प्रयागराज ब्यूरो । महाकुंभ 2025 के आयोजन की रूपरेखा तैयार हो चुकी है। अब उस पर अमल की कवायद तेज है। अद्र्धकुंभ की अपेक्षा महाकुंभ में 08 एक्स्ट्रा पांटून पुल बनाए जाएंगे। संगम से लेकर नागवासुकी तक बनाए जाने वाले पांटून पल पहली बार कंट्रोल रूप से कनेक्ट होंगे। ताकि स्नान पर्वों पर होने वाली भीड़ के दौरान पुल पर नजर रखी जा सके। कंट्रोल रूम में बैठे कर्मचारी पांटून पुल पर जरिए कैमरा नजर रखेंगे। जिस भी पांटून पुल पर भीड़ अधिक या जाम जैसी स्थिति बनेगी, फौरन सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस के जवान एक्टिव हो जाएंगे। ऐसा इस लिए होगा ताकि भीड़ की वजह से पांटून पुल ओवर लोड नहीं होने पाए। ऐसा महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिहाज से किया जाएगा। इस बार बनाए जाने वाले पांटूनपुल की मजबूती पर भी इंजीनियर्स विशेष ध्यान देंगे। इसकी भी प्लानिंग हो चुकी है।

हर कदम पर सुरक्षित होंगे श्रद्धालु
अद्र्धकुंभ की तुलना में महाकुंभ के आयोजन स्वरूप व क्षेत्रफल काफी बड़ा और भव्य होगा। बनाए गए प्लान पर गौर करें तो महाकुंभ के लिए 04 हजार हेक्टेयर में तंबुओं के शहर को बसाने का नक्शा बनाया गया है। इस नक्शे और क्षेत्रफल पर गौर करें तो यह अद्र्धकुंभ की अपेक्षा महाकुंभ का क्षेत्रफल करीब 800 हेक्टेयर अधिक होगा। महाकुंभ की बसावट नागवासुकी मंदिर से आगे थोड़ा बहुत कम नहीं तो शिवकुटी तक पहुंच जाएगी। पूरे महाकुंभ एरिया में कुल 30 प्लांटून पुल बनाए जाएंगे। जिससे होकर आने वाले श्रद्धालु नदियों को पार करके पूरे मेला क्षेत्र में आवागमन करेंगे। मतलब यह कि महाकुंभ में अद्र्धकुंभ की अपेक्षा आठ पांटून पुल अधिक होंगे। बताते चलें कि अद्र्धकुंभ में कुल 22 पांटून पुल बनाए गए थे। यह पांटून पुल इस धार्मिक मेले के आयोजन में मुख्य भूमिका का निर्वहन करते हैं। इसका निर्माण पीडब्डलूडी के द्वारा बनाया जाता है। इसे बनाने के लिए विभाग के अनुभवी और मर्मज्ञ इंजीनियर्स लगाए जाते हैं। अब इतना कुछ जान गए हैं तो यह भी समझ लीजिए कि एक प्लांटून पुल की क्षमता कितनी होती है। बनाए जाने वाले पांटून पुल की भार क्षमता पांच टन होती है। पांच टन से अधिक लोड बढऩे पर पुल के डैमेज होने का खतरा बढ़ जाता है। इसी खतरे को कम करने व सुरक्षा के उद्देश्य से पहली बार प्लांटून पुल को मेला के कंट्रोल रूप से कनेक्ट किया जाएगा। मतलब यह कि पांटून पुल के दोनों ओर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। इस कैमरे के जरिए कंट्रोल रूम में बैठे कर्मचारी पांटून पुल पर होने वाली श्रद्धालुओं की भीड़ पर नजर रखेंगे।

डबल रस्सी का किया जाएगा प्रयोग
गंगा और यमुना नदी में बनाए जाने वाले पांटून पुल रस्सी के सहारे मजबूती से बांधा जाता है।
पिछले वर्षों तक हर पांटून पुल को सिंगल रस्सी से बांधा जाता था। मगर इस बार ऐसा नहीं होगा।
इंजीनियरों का प्लान है कि पांटून यानी लोहे से बनाए गए पीपा को नदी में बहने से रोकने के लिए हर एंगल पर बांधने के लिए डबल रस्सी का प्रयोग किया जाएगा।
ताकि इतना ही नहीं, बताते तो यह हैं कि अति पुराने व थोड़ा बहुत भी डैमेज लकड़ी के पटने का इस्तेमाल पुल में नहीं करेंगे।
पूरी तरह साबूत व सुरक्षित पटरों का ही प्रयोग इस पुलिस में किया जाएगा। साथ ही लोहे की मजबूत रॉड लगाकर पीपा को एक दूसरे से कनेक्ट किया जाएगा।
ताकि पीपा एक दूसरे से कनेक्ट होकर मजबूती के साथ बहाव तेज होने पर भी अपने स्थान पर फिक्स रहें।

महाकुंभ में बनाए जाने वाले पांटून पुल की सुरक्षा को लेकर कुछ नए प्लान किए गए हैं। पांटून पुल का स्वरूप यानी चौड़ाई पूर्वत ही होगी। लंबाई नदियों के पाट पर निर्भर होगा। मीटिंग में पुल के एक छोर पर कैमरे लगाकर कंट्रोल रूम से कनेक्ट करने पर चर्चा हुई है।
धनीराम, जेई पीडब्लूडी सीडी-4