प्रयागराज ब्यूरो । वीरेंद्र यादव बेहद तेजतर्रार सिपाही थे। कानून के अच्छे जानकार थे। फाफामऊ थाना में पोस्टिंग के बाद वीरेंद्र ने अपनी कार्यशैली से अच्छी पहचान बना ली थी। अपने व्यवहार से थाने में दारोगा सिपाहियों के चहेते बन गए थे। एरिया में भी गश्त के दौरान वीरेंद्र की व्यवहार कुशलता सराहनीय थी। मगर वीरेंद्र की एक गलती उनके जीवन पर भारी पड़ गई। सड़क हादसे में वीरेंद्र की मौत हो गई। वीरेंद्र ने हेलमेट नहीं लगाया था। शायद वीरेंद्र ने हेलमेट लगाया होता तो उनकी जान हादसे में बच जाती।

ये है मामला
वाराणसी के थाना चौबेपुर के सोहनीपुर के रहने वाले वीरेंद्र यादव पुलिस महकमे में हेड कांस्टेबिल थे। करीब चार महीना पहले जीआरपी से उनका ट्रांसफर फाफामऊ थाने में हुआ। वह किराए का कमरा लेकर रहते थे। शनिवार रात को वह गश्त पर निकले। वह गश्त पर अकेले ही थे।
सड़क किनारे मिली बाइक
रविवार सुबह मलाक हरहर बाजार के पास लखनऊ हाइवे पर निर्माणाधीन पुलिया के पास एक बाइक पड़ी हुई मिली। यह देखकर बाजार के लोग वहां पहुंच गए। पास में जाकर देखा तो पुलिस की वर्दी में सिपाही पानी से भरे गड््ढे में पड़ा था। लोगों ने डायल 112 को सूचना दी। कुछ ही देर में पुलिस पहुंच गई। डायल 112 के सिपाही बॉडी देखकर आवाक रह गए। बॉडी वीरेंद्र यादव की थी। वीरेंद्र के शरीर में कई जगह चोट थी। सबसे ज्यादा चोट सिर में लगी थी। आशंका जताई गई कि निर्माणाधीन पुलिया से टकराकर वीरेंद्र गिर गए। जिससे सिर पर चोट आई। खून बहने से वीरेंद्र की मौत हो गई। सूचना पर कुछ ही देर में थाने से कई दारोगा और सिपाही पहुंच गए।
परिवार का इंतजार रह गया अधूरा
परिवार वीरेंद्र यादव का इंतजार कर रहा था। मगर वहां पर सुबह सुबह वीरेंद्र की मौत की खबर पहुंची। परिचित सिपाहियों ने घरवालों को मोबाइल से वीरेंद्र की मौत की सूचना दी तो परिवार में कोहराम मच गया। परिवार में पत्नी सुमन का रो रोकर बुरा हाल हो गया। दो बेटे हैं विपुल और विभव। दोनों ग्रेजुएशन कर रहे हैं।

वाराणसी भेजा गया शव
पुलिस ने बॉडी को सील करके पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। सूचना पाकर वाराणसी से परिवार वाले आ गए। वीरेंद्र के बड़े भाई सुरेंद्र नारायण पुलिस महकमे में ड्राइवर थे। पोस्टमार्टम के बाद वीरेंद्र की बॉडी पुलिस लाइन लाई गई। यहां शोक सलामी दी गई। इसके बाद बड़े भाई सुरेंद्र नारायण वीरेंद्र की बॉडी लेकर वाराणसी के लिए रवाना हो गए।

क्या गुजरेगी बच्चों पर
वीरेंद्र की मौत हो गई। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि बच्चों पर क्या गुजरेगी। ये बात ठीक है कि सरकारी कर्मचारी होने के नाते वीरेंद्र के परिवार को मुआवजा मिल जाएगा। मगर उनका क्या जो सरकारी नौकरी में नहीं हैं। ऐसे में सड़क हादसे से बचने के लिए हेलमेट लगाना बहुत ही जरुरी है।


इसके बाद भी लापरवाही
वीरेंद्र ने भी अपने कॅरियर में सैकड़ों सड़क हादसे देखेे होंगे। जाहिर है कि सड़क हादसे में हेमलेट न लगाने की वजह से मौत भी देखी होगी। इसके बाद भी वीरेंद्र कभी हेलमेट नहीं लगाते थे।

नहीं लगाया था हेलमेट
पिछले हाईकोर्ट फ्लाईओवर पर रंजीत की मौत हुई। घटना दोपहर की है। धूमनगंज का रहने वाला रंजीत प्लंबर का काम करता था। वह अल्लापुर से अपने घर लौट रहा था। हाईकोर्ट फ्लाईओवर पर किसी वाहन से टकरा कर रंजीत बाइक सहित सड़क पर गिर गया। उसके सिर में गहरी चोट आई। जिससे पूरी सड़क पर खून फैल गया। कुछ देर में उसकी मौत हो गई। रंजीत ने भी हेलमेट नहीं लगाया था।


गिरा खंभा फट गया सिर
झूंसी का रहने वाला रजनीश काम के सिलसिले में शहर की तरफ आ रहा था। वह बाइक से शास्त्री ब्रिज पर था। तभी ब्रिज पर लगा बिजली का खंभा गिर गया। बाइक से आ रहे रजनीश के सिर पर गहरी चोट आई। रजनीश ने भी हेमलेट नहीं लगा रखा था। हालांकि गंभीर रूप से चोटहिल रजनीश की जान तो बच गई मगर जिस तरह से हादसा हुआ था उससे रजनीश की जान भी जा सकती थी।


हेलमेट जरुर लगाकर चलिए
अपने लिए न सही, अपनों की खातिर ही हेलमेट लगाइए। क्योंकि सड़क हादसे में अस्सी फीसदी मौत सिर में गहरी चोट आने से होती है। इसके बाद भी बाइक से चलने वाले लोग हेलमेट से दूरी बनाए रहते हैं। जिसका नतीजा होता है कि सड़क हादसा हो जाने पर सिर में गहरी चोट जानलेवा हो जाती है। ऐसे एक नहीं सैकड़ों हादसे हो चुके हैं, जिनमें मौत का कारण सिर में गहरी चोट रही। इसके बावजूद लोग हेलमेट लगाने से बचते हैं।


17 मौत जनवरी माह में।
14 मौत फरवरी माह में
16 मौत मार्च माह में।
19 मौत अप्रैल माह में।
22 मौत मई माह में।
20 मौत जून माह में
870 चालान बगैर हेलमेट के।