प्रयागराज ब्यूरो ।माघ मेला की तैयारी में पिछले वर्ष की तरह इस बार भी गंगा के वाटर लेवल का पेंच फंस गया है। पानी अधिक होने के कारण अभी तक ग्राउंड पर कोई काम शुरू नहीं हो पा रहा है। मेला प्रशासन को गंगा में वाटर लेवल घटने का इंतजार है। हर दूसरे दिन फ्लड वर्क डिपार्टमेंट पानी की स्थिति को चेक कर रहा है। पानी कम नहीं हुआ तो मेला की बसावट में बड़ी समस्या का आना तय है। अफसरों का मानना है कि माघ मेला के मुख्य स्नान पर्व में करीब 82 दिन शेष हैं। नवंबर के लास्ट तक गंगा में पानी कम होने का अनुमान है। यही वजह है कि अधिकारी नवंबर के लास्ट वीक का इंतजार कर रहे हैं। मानना है कि एक से डेढ़ महीने में वह पूरा मेला मेन पॉवर बढ़ाकर बसा लेंगे।
जमीन सूखने में लग जाते हैं कई दिन
मकर संक्रांति का पर्व माघ मेला के पहले प्रमुख स्नानों में एक है। यह स्नान पर्व मोसली 14 जनवरी को पड़ता है। इस पर्व को आने में अभी करीब 82 दिन शेष है। यही गिने चुने वह दिन हैं जिसमें मेला प्रशासन को तंबुओं के शहर को बसाना होगा। फिलहाल मेला प्रशासन के सामने गंगा नदी का जल स्तर चुनौती बना हुआ है। गंगा में पानी अधिक होने के कारण ग्राउंड पर माघ मेला की तैयारी का काम शुरू नहीं हो पा रहा है। मेला अफसरों की मानें तो वाटर लेवल घटने के बाद कम से कम 20 से 25 दिन जमीन सूखने में लगेंगे। जमीन सूखने के बाद ही मेला के लिए जमीन की लेवलिंग आदि का वर्क शुरू हो पाएगा। गंगा का पानी जितनी देर से घटेगा माघ मेला की तैयारी में उतनी ही दिक्कत बढ़ेगी और काम पीछे होगा। वर्क देर से शुरू हुआ तो आधी अधूरी व्यवस्था के बीच ही श्रद्धालुओं पहले मुख्य स्नान पर्व पर डूबकी लगाना पड़ेगा। हालांकि इसी तरह की समस्या पिछले वर्ष 2022 में भी मेला प्रशासन को झेलनी पड़ी थी। गंगा में जल स्तर के चलते ही पिछले साल माघ मेला के एरिया को शार्ट करना पड़ा था।
82
दिन बचे है माघ मेला के मुख्य स्नान में
26
हजार क्यूसेक पानी अभी है गंगा नदी में
7 से 8
हजार क्यूसेक पानी होने का है इंतजार
77.40
मीटर पानी अभी है फाफामऊ गंगा में
76.60
मीटर पानी होना चाहिए स्नान के वक्त
640
हेक्टेयर में बसा 2021 में माघ मेला
580
हेक्टेयर में बसा था 2022 में माघ मेला
फिर 580 हेक्टेयर ही बसेगा मेला
गंगा में पानी अधिक होने के कारण ही वर्ष 2022 में माघ मेला का क्षेत्र घटाकर 580 हेक्टेयर कर दिया गया था।
जबकि वर्ष 2021 में माघ मेला की बसावट करीब 640 हेक्टेयर में थी।
गंगा के वाटर लेवल को देखते अफसरों का मानना है कि इस बार भी माघ मेला को 580 हेक्टेयर में ही बसाना पड़ेगा।
फ्लड वर्क डिपार्टमेंट की रिपोर्ट पर गौर करें तो मौजूदा समय में गंगा में करीब 26 हजार क्यूसेक पानी है।
जबकि ग्राउंड लेवल पर माघ मेला को शुरू करने के लिए 7 से 8 हजार क्यूसेक वाटर होना चाहिए।
मौजूदा समय में यहां फाफामऊ गंगा नदी में पानी का लेवल 77.40 मीटर है। माघ मेला में स्नान के लिए महज 76.60 मीटर पानी की जरूरत होती है।
फ्लड वर्क डिवीजन के अफसर हर रोज गंगा के जल स्तर पर नजर गड़ाए हुए हैं।
यदि इस महीने के लास्ट तक पानी घटा तब तो ठीक, अन्यथा की स्थिति में मेला की तैयारी बड़ा चैलेंज साबित होगी।