारागंज रामलीला कमेटी के द्वारा अपनी परंपरा के अनुसार चल रही लीला के क्रम में गुरुवार को लीला संयोजक सिया राम शास्त्री के निर्देशन में निषाद मिलन एवम भरत मिलाप की लीला संपन्न हुई। सर्वप्रथम निषाद मिलन की लीला में प्रभु श्री राम निषाद राज के यहां पहुंचते हैं। निषाद समाज के द्वारा पूजन अर्चन किया जाता है। फिर उनको मां गंगा के पार कराने की लीला की जाती है। निषाद समाज के चिरौंजी निषाद, अन्नू निषाद, नानका निषाद, निंदा निषाद, रंजू निषाद आदि के द्वारा भगवान का पांव पखारे जाते हैं। उसके बाद भगवान की सवारी कार से मठ बाघम्बरी गद्दी पहुंचती है। जहां मठ बाघम्बरी गद्दी के नवनियुक्त महंत श्री बलबीर पुरी और उपस्थित संतो के द्वारा भगवान की आरती उतारी जाती है और कमेटी के सदस्यों का स्वागत किया जाता है। इसके बाद भगवान के द्वारा इमली चखने की लीला अलोपीबाग से करते हुए वापस बड़ी कोठी मैं आते हैं।