प्रशासन का दावा, मौनी अमावस्या पर 30 लाख लोगों ने लगाई पुण्य की डुबकी

हर दूसरे के हाथ में था पांच लीटर पानी कैरी करने वाला डिब्बा

महोदय योग में मौनी अमावस्या का पुण्य लाभ प्राप्त करने के लिए शुक्रवार को संगम तट पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। मेल में आयी पब्लिक को मैनेज करने के लिए पुलिस और प्रशासन ने बैरीकेडिंग बढ़ाई तो शहर के लोग झेल गये। कोर्ट खुले होने से अधिवक्ता समय पर नहीं पहुंच पाये। यही हाल बैंककर्मियों के साथ प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों का भी था। प्रशासन का दावा है कि 30 लाख लोगों ने गुरुवार शाम तक संगम में डुबकी लगायी है। इस दौरान कोई अप्रिय घटना नहीं घटी। यह पुलिस और प्रशासन के लिए राहत की बात रही। कोरोना काल के बाद पहली बार इतने बड़े पैमाने पर हुए जमावड़े ने कोविड गाइड लाइन की ऐसी-तैसी कर दी। मेले में आए श्रद्धालु गंगा जल अपने साथ ले जाना नहीं भूले। इससे करीब 50 लाख लीटर से अधिक पानी पब्लिक के साथ उनके घरों को चला गया।

12 किलोमीटर पैदल चले

रात में 12 बजे के बाद अमावस्या का पुण्य काल शुरू होने के साथ ही संगम व अन्य स्नान घाटों पर पुण्य की डुबकी लगाने का सिलासिला शुरू हो गया। बच्चों के साथ ही बूढे़ और युवा भी स्नान को लेकर उत्साहित दिखे। मौनी अमावस्या पर स्नान करने पहुंचे श्रद्धालुओं के लिए प्रशासन की ओर से विशेष व्यवस्था की गई थी। संगम व अन्य घाटों पर स्नान करने वाले श्रद्धालुओं पर हेलीकाप्टर से पुष्पवर्षा की गई। स्नान के बाद लोगों ने विधि- विधान के साथ संगम पर पूजन करके सभी के मनोकामना पूर्ण होने का आशीर्वाद लिया। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज भी अपने अनुयायियों के साथ स्नान करने पहुंचे।

ड्रोन कैमरे से होती रही निगरानी

भारी भीड़ की मौजूदगी को देखते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। घाटों पर कमांडो की तैनाती की गयी थी जबकि ड्रोन के जरिए सम्पूर्ण मेला एरिया पर नजर रखी जा रही थी। आईजी केपी सिंह, डीएम भानु चंद गोस्वामी, पुलिस कप्तान सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी, मेला एसी आशुतोष मिश्रा खुद भी सेट से लेकर माइक तक पर एक्टिव रहे। इन लोगों ने पब्लिक के लिए गाइड की भूमिका भी निभायी।

निशानी है गंगा का पानी

स्नान के लिए पहुंचे ज्यादातर श्रद्धालु अपने साथ पांच लीटर का डिब्बा लेकर पहुंचे थे। जिनके पास नहीं था उन्होंने संगम के आसपास लगी दुकानो से इसे खरीदा। इसमें भरकर गंगा जल वे अपने साथ लेकर। गंगा जल साथ ले जाने वालों का पूछने पर कहना था कि इसकी जरूरत तो हर शुभ मौके पर पड़ती है। आज संगम पहुंचे हैं तो यह निशानी अपने साथ क्यों न ले जाएं। प्रशासन के दावे पर यकीन किया जाय और मान लिया जाय कि एक तिहाई लोग ही अपने साथ डिब्बे में भरकर पानी ले गए होंगे तब भी यह आंकड़ा पचास लाख को पार कर जाता है।

भगवान ने दिया साथ, सिस्टम ने ली परीक्षा

मौनी अमावस्या के मौके पर भगवान पब्लिक पर मेहरबान थे। सुबह कोहरा जरूर रहा लेकिन गलन प्रभावी नहीं थी। ठंडी हवा गलन का एहसास करा रही थी लेकिन सूरज उगने के साथ ही धूप कड़क हो गयी और मौसम खुशगवार। इससे शहर और आसपास के एरिया के लोग बड़ी संख्या में मेला क्षेत्र में पहुंचे। इसमें पैदल चलना पब्लिक को अखर गया। जगह-जगह बैरीकेडिंग और रूट डायवर्जन से शहर के लोग भी परेशान हो उठे।

रिश्तेदारों सहित 10 लोगों के साथ एक दिन पहले ही प्रयागराज आ गए थे। खूब पैदल चलना पड़ा। सुबह संगम स्नान के बाद सारी थकान मिट गई। पहली बार यहां आए हैं इसलिए संगम का जल भी पांच डिब्बों में भरकर लेकर जा रहे हैं।

रामलाल

हिमाचल प्रदेश

ट्रेन की टिकट नहीं मिलने से परिवार के अन्य लोग संगम में स्नान को नहीं आए। इसलिए गंगाजल दो डिब्बों में भर कर ले जा रहे हैं।

अजीत कुमार सिंह

जौनपुर