प्रयागराज (ब्यूरो)। पिछले महीने की दस जून की वह तारीख थी जब पत्थरबाजी, बमबाजी और आगजनी करने वालों ने जुमे की नमाज के बाद अटाला की शांति में आग लगा दी थी। इस बवाल को कंट्रोल करने में पुलिस को पसीने छूट गए थे। तत्कालीन एसएसपी रहे अजय कुमार व डीएम संजय खत्री सहित आईजी और एडीजी मैदान में उतर पड़े। हालांकि बाद में एडीजी इस मसले की कमान मातहत अफसरों को सौंप कर खुद मानीटरिंग में जुट गए। प्रकरण में करेली में रहने वाले एआइएमआइएम के जिलाध्यक्ष शाह आलम, करेलाबाग के पार्षद फजल खां, किसान व मजदूर संगठन के महासचिव आशीष मित्तल और जीशान रहमानी, उमर खालिद और जावेद पम्प पर बवाल की साजिश का आरोप लगा। करेली व खुल्दाबाद थाने में पूरे मामले के आरोपितों पर केस दर्ज किया गया। पुलिस द्वारा मास्टर माइंड बताए गए जावेद पम्प की बिल्डिंग तक ढहा दी गई। उन्हें नैनी जेल से देवरिया जेल भेज दिया गया। अन्य पांचों आरोपितों को पुलिस आज तक नहीं खोज पाई। गिरफ्तारी में हांफ रही टीम को देखते हुए तत्कालीन एसएसपी ने इन पांचों पर 25-25 हजार रुपये का इनाम ठोंक दिया था। इनाम घोषित होने के बाद भी पुलिस उनकी परछाई तक नहीं खोज पाई। पांचों के मोबाइल नंबर को पुलिस द्वारा ट्रेस करने की कोशिश की गई, मकर सफलता हाथ नहीं लगी है। पुलिस उनके करीबियों व पड़ोसियों एवं रिश्तेदारों से भी पूछताछ करके थक गई। आइजी डा राकेश सिंह ने कहा कि अभी कुछ नए सिरे से प्लान बनाए गए हैं। यदि इसी तरह आरोपित भागे रहे तो इनाम जरूर बढ़ाया जाएगा।