प्रयागराज (ब्यूरो)। पुरोहित कहते हैं कि 11 अगस्त रक्षाबंधन वाले दिन पूर्णिमा तिथि के साथ पाताल लोक में भद्रा शुरू हो जाएगा। मुहूर्त शास्त्र चिंतामणि के अनुसार जब भद्रा का वास पृथ्वी लोक पर होता है तब शुभ कार्य वर्जित होते हैं। चूंकि रक्षाबंधन पर भद्रा पाताल लोक में है, इसलिए इसका असर पृथ्वी पर नहीं रहेगा। भद्रा जिस लोग में निवास करता है उसका प्रभाव भी उसी लोक में बताया जाता है। चूंकि 11 अगस्त को भद्रा का प्रभाव पृथ्वी लोक पर नहीं है, इस लिए रक्षाबंधन 11 अगस्त को मनाया जाएगा। पंचांग गणना के अनुसार चंद्रमा जब भी कर्क, सिंह, कुंभ और मीन राशि में भ्रमण करते हैं तब भद्रा का का असर पृथ्वी पर होता है। वहीं चंद्रमा जब मेष, वृषभ और वृश्चिक राशि की यात्रा करते हैं तो भद्रा का वास स्वर्गलोक में रहता है। इसी तरह चंद्रमा जब कन्या, तुला व धनु और मकर राशि में हों तो भद्रा का वास पाताल लोक में होता है। पुरोहित कहते हैं कि शास्त्रों के अनुसार भद्रा जब स्वर्ग या पाताल लोक में निवास करता है तो दुष्प्रभाव नहीं रहता है। चंद्रमा इस बार मकर राशि में रहने से 11 अगस्त को भद्रा का वास पाताल लोक में रहेगा। इस कारण इसी दिन रक्षाबंधन का त्योहार मनाए जाने का योग है।
इस पर भी दीजिए गंभीरता से ध्यान
पुरोहित कहते हैं कि ग्रंथ मदन रत्न में लिखा है कि प्रतिपदा युद्ध पूर्णिमा न करें उदया तिथि में ज्योतिष्ज्ञ तीन प्रहर से कम समय तक हो, वह तिथि शुभ कार्य व व्रत के लिए मान्य नहीं होती। सावन पूर्णिमा तिथि पर रक्षाबंधन मनाए जाने की परंपरा है। इसलिए 11 अगस्त को सुबह 10 बजकर 38 मिनट से पूर्णिमा तिथि शुरू हो जाएगी। यह तिथि अगले दिन 12 अगस्त को सुबह 7.16 तक रहेगा। इसके बाद भाद्रपद की प्रतिपदा तिथि शुरू होगी। इस लिए 12 अगस्त को रक्षाबंधन मनाने के पीछे खास तर्क नहीं है। मुहूर्त गणना के अनुसार 11 अगस्त को सुबह 11.37 बजे से 12.29 बजे तक अभिजीत यानी शुभ मुहूर्त रहेगा।
गुरुवार को रक्षाबंधन पर्व मनाया जाएगा। इस दिन रात 8.36 बजे से सुबह 7.16 बजे तक राखी बांधने का मुहूर्त है। इसके बाद भद्रा शुरू हो जाएगा। भद्रा में कोई भी शुभ काम वर्जित है। पाताल लोक में भद्रा होगा मगर, आंशिक असर पड़ सकता है। इस लिए सावधानी जरूरी है।
पं। मनोज तिवारी, ज्योतिषाचार्य रसूलाबाद
भद्रा धरती पर भले ही न हो पर वह धरती के नीचे पाताल में है। इसलिए सावधानी यही कहती है कि रात 8.36 बजे से सुबह 7.16 बजे तक राखी बंधी जाय। चूंकि भद्रा पाताल में होगा, इसलिए सावधानी बरतना बेहर रहेगा।
पं। विमल मिश्र, कर्मकाण्डी फाफामऊ