प्रयागराज (ब्यूरो)। इन दिनों प्रयागराज संगम स्टेशन पर यात्रियों व स्टाफ के लिए बंदर जी का जंजाल बन गए है। बंदरों के उत्पात से परेशान होकर रेलवे स्टेशन अधीक्षक एएम पाठक हर तीन में एक शिकायत पत्र वन विभाग के डीएफओ आरएन दुबे को भेज रहे है। लेकिन शिकायत के बाद भी इस समस्या का कोई हल नहीं निकल रहा है। इस बात सूचना जब दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट रिपोर्टर को लगी तो रेलवे स्टेशन पर बंदरों का उत्पात लाइव स्टोरी किया। वहां पाया गया कि यात्री गुलेल व डंडा और ईट साथ लेकर ट्रेन पकडऩे आते है। रविवार को खबर शीर्षक 'गुलेल लेकर ट्रेन पकडऩे आते है यात्रीÓ प्रकाशित होने के बाद वन विभाग के अधिकारी एक्शन में आ गए। सोमवार को अधिकारी ने पहले सर्वे किया। फिर मंगलवार को वन विभाग की ओर से सोरांव एरिया से बंदर को पकडऩे वाले टार्जन को बुलाया गया। उसने एक बंदर पकडऩे का तीन हजार बताया। टार्जन ने बहुत रिक्वेस्ट करने पर रेट 2300 रुपये फाइनल रेट बताया। लेकिन वन विभाग व रेलवे के बीच बजट न होने की बात सुनते वापस लौट गया।
पल्ला झाडऩा चाहता है वन विभाग
सूत्रों की मानें तो वन विभाग इतने बड़े खर्च को रेलवे से वसूलना चाहता है। लेकिन, अफसर खुलकर बोल नहीं पा रहे हैं। रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि यह पूरी जिम्मेदारी वन विभाग की बनती है। मगर वह अपने जिम्मेदारियों से पीछे हट रहे है। ऐसे में अब मंकी कैचर यानी दूसरे टार्जन की तलाश है। जो कम रेट में पकड़ सकें। इस संबंध में जब दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट रिपोर्टर ने जब डीएफओ से बजट की समस्या को लेकर बातचीत की। उन्होंने बताया कि बजट जैसी कोई बात नहीं है। एक दो बंदर हो आदमी देख भी ले। यहां सैंकड़ों की संख्या में बंदर मौजूद है। अभी फिलहाल दूसरे टार्जन की तलाश चल रही है। बोल कर पल्ला झाड़ लिए।
दो दिन में बंदरों का उत्पात
02 बैनर जो रेलवे ने मेन गेट पर लगाया था फाड़ चुके हैं
06 यात्री बंदरों के दौड़ाने से गिरकर चोटिल हो चुके हैं
04 कूड़े के डब्बे को तोड़ चुके हैं बंदर
01 सीसीटीवी कैमरे का तार जो स्टेशन परिसर के अंदर लगा है नोच चुके हैं
01 बाथरूम के छोटे शीशे को तोड़ चुके हैं
वन विभाग की ओर से एक टारजन आया था। उसने एक बंदर पकडऩे के लिए 2300 रुपये तक खर्चा बताया है। इस पर वन विभाग से बात करना है। यह जिम्मेदारी वन विभाग की है। बुधवार को फिर से एक शिकायत पत्र डीएफओ को भेजने की तैयारी है।
एएम पाठक, स्टेशन अधीक्षक, प्रयागराज संगम उत्तर रेलवे
एकाध बंदरों का मामला होता तो आज काम हो गया होता। बड़ी संख्या में बंदर हैं। टारजन ने बड़े एमाउंट की डिमाड कर दी है। अब दूसरे टारजन की तलाश की जा रही है।
आरएन दुबे सीएफओ प्रयागराज