प्रयागराज (ब्‍यूरो)। शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ आज गुरुवार से होगा। एक दिन पूर्व बुधवार को लोग मां भगवती की स्थापना की तैयारी में जुटे रहे। पूजन सामग्री की दुकानों पर जबरदस्त भीड़ देखने को मिली। नौ दिनों तक पाठ कराने वाले लोग पुरोहितों को सहेजने में जुटे रहे। घरों में घट स्थापना के साथ मां पूजा अर्चन की शुरुआत की जाएगी। ग्रहों और नक्षत्रों के खास संयोग के चलते इस बार की नवरात्रि बेहद खास मानी जा रही है। जानकार बताते हैं कि अबकी चतुर्थी तिथि की बढ़ोत्तरी हो रही है और नवमी तिथि की हानि होगी। फिर भी नवरात्रि पूरे नौ दिनों की ही रहेगी। विजयदशमी को व्रत का पारण किया जाएगा।

एक गलती कर देगी नाराज
इस बार नवरात्रि का प्रारंभ हस्त नक्षत्र में हो रहा है। पं। विमलेश्वरा नन्द महाराज कहते हैं कि प्रतिपदा यानी पहले दिन सुबह से लेकर दोपहर 3.18 तक हस्त नक्षत्र योग है। कलश स्थापना के लिए यह शुभ मुहुर्त काफी अच्छा है। इस समयकाल में जगत जननी की कलश स्थापना करना काफी फलदायी होगा। बताते हैं कि शारदीय नवरात्रि पर बृहस्पति व सूर्य और शनि के खास संयोग बन रहे हैं। इतना ही नहीं बृहस्पति की स्थिति होने के कारण देवी मां की पूजा करने वाले जातक को विशेष फल की प्राप्ती होगी। पुरोहितजन कहते हैं कि विधि विधान से की गई पूजा से बहुत जल्द प्रसन्न होती हैं। मगर, एक गलती से वह नाराज भी उतनी ही जल्दी होती हैं। इसलिए नवरात्रि में जब व्रत रखें या कलश स्थापना करें तो नियमों पर ध्यान देना बेहद जरूरी है।

ऐसे करिए माता रानी को प्रसन्न
नवरात्रि में घर के अंदर कलश स्थापित कर रहे हैं तो उसके स्थान पर ध्यान दें। घर में पूजा स्थल है तो उस जगह पर कलश की स्थापना करें।
पूजा स्थल या मंदिर घर में नहीं है तो ऐसे स्थान का चयन करें जहां पर कोई बार-बार आता जाता नहीं हो और स्वच्छता रहती हो।
कलश स्थापना या व्रत रखे हैं तो खुद की स्वच्छता पर भी गौर करें
नौ दिनों तक व्रत रख रहे हैं तो फलाहाल ग्रहण करने से पूर्व की जाने वाली पूजा के वक्त मां को भी अर्पित करें। बाद में उसे प्रसाद के रूप में खुद ग्रहण करें।
सोने के लिए तख्त या फिर जमीन का ही प्रयोग करें। चारपाई अथवा अति आरामदायक बिस्तर से परहेज करें।
झूठ, फरेब से बचें एवं नीयत साफ रखें, क्योंकि मां को ऐसी आदतों से भी शख्स नफरत है। ऐसा करने से मां रुष्ट हो सकती हैं और परिणाम उलट मिल सकते हैं।
घर पर आए हुए गरीब व गाय एवं पक्षियों को भी भोजन कराएं, पूरी तरह से जीवन सात्विक और मन व मस्तिष्क को धार्मिक रखें।