प्रयागराज (ब्यूरो)। शहर में तमाम लोग प्लाटिंग और बिल्डिंग का काम कर रहे हैं। इस काम के लिए कुछ ने बाकायदे कंपनी बना रखी है। इन कंपनियों से मिलते जुलते नाम चुनकर शातिर फेक कंपनी तैयार कर पब्लिक से ठगी कर रहे हैं। इनके जरिए मार्केट में कस्टमर लाने के लिए चंद रुपयों में लोकल लड़के नौकरी पर रख लिए जाते हैं। कुछ तो ऑनलाइन भी अपनी फेक कंपनी के नाम पर प्लॉट और मकान बुक करने के दावे करते हैं। इनके जरिए रखे गए लड़के बिके प्लाट पर कमीशन और टारगेट की चाह में काम पर लग जाते हैं। जमीन खरीदने की इच्छा जताने वालों की भनक लगते ही वे लड़के लोगों के पास पहुंच जाते हैं। यह लोग तमाम तरह की स्कीम और छूट तक के प्रलोभन भी देते हैं। यहां तक कि रुपये न होने पर फाइनेंस करवाने तक का ये ठेका ले लेते हैं। झांसे में आने वालों से यह फाइल मेंटेन करने के नाम पर हजारों रुपये वसूल लेते हैं। फिर दूसरी किस्त में रजिस्ट्री या एग्रीमेंट के नाम पर लाखों रुपये की वसूली करते हैं। रुपये हाथ में आने के बाद ऐसे एजेंटों का कुछ पता नहीं चलता। फिर रुपये देने वाला इन्हें खोजता रह जाता है। इस तरह की ठगी के शिकार एक दो नहीं जिले के कई लोग हो चुके हैं। अब वह रुपये वापस दिलाने के लिए पुलिस से गुहार लगा रहे हैं।
स्कीम बताकर करते हैं गेम
साइबर शातिरों द्वारा लोगों के फोन करके मकान प्लॉट के नाम पर तमाम तरह के स्कीम बताए जाते हैं। इनके जरिए लखनऊ, दिल्ली, नोएडा जैसे बड़े शहरों में मकान और प्लॉट सस्ते रेट में दिलाने के दावे किए जाते हैं। झांसे में फंसने वाले से शातिर प्रोसीडिंग शुरू करने के नाम पर हजारों रुपये की डिमांड खाते में करते हैं। कहते हैं कि इन रुपयों से फार्म भरकर प्लाट या मकान की बुकिंग की जाएगी। रुपये उनके खाते में ट्रांसफर करने के बाद उनका फोन लगता ही नहीं।
केस-1 प्रतापगढ़ जिले के पट्टी निवासी गिरजेश सिंह यहां छोटा बघाड़ा में रहते हैं। इनके द्वारा कर्नलगंज थाने शिकायत की गई है। पुलिस को इन्होंने बताया है कि राजापुर में प्लाट दिलाने के नाम पर रंग बहादुर नामक शख्स द्वारा डेढ़ लाख रुपये की ठगी की गई। रुपये दिए जाने के बाद वह फोन नहीं उठा रहा। जहां रहने की बात उसने बताई थी,अब वहां भी नहीं है। उसका मोबाइल भी स्विच ऑफ बता रहा है।
केस-2 सहसों निवासी राजेश तिवारी की इच्छा थी कि वे शहर में मकान लेंगे। इस बात की कुछ लोगों से वह चर्चा कर बैठे। अगस्त माह के अंत में उनके पास एक कॉल आई, रिसीव किए तो फोन पर कॉलर द्वारा अपना नाम मो। मुस्तफा बताते हुए मकान और प्लाट परते में दिलाने की बात कही। चाहत के अनुरूप झूंसी में उन्हें एक मकान दिखाया गया। पसंद आने पर मांगे गए 50 हजार रुपये वह दे दिए। इसके बाद से उस शख्स का कुछ पता नहीं चल रहा। यह शिकायत झूंसी थाने में की गई।
केस-3 प्रतापगढ़ शहर के आजम सिद्दीकी ने भी प्लान के नाम पर ठगी की शिकायत साइबर थाने में की है। कहा है कि वह प्रयागराज में मकान लेना चाह रहे थे। ऑनलाइन कई दफा वह अच्छे अपार्टमेंट को सर्च किए थे। इसके कुछ दिन बाद पिछले माह कॉल आई। अपार्टमेंट की जगह गोविन्दपुर में एक मकान की फोटो भेजी गई। ओके किया तो बुलाकर मकान दिखाया और खाते में 40 हजार रुपये प्रोसेसिंग फीस के नाम पर मंगाया, पैसे ट्रांसफर होने के बाद नंबर बंद है।
ऐसे करें पड़ताल फिर दें पैसा
शहर में जमीन या प्लॉट लेने की इच्छा है तो यह बात हर किसी से शेयर न करें
अपनी इच्छा केवल उन्हीं से बताएं जिन्हें जानते हों और उस पर पूरा विश्वास आप को हो
किसी के द्वारा दिखाए गए मकान या प्लाट के बारे में अच्छी तरह जानकारी प्राप्त करें।
संबंधित एरिया के तहसील में जाकर जमीन के नंबर उसके मालिक आदि की जानकारी लें
फिर उनसे भी संपर्क करें और एरिया के लेखपाल व अन्य अफसरों से डिटेल जमा करें।
मकान या जमीन का खसरा खतौनी निकलवा कर दूसरे एरिया के लेखपाल से भी पता कराएं
जमीन व मकान के मामले में किसी भी अनजान व्यक्ति की कही हुई बात पर भरोसा न करें
ऐसे किसी व्यक्ति के कहने एक भी रुपये का लेनदेन न करें, रुपये मांगने वालों से सतर्क रहे।
बिना छानबीन के किसी को भी पैसे न दें, लोग पहले खुद तहकीकात करें फिर आस-पास के लोगों से बात करें इसके बाद रिसीप्ट आदि लेने के बाद ही पैसे ट्रांसफर करें। ऐसे में वह ठगी के शिकार हो जा रहे हैं। कुछ बातों पर ध्यान देकर लोग इस तरह से होने वाली ठगी से बच सकते हैं।
दिनेश सिंह, एसपी सिटी