प्रयागराज ब्यूरो । ऐसा नहीं है कि डेंगू से निपटने की तैयारियां सालभर नही चलतीं। संक्रमण से बचने के तमाम हथकंडे अपनाए जाते हैं। हाट स्पाट एरिया में दवाओं का छिड़काव भी निरंतर किया जाता है। तमाम टीमों को भी जिम्मेदारी सौंपी जाती है। अभियान भी चलाए जाते हैं, फिर भी हर साल डेंगू तेजी से फैलता है। हजारों लोग इस संक्रमण की चपेट में आसानी से आ जाते हैंँ।
जुलाई से शुरू हो जाती है प्रॉसेस
मलेरिया विभाग के मुताबिक हर साल एक जुलाई से 30 नवंबर तक डेंगू प्रतिरोधी अभियान की शुरुआत हो जाती है। सबसे पहले संचारी रोग अभियान चलाया जाता है जिसमें तमाम विभागों की टीम बनाकर घर घर जागरुकता फैलाने का काम किया जाता है। इसके अलावा साफ सफाई अभियान भी चलाया जाता है। इसके अलावा एक 11 अक्टूबर से बीस अक्टूबर तक दस्तक अभियान भी चलाया जाता है। जिसमें गली मोहल्लों में जाकर टीमें बुखार के रोगियों का पता लगाती है और डेंगू को फैलने से रोकने का काम करती हैं।
किस विभाग की लगती हैं कितनी टीमें
विभाग टीमों की संख्या
स्वास्थ्य विभाग 644
पंचायती राज 1540
नगर निगम 40
आईसीडीएस 1790
माध्यमिक शिक्षा 1065
प्राथमिक शिक्षा 2238
कृषि रक्षा 23
पशु चिकित्सा अधिकारी 50
दिव्यांगजन अधिकारी 20
वर्ष मरीजों की संख्या
2018 830
2019 1121
2020 57
2021 1299
2022 1465
2023 505
2024 344 अब तक
डीबीसी को दी जाती है ट्रेनिंग
डेंगू न फैलने पाए इसके लिए मलेरिया विभाग द्वारा पिछले कुछ सालों से डीबीसी टीमें बनाई जाती है। इनको बकायदा ट्रेनिंग दी जाती है। बताया जाता है कि डेंगू के लार्वा को कैसे और कहां सर्च किया जाना है। कूलर, गमला, टंकी, टूटे बर्तन, टायर आदि को चेक किया जाना है। इसका परिणाम भी सामने आता है। जो एरिया हाट स्पाट होते हैं वहां पर डेंगू को रोकने में थोड़ी सफलता मिलती है। इस बार भी 1.40 लाख घरों की चेकिंग करने के बाद 7.5 हजार ऐसे स्पाट मिले हैं जहां डेंगू के लार्वा मौजूद थे।
चौबीस घंटे में पहुंचती हैं रैपिड रिस्पांस टीमें
स्वास्थ्य विभाग ने डेंगू से निपटने के लिए रैपिड रिस्पांस टीमें भी बनाई हैं। जिनका काम मौके पर पहुंचकर एंटी लार्वा स्प्रे करना है। अगर किसी एरिया में डेंगू का रोगी मिलता है तो वहां आसपास के घरों पर यह स्प्रे किया जाता है। विभाग की ओर से ऐसी 20 टीमें बनाई गई हैं। इसके अलावा जो एरिया हाट स्पाट होते हैं वहां पर सालभर एंटी लार्वा स्प्रे का काम इन टीमोंं को सौंपा जाता है। इन टीमों की असली जिम्मेदारी डेंगू के आउटब्रेक को रोकना है।
हमारे एरिया में एंटी लार्वा स्प्रे के साथ लगातार फागिंग भी हो रही है। जरूरत है तो लोगों को जागरुक होने की। इस सीजन में पूरे बदन के कपड़े पहनें और सोते समय मच्छरदानी का यूज करें। अगर किसी को लगातार फीवर आ रहा है तो उन्हें तत्काल डेंगू की जांच करानी चाहिए।
हेमंत शुक्ला, समाज सेवी
इस साल पिछले साल से कम डेंगू के केस सामने आए हैं। इसके अलावा जो भी रोगी हैं जो जल्दी ठीक हो रहे हैं। अनहोनी कम हो रही है। अगर विभाग तैयारी नही करते तो डेंगू का आउट ब्रेक भी हो सकता है। हालंाकि पब्लिक की भी पूरी जिम्मेदारी बनती है।
जय मिश्रा, बिजनेसमैन
डेंगू के केस साल में तीन महीने सामने आते हैं लेकिन तैयारी पूरे साल चलती है। जुलाई से ही संचारी और दस्तक अभियान के जरिए लोगों को जागरुक करने का काम किया जाता है। सभी विभागों का संयोजन कर डेंगू से निपटने की रणनीति तैयार की जाती है। पब्लिक भी धीरे धीरे जागरुक हो रही है। जल्द ही डेंगू के केसेज भी सामान्य स्थिति में आने लगेंगे।
आनंद कुमार सिंह, जिला मलेरिया अधिकारी प्रयागराज