पहली हो या दूसरी लहर एसआरएन हॉस्पिटल में हमेशा से कोरोना के गंभीर मरीज भर्ती हुए। इनमें से कुछ आईसीयू में भर्ती थे तो कुछ मरीज एचडीयू वार्ड में मरीजों की सेवा में लगे थे। उनके अथक परिश्रम का फल था कि बड़ी संख्या में मरीज बचकर अपने घर चले गए। लेकिन इसकी कीमत भी इन डॉक्टर्स को चुकानी पड्ऱी। कोविड वार्ड में ड्यूटी के दौरान यह खुद भी पॉजिटिव हो गए। इनकी चपेट में आकर माता-पिता भी संक्रमित हुए। पूरा घर डिस्टर्ब हो गया। बावजूद इसके इन डॉक्टर्स ने हार नहीं मानी और एक राउंड नहीं बल्कि कई राउंड वार्ड में ड्यूटी की। अब यह सभी कोरोना की संभावित तीसरी लहर का भी सामना करने को तैयार हैं।
एक नहीं दो बार हुए पाजिटिव
- एसआरएन हास्पिटल के कोविड वार्ड में कई बार ड्यूटी कर चुके एसोसिएट प्रोफेसर डॉ। संजय सिंह दो बार पॉजिटिव हो चुके हैं। वह कहते हैं कि वार्ड में ड्यूटी के दौरान फीवर आना आम बात थी। लगता था कि अधिक दिक्कत होगी तो जांच कराएंगे। इत्तेफाक देखिए कि दो बार जांच कराई और दोनों बार पाजिटिव पाए गए। लेकिन भगवान का शुक्र था कि हर बार बचकर बाहर आ गए। कहते हैं कि दूसरी लहर में पाजिटिव होने के बाद थोड़ी दिक्कत हुई थी, लेकिन धीरे धीरे सब संभल गया। वह तीसरी लहर में भी ड्यूटी के लिए तैयार हैं।
ड्यूटी के बाद हुए पाजिटिव
सर्जरी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ। जितेंद्र कुमार बताते हैं कि कोरोना वार्ड में ड्यूटी करना आसान नहीं है। यहां पर कई मरीज हाई इंफेक्शियस होते हैं और तमाम सुरक्षा उपकरण के बावजूद संक्रमित होने का खतरा बना रहता है। उनके साथ भी ऐसा हुआ। 14 दिन वार्ड में ड्यूटी करने के बाद उनको फीवर आया। उन्होंने जांच कराई तो रिपोर्ट पाजिटिव आई। हालांकि वह घबराए नही। घर पर ही रहकर उन्होंने अपना इलाज कराया। बताते हैं कि जब कोई मरीज ठीक होकर घर जाता है तो बहुत खुशी होती है। कोई भी डॉक्टर नही चाहता कि उसका मरीज बीमार रहे।
पिता भी चपेट में आए
जूनियर डाक्टर थर्ड ईयर डॉ। सार्थक गौतम की ड्यूटी भी कोविड वार्ड में लगाई गई थी। 14 दिन ड्यूटी करने के बाद जब वह घर पहुंचे तो इसके कुछ दिन बाद उनको फीवर आ गया। इससे पहले कि वह जांच कराकर अपना इलाज शुरू कराते, उनके पिता भी संक्रमित हो गए। इससे उनको काफी परेशानी हुई। लेकिन वह घबराए नहीं। समीप के एक अस्पताल में पिता को भर्ती कराकर उनका इलाज कराया गया। डॉ। गौतम बताते हैं कि वह तीसरी लहर का सामना करने को भी तैयार हैं।
दूसरों के लिए मिसाल से कम नहीं डॉ। संतोष
चाहे मरीजों का इलाज करना हो या उनकी सेवा। सर्जरी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा। संतोष सिंह हमेशा तैयार रहते हैं। दूसरी लहर में उनकी दो-दो शिफ्ट में कोविड वार्ड में ड्यूटी लगाई गई लेकिन उन्होंने हार नही मानी। वह बताते हैं कि पाजिटिव होने के दौरान उनको काफी दिक्कतें हुई थीं। लेकिन वार्ड में एडमिट होने वाले मरीज इससे कहीं ज्यादा सीरियस होते हैं। इसलिए उनकी सेवा का फल है कि 70 फीसदी डॉक्टर्स के एसआरएन में पाजिटिव होने के बावजूद अधिक नुकसान नही हुआ। यह सभी फिर से तैयार हैं।
डीएम को करना पड़ा इंटरफीयर
कोरोना की दूसरी लहर में पाजिटिव होने वालों में एमएलएन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो एसपी सिंह भी शामिल रहे। वह घर पर ही आइसोलेट थे। बताते हैं कि आक्सीजन लेवल कम होने पर वह कृत्रिम सांस ले रहे थे। लेकिन एसआरएन में अधिक कोरोना मरीज होने के चलते उनके पास दिनभर फोन आते थे। इससे उनकी तबियत खराब होने लगी। ऐसे में खुद तत्कालीन डीएम बीसी गोस्वामी ने प्रिंसिपल को फोन नहीं उठाने की हिदायत दी और दूसरों को जिम्मेदारी संभालने के निर्देश दिए।