- मुश्किल घड़ी में ढूंढने पर भी नहीं मिलता टॉयलेट, महिलाओं को हर वक्त सताता रहता है डर

- दैनिक जागरण आईनेक्स्ट द्वारा चलाये जा रहे अभियान में विदाउट वर्किंग वीमेन ने शेयर की प्रॉब्लम

शहर के सभी मार्केट में सार्वजनिक टॉयलेट की समस्या एक जैसी है। महिलाओं को जरूरत के समय टॉयलेट न मिलने पर उन्हें कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। उनकी इस पीड़ा को समझने के लिए

दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट की ओर से च्एक्सक्यूज मी, वेयर इज माई टॉयलेटच् अभियान चलाया जा रहा है। इसी कड़ी में शुक्रवार को दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट ने विदाउट वर्किंग वीमेन से बात की तो उन्होंने अपनी प्रॉब्लम को शेयर किया। सभी महिलाओं व लड़कियों न एक जैसा जवाब दिया। उनका कहना है कि ज्यादा देर तक मार्केट व बाहर रहने में टेंशन बना रहता है। टॉयलेट की प्रॉब्लम बताते-बताते कुछ महिलाएं भावुक हो गई हैं। कुछ महिलाओं ने बताया कि आज तक इस मुद्दे पर न कोई अधिकारी ध्यान दिया और न ही कोई इस प्रॉॅब्लम पर चर्चा करता है। इससे एक दिन पहले वर्किंग वीमेन ने भी अपने प्रॉब्लम को शेयर किया था।

मनमोहन पार्क चौराहा के पास कृतिका श्रीवास्तव नाम की महिला मिली। दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट रिपोर्टर द्वारा सिटी के अंदर टॉयलेट के प्राब्लम पर सवाल पूछने पर बताया कि वह आधे घंटे से टॉयलेट ढूंढ रही थी। मार्केटिंग करने के लिए कटरा बाजार आई थी। किसी व्यक्ति ने बताया कि सिर्फ मनमोहन पार्क और कचहरी के पास ही टॉयलेट है। जिसपर उनको रिक्शा पकड़कर मनमोहन पार्क तक आना पड़ा। यहां आने पर भी उनको टॉयलेट साफ नहीं मिला। मजबूरी में यूज करना पड़ा। उनका कहना है कि मार्केट में टॉयलेट की कमी से ज्यादा देर तक रोकना टेंशन भरा होता है। इतना ही नहीं इससे कई तरह की बीमारियों को भी खतरा बना रहता है।

यूनिवर्सिटी रोड के पास रीना कुमारी नाम की युवती मिली। दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट रिपोर्टर द्वारा टॉयलेट के प्रॉब्लम पर सवाल पूछने पर बताते-बताते भावुक हो गई। उसने बताया कि यह प्रॉब्लम सिर्फ एक लड़की या फिर महिला समझ सकती है। ज्यादा देर तक मार्केट में रोकना टेंशन सा लगता है। कम समय में जल्दी काम निपटा कर भाग जाने की टेंशन बनी रहती है। जरूरत के सामान हर कदम पर मिल जाते हैं। लेकिन सबसे जरूरी टॉयलेट नहीं मिलता। इस पर न ही सरकार ध्यान देती है और न ही पब्लिक इस मुद्दे पर बात करती है। पहली बार किसी रिपोर्टर को टॉयलेट की प्रॉब्लम पर सवाल पूछता देख रही हूं। यह एक अच्छा प्रयास है।

आंनद भवन रोड के पास दुर्गा देवी नाम की महिला सार्वजनिक टॉयलेट यूज करके बाहर निकल रही थी। उनसे टॉयलेट के प्राब्लम के बारे में रिपोर्टर ने सवाल किया। महिला ने बताया कि चीजें आसानी से मिल जाती है। लेकिन सार्वजनिक टॉयलेट नहीं मिलती है। डर के मारे में मार्केटिंग करते वक्त पानी कम पीते हैं। घर से फ्रेश होकर निकलना पड़ता है। महिलाओं को ज्यादा देर तक मार्केट में रोकना टेंशन भरा लगता है। अगर जरूरत के हर जगहों पर टॉयलेट बन जाये तो टेंशन दूर हो जाएगी। टॉयलेट वह भी पिंक टॉयलेट हो। ताकि जाने में संकोच न लगे।

बैंक रोड के पास सीमा सिंह नाम की युवती ने बताया कि टॉयलेट की कमी पूरे मार्केट व भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर है। पिंक टॉयलेट तो दिखाई ही नहीं पड़ता है। अब तो टॉयलेट रोकना मजबूरी बन गई है। हर कदम टॉयलेट होना चाहिये मगर नहीं हैं। आखिर कर भी क्या सकते हैं ? इस समस्या से निजात दिलाने के लिए जिम्मेदारों को इसका समाधान निकालना चाहिए।

चौक एरिया में भाई के साथ सौम्य नाम की लड़की मार्केटिंग करती मिली। उनसे इस एरिया में टॉयलेट प्रॉब्लम के बारे में पूछा गया। उन्होंने बताया कि मार्केटिंग करने से पहले मोहम्मद अली के पार्क से होकर गुजरना पड़ता है। ताकि वहां बने टॉयलेट का यूज कर तब मार्केटिंग की जाए। इसके अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं हैं। क्योंकि इस एरिया में कोई दूसरा टॉयलेट है ही नहीं। जबकि इस मार्केट में महिलाओं का सबसे ज्यादा मूवमेंट होता हैं। इस मार्केट में भीड़ के हिसाब से छह से आठ टॉयलेट होने चाहिये।

अमिताभ बच्चन काम्पलेक्स के पास नीता सिंह नाम की लड़की से मुलाकात हुई। वह एक स्पोर्ट्स प्लेयर हैं। बताया खेल-कूद करने वाले को पानी अधिक पीने की सलाह कोच देते हैं। मजबूरी में पानी कम पीना पड़ता है। क्योंकि मुश्किल घड़ी में टॉयलेट ढूंढने पर भी नहीं मिलता हैं। कम पानी पीकर काम चलाना पड़ता है। अगर ज्यादा पानी पी लो टॉयलेट मिलने की प्राब्लम रहती हैं।

बालसन चौराहे पर समानता कश्यप नाम की लड़की ऑटो का वेट करती मिली। उसने बताया कि वह इसी रास्ते से रोज ऑटो पकड़कर कोचिंग आती-जाती है। ऑटो लेट मिलने पर मुश्किल घड़ी में एक-एक पल काटना टेंशन भरा लगता है। लड़के तो कहीं भी टॉयलेट कर लेते हैं। लेकिन ग‌र्ल्स क्या करें। इस मुद्दे को दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट द्वारा उठाया जा रहा है। काफी सराहनीय है। हर आधे किलोमीटर पर एक टॉयलेट होना चाहिये। जिन जगहों पर आठ से दस दुकान खुल रही हो या खुला हो उन जगहों पर एक सार्वजनिक टॉयलेट के साथ पिंक टॉयलेट होना चाहिये।

जल्द ही इस पर अन्य विभाग के अधिकारियों संग मीटिंग होगी। खाली पड़ी जगहों पर टॉयलेट बनाने का प्रस्ताव रखा जाएगा। जिन जगहों पर टॉयलेट बना है। वहां साफ-सफाई काम चल रहा है।

उत्तम कुमार वर्मा, एनवायरमेंट अफसर नगर निगम