प्रयागराज ब्यूरो । शारदीय नवरात्र का भक्तों को साल भर इंतजार रहता है। क्योंकि इन नौ दिनों में श्रद्धा और भक्ति के साथ श्रद्धालुओं को दुर्गापूजा पांडालों में रोमांच का अनुभव भी होता है। इसी तरह इस बार भी शहर के तमाम पांडालों की अलग अलग थीम रखी गई है। नेतानगर के दुर्गा पार्क में सजाए गए पांडाल को जुरासिक पार्क का लुक दिया गया है। इसको बनाने में लगभग 20 कारीगर कोलकाता से आए हैं। इन कारीगरों ने 16 अगस्त से पंडाल की सजावट का काम शुरू किया है, जो 5 अक्टूबर तक पूरा होने की उम्मीद है। इसी क्रम में दरभंगा में सजाए जा रहे दुर्गापूजा पांडाल को जापान के बौद्ध मंदिरों की थीम पर तैयार किया जा रहा है। जिसको देखकर श्रद्धालुओं को कौतूहल कई गुना बढ़ जाएगा।

आकृतियां जो देखने में लगेंगी असली
नेता नगर में तैयार किए जा रहे पंडाल के बाहरी हिस्से को एनाकोंडा, अजगर, मगरमच्छ और डायनासोर जैसे विशालकाय जानवरों की आकृतियों से सजाया गया है। इसके साथ ही, वहां असली जैसे दिखने वाले पेड़-पौधों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। पंडाल में प्रवेश करते ही दर्शकों को आदिवासी जीवनशैली का अनुभव होगा, जिसमें सूखी घास के विभिन्न काउंटर बनाए गए हैं। इस पंडाल को सजाने के लिए सभी सामग्री खासतौर पर बाहर से, कोलकाता, कर्नाटका और राजस्थान से लाई गई है, ताकि इसे और भी यूनिक बनाया जा सके। इतना ही नही इस पंडाल में लकड़ी और फर्न का उपयोग करके मानव और जानवरों की आकृतियां तैयार की जा रही हैं। रुई से बने आर्टिफिशियल बादल और सूखे पत्तों से सजाई गई दीवारें इस पंडाल की खासियत हैं। एक काउंटर पर जलती हुई लाइट के बीच कंकाल चलते हुए दिखाई देंगे, जबकि दूसरे काउंटर में अमेजऩ जंगल की थीम होगी।

पांडाल को जीवंत बनाने को कड़ी मेहनत
मुख्य कारीगर लकी दादा के नेतृत्व में काम कर रहे सभी कारीगर पंडाल को जीवंत बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। यह पंडाल धार्मिक आस्था का प्रतीक होने के साथ-साथ एक अद्वितीय सांस्कृतिक अनुभव भी प्रदान करेगा, जिससे दर्शक इस दुर्गा पूजा में एक नई शैली का आनंद ले सकेंगे। पंडाल के निर्माण में लगे सभी सदस्यों ने मिलकर इसे विशेष और यादगार बनाने की पूरी कोशिश की है, जिससे लोग इसे देखने के लिए उत्सुक हैं।

होगा वास्तविक बौद्ध मंदिर का अनुभव
दरभंगा कॉलोनी पूजा समिति ने इस साल दुर्गा पूजा के लिए एक अनूठा थीम चुना है, जो जापान के बौद्ध मंदिरों से प्रेरित है। यह भव्य पंडाल बहु-स्तरीय टॉवर के रूप में बनाया गया है और इसे सुनहरे रंग में सजाया जाएगा। पांडाल को सजाने में कोलकाता से आए 18-20 कारीगर शामिल हैं, जो पिछले डेढ़ महीने से लगातार मेहनत कर रहे हैं। इस पंडाल का उद्देश्य दर्शकों को एक वास्तविक बौद्ध मंदिर का अनुभव प्रदान करना है। पंडाल की सजावट और संरचना पूरी तरह से बौद्ध मंदिर से प्रेरित है, और इसे इस तरह से डिजाइन किया जा रहा है कि दर्शकों को अंदर और बाहर, दोनों ओर से असली बौद्ध मंदिर का अनुभव हो सके।
कोलकाता से मंगाई गई सामग्री
पांडाल को सजाने के लिए सभी सामग्री कोलकाता से मंगवाई जा रही है। हर छोटे-छोटे सजावट पर खास ध्यान दिया जा रहा है ताकि हर एक भाग यथार्थ लगे। दर्शकों को ऐसा अनुभव देने की कोशिश की जा रही है कि उन्हें बिना जापान गए ही वहां के बौद्ध मंदिर का फील मिल सके। इस पंडाल के माध्यम से न केवल पारंपरिक कला का प्रदर्शन किया जा रहा है, बल्कि उभरते कलाकारों को अपने टैलेंट को शोकेस करने का भी एक अवसर मिल रहा है। जैसे ही पांडाल की सजावट पूरी होती है, यह एक नया आयाम प्रस्तुत करेगा, जो दर्शकों को अपनी ओर खींचेगा।

वर्जन
इस बार हमारे पांडाल का थीम जापान के बौद्ध मंदिर से प्रेरित है। यही कोशिश है कि हम दर्शकों को एक यथार्थवादी अनुभव दे सकें। सभी कारीगर दिन-रात मेहनत कर रहे हैं ताकि पांडाल भव्य तरीके से तैयार हो सके। यह दुर्गा उत्सव न केवल हमें पारंपरिक कला का प्रदर्शन करने का अवसर देता है, बल्कि उभरते कलाकारों को अपने टैलेंट को दिखाने का भी एक मंच प्रदान करता है।
- रंजू डे, सचिव, दरभंगा कालोनी दुर्गा पूजा समिति

इस साल कुछ नई थीम दर्शकों को देखने को मिलेगी। इस पांडाल में काफी दिलचस्प चीज़ें होंगी, जिसमें सिर्फ बड़े ही नहीं, बच्चों को भी मज़ा आएगा। इस थीम पर चार साल मंथन किया गया है, अब जाकर यह मूर्त रूप ले रही है।
- अमित यादव, नेतानगर दुर्गा पूजा समिति